रामस्वरूप रावतसरे
नंदपाल एनकाउंटर मामले की सीबीआई जांच की मांग को राजस्थान सरकार ने मान लिया है। राजपूत संगठनों के दबाव के बाद आखिरकार राजस्थान सरकार झुक गई और उसने सीबीआई जांच की सिफारिश करने का फैसला लिया है। 24 जून 17 की रात को चूरू जिले के मालासर में पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रु्रप के द्वारा आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद से ही लगातार सीबीआई जांच की मांग की जा रही थी।
12 जुलाई को आनंदपाल के गांव सांवराद में आयोजित शोक सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान हजारों लोगों की भीड़ जुटी। गांव में पुलिस और लोगों के बीच झड़प हुई और हिंसा के दौरान कई पुलिसकर्मी घायल हुए और कुछ आम लोगों को भी चोटें आई। इस हिंसा के दौरान एक शख्स की जान भी चली गई। हालांकि अब ये सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि राजस्थान सरकार ने इतने दिनों बाद सीबीआई जांच की मांग मान ली। राजपूत संगठनों के आगे झुकने की सबसे बड़ी वजह यह बताई जा रही है राजपूत समाज उसका परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। पार्टी अपना ये वोट बैंक खोना नहीं चाहती है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मामले में सरकारी रवैये की निंदा की है और कहा कि सरकार अब क्यों आनंदपाल एनकाउंटर की मांग को स्वीकार करने के लिए तैयार हुई। क्या बीजेपी सरकार शांति भंग होने का इंतजार कर रही थी? गहलोत का ये बयान भी बताता है कि आनंदपाल के मामले को राजस्थान में राजपूतों ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है, जिसे हर पार्टी भुनाना चाहती है।
इसके अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी एक बड़ा कारण बताया जा रहा है जिसके चलते राजस्थान सरकार राजपूत नेताओं से बातचीत के बाद सीबीआई जांच की मांग मानने पर मजबूर हुई है। अमित शाह 21 से 23 जुलाई के जयपुर दौरे पर होंगे। वहीं राजपूत समाज ने बड़ा प्रदर्शन की चेतावनी दी है। यही कारण है कि राजस्थान सरकार फूंक-फूंककर कदम रख रही है और वो नहीं चाहती है कि राजस्थान में अमित शाह के सामने ऐसी कोई भी स्थिति पैदा हो जिससे अमित शाह भाजपा सरकार के बारे में नकारात्मक बातें लेकर यहां से जाएं।साथ ही पार्टी के अंदर से भी एनकाउंटर को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही है।
भाजपा विधायक नरपत सिंह राजवी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर नागौर हिंसा की घटना को लेकर कहा बताया जा रहा है कि पुलिस राजपूत युवाओं के साथ भेदभाव कर रही है। राजपूत युवाओं को पुलिस स्टेशन बुलाकर परेशान किया जा रहा है जबकि राजपूतों के 90 फीसदी वोट भाजपा को मिलते हैं। वहीं भाजपा विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने भी सरकार से पूछा है कि सीबीआई जांच के लिए वो क्यों राजी नहीं है? राजे विरोधी धड़े के नेताओं द्वारा आनंदपाल एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग ने भी सरकार की मुश्किलों को बढ़ा दिया। सरकार और सरकार के राजपूत मंत्रियों व विधायकों को डर है कि समाज में अब एक नया नेतृत्व उभरा है, जिन्होंने समाज के मंत्रियों, विधायकों की सहायता के बिना ना केवल आंदोलन चलाया और सरकार से मांगे मनवाकर सफल भी करवाया। राजपूत समाज में इन युवा राजपूत नेताओं (सुखदेव सिंह गोगामेडी, दुर्ग सिंह चौहान खींवसर, महावीर सिंह सरवड़ी, महावीर सिंह खांगटा, महिपाल सिंह मकराना, भंवर सिंह रेटा, पूर्व विधायक राजेन्द्र गुढ़ा, मनोज न्यांगली आदि नेता) की स्वीकार्यता बढ़ी है और समाज ने उनके नेतृत्व को एक तरह से स्वीकारा भी है।जिस किसी राजपूत मंत्री और विधायक ने इस आंदोलन व आंदोलन नेताओं के खिलाफ बोला, राजपूत समाज ने एक तरह से बहिष्कृत कर दिया और उसके खिलाफ किसी भी हद तक जाने से गुरेज भी नहीं किया।
आनंदपाल के अपराध की दुनिया
आन्नदपाल बलवीर गैंग की वजह से अपराध की दुनियां में आया । 1997 में बलवीर बानूड़ा और राजू ठेहट दोस्त हुआ करते थे । दोनों षराब के धंधे से जुड़े हुए थे ।
आनंदपाल 2006 में ही राजस्थान के डीडवाना में जीवन राम गौदारा की गोलियों से हत्या कर दी । डीडवाना में आनंदपाल के नाम से 13 मामले दर्ज है। जिनमें 8 मामलों में कोर्ट ने उसे भगौड़ा घोषित कर रखा है। सीकर के गौपाल फोगावट हत्याकाण्ड के पीछे आनंदपाल बताया जा रहा है। आनंदपाल द्वारा किये गये हत्याकाण्डों की गूंज विधान सभा में भी उठती रही है । आनंदपाल ने 10 से 20 युवाओं की गैंग को 200 युवकों की गैंग में बदल दिया। ये 200 यूवक अपने क्षैत्र के दादा कहलाते । इन्होंने सीकर, चूरू, नागौर, जयपुर में पैसे वालों को चिन्हित करना षुरू कर दिया । पूरी टीम तैयार होते ही आनंदपाल ने जयपुर के निकटफागी में एसओजी के सामने सरेंडर कर दिया । इसके बाद आनंदपाल जैल से ही गैंग को चलाने लगा।
राजस्थान में फिरोती, वसूली,मारकाट का सिलसिला जोरों से चलने लगा । आनंदपाल ने अपने गुर्गो एवं बन्दुक के दम पर मेघा हाईवें के आसपास की सैकडों बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया । आनंदपाल ने दर्जनों व्यापारियों एवं उद्योगपतियों को निषाना बनाया । हालात इस प्रकार के हो गये थे कि लोग आपसी झागड़े में भी पुलिस की बजाय आनंदपाल की मदद लेने लगे। इस गैंग ने अपने सारे कारनामों को जाति का रंग भी दिया झगड़े राजपूत और जाटों के नाम पर होने लगे। जाटों के नाम पर राजू ठेहट की गैंग सक्रिय थी । 3 सितंबर 2015 को कोर्ट पेषी के बादआनंदपाल अपने दो साथियों के साथ फरार हो गया था । इसके बाद से ही राजस्थान पुलिस उसे पकडऩे का प्रयास कर रही थी उस पर पांच लाख का इनाम भी घोषित किया । 24 जून 2017 की रात को चूरू जिले के मालासर में पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने आनंदपाल को एनकाउंटर में मार गिराया था। बीस दिन तक आनंदपाल के परिजन तथा समाज के लोग अपनी मांगों को माने जाने तक दाहसंस्कार नहीं करने पर अड़े रहे । बीसवें दिन पंलिस प्रषासन के सख्ती बरतने पर आनंदपाल का दाह संस्कार किया गया।