पत्रकार और राष्ट्रीय कला संग्रहालय मिलकर करेंगे समाज को कला के प्रति जागरूक
नई दिल्लीः (13 जनवरी, 2018): राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली, के महानिदेशक अद्वैत गडनायक ने दिल्ली पत्रकार संघ के सहयोग से आयोजित पत्रकार मिलन में कला शिक्षा में बडे़ बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कला शिक्षा आज हकीकत से दूर है और स्कूलों में भी कला के नाम पर जो कुछ पढ़ाया जाता है वह कला के संबंध में पश्चिमी नजरिए को ही पुष्ट करता है। कला शिक्षा में बडे बदलाव की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि उनका अपना विचार है कि वे ओडिशा में एक कला विद्यालय खोलें, जहां से कला के विद्यार्थी एक जहाज में बैठकर पूरे विश्व का भ्रमण करें। वैश्विक कला एवं संस्कृति का विस्तृत अध्ययन करके जब वे उसी जहाज से वापस ओडिशा लौटेंगे तभी उन्हें कला की स्नात्कोत्तर डिग्री प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि कला शिक्षा में बदलाव के लिए समाज, सरकार, शिक्षा संस्थान और मीडिया को मिलकर सार्थक भूमिका निभानी होगी और साथ ही कला को भारतीय दृष्टि से देखने और पोषित करने हेतु ठोस कार्य करना होगा।
उन्होंने कहा कि कला आदमी को स्थूल से सूक्ष्म और भौतिकता से आध्यात्मिकता की ओर जाने का मार्ग दिखाती है। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि आज मीडिया में कला के लिए स्थान बहुत सीमित होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि जीवन को व्यापक रूप से समझने के लिए कला के प्रति समझ पैदा करना आज की आवश्यकता है और पत्रकारों को इस दृष्टि से आगे आना चाहिए। राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय दिल्ली पत्रकार संघ के सहयोग से मीडिया के लिए समय-समय पर कार्यशालाएं आयोजित करेगा ताकि मीडिया के माध्यम से जन सामान्य में कला के प्रति रूचि पैदा हो सके।
पत्रकारों से बातचीत करने से पूर्व श्री गडनायक ने सभी पत्रकारों को विश्वविख्यात शिल्पकार धनराज भगत की जन्म शताब्दी के अवसर पर आयोजित उनके काम की कला प्रदर्शनी ‘भौतिकता से आध्यात्मिकता का सफर’ का अवलोकन कराया और बताया कि किस प्रकार धनराज भगत ने कला की पश्चिमी तकनीकों को अपनाते हुए भी भारतीय अध्यात्म को अपनी कला कृतियों में अभिव्यक्त किया है। इस दृष्टि से उन्होंने उनकी कलाकृति महाकाल व शिव के तांडव नृत्य आदि कलाकृतियों का विशेष उल्लेख किया।
इस अवसर पर दिल्ली पत्रकार संघ के अध्यक्ष मनोहर सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय पत्रकारों को कला एवं संस्कृति के संबंध में प्रशिक्षित करने के सभी प्रयासों में पूर्ण सहयोग प्रदान करेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कला के साथ पत्रकारों को जोड़ने की जो शुरूआत मकर संक्राति के अवसर पर आज कला संग्रहालय द्वारा की गयी है उसके वांछित परिणाम शीघ्र ही प्राप्त हो सकेंगे और मीडिया में कला को पर्याप्त स्थान मिल सकेगा।
वरिष्ठ पत्रकार व पांचजन्य एवं आर्गेनाईजर के समूह संपादक जगदीश उपासने ने सुझाव दिया कि पत्रकारों में कला के प्रति समझ पैदा करने हेतु एक पाठ्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए। कार्यक्रम में उपस्थित कई पत्रकारों ने इस सुझाव का समर्थन किया। वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र प्रभु ने दिल्ली पत्रकार संघ एवं राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय द्वारा मीडिया और कला जगत से जुडे़ लोगों को एक साथ लाने के प्रयास की प्रशंसा की। इस अवसर पर दिल्ली पत्रकार संघ के करीब 125 पत्रकार सदस्य उपस्थित थे।
प्रमोद कुमार, महासचिव, दिल्ली पत्रकार संघ, 9818465946