आरोपों के घेरे में घिरी
केजरीवाल सरकार?
द्य सारिका अग्रवाल
कभी भ्रष्टाचार का विरोध कर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई आम आदमी पार्टी की सरकार अपने गठन के बाद से ही लगातार भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी है। ये आरोप न केवल सरकार के मंत्रियों पर है बल्कि विधायकों पर तो भ्रष्टाचार के तमाम आरोप हैं। इन आरोपों में कुछ मंत्री हटाए गए तो कुछ आज भी दिल्ली सरकार में हैं। आम आदमी पार्टी नैतिक मूल्यों सहित व भ्रष्टाचार रहित प्रशासन का वादा कर दिल्ली की सत्ता में आई थी। नई दिल्ली में रामलीला मैदान पर उमड़ी भीड़ को केवल अपनी भीड़ मान कर अरविन्द केजरीवाल केवल अपने समर्थक मानने की गलती कर बैठे। जन लोकपाल कानून को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के साथ लड़ाई शुरू करने वाले अरविंद केजरीवाल ने जनता के सामने साफ-सुथरी राजनीति के लिए एक विकल्प दिया था। लेकिन सत्ता मिलने के तुरंत बाद से ही आप के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, न केवल केजरीवाल बल्कि अधिकतर मंत्री और उनके रिश्तेदार भी इस लपेटे में आ गए।
आइये जानते हैं कि क्या और किस पर आरोप लगे:
अरविन्द केजरीवाल के साढू
सवालों के घेरे में खुद मुख्यमंत्री केजरीवाल हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साढ़ू सुरेंद्र बंसल (दिवंगत) ने लोक निर्माण विभाग के कार्यों के फर्जी बिलों के भुगतान के लिए उनके नाम का सहारा लिया। इस मामले में दर्ज एफआइआर में मुख्यमंत्री का भी नाम है। उनके साथी रहे पूर्व जल मंत्री कपिल मिश्रा केजरीवाल को दो करोड़ रुपये लेते देखने का आरोप लगा चुके हैं।
काले धन को सफेद करने के चक्?कर में फंसे सत्येंद्र जैन
सत्येंद्र जैन आम आदमी पार्टी सरकार में इस समय सबसे कद्दावर मंत्री हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने काले धन को सफेद करने के लिए फर्जी कंपनियां खोलीं। काले धन को सफेद किया। सीबीआई व आयकर विभाग उनसे कई बार पूछताछ कर चुके हैं। लोक निर्माण विभाग के उनके कुछ फैसलों की भी सीबीआइ जांच कर रही है।
टॉक टू एके आयोजन में सिसोदिया पर जाँच का फंदा
जनता के साथ संपर्क के लिए आयोजित मुख्यमंत्री के कार्यक्रम टॉक टू एके भी विवादों से मुक्त नहीं है। इस कार्यक्रम के लिए मनीष सिसोदिया पर सीधे आरोप हैं। और आरोप यह है कि न केवल इसका आयोजन केवल बिना अनुमति के कराया गया बल्कि नियमों की धज्जियां उड़ा कर इस कार्यक्रम के आयोजन की जिम्मेदारी एक कंपनी को दे दी गई। इस मामले की सीबीआई जांच कर रही है।
प्रीमियम बस सेवा मामले में फंस गए श्रम मंत्री गोपाल राय
अपनी सरकार का हर मुद्दे पर बचाव करने वाले गोपाल राय के खिलाफ भी घोटाले के आरोप हैं। उन पर परिवहन मंत्री रहते हुए प्रीमियम बस सेवा शुरू करने के लिए तैयार की गई योजना में गड़बड़ी किए जाने का आरोप है। इस मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक शाखा कर रही है। बुलाए जाने पर शाखा के सामने पेश होने से पहले जून 2016 में राय को परिवहन मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
फर्जी डिग्री के जाल में फंस गए जितेंद्र तोमर
नरेंद्र तोमर को कौन भूल सकता है। कानून व पर्यटन मंत्री रहे जितेंद्र सिंह तोमर पर फर्जी तरीके से डिग्री लेने का आरोप है। आरोप तो यह भी आम आदमी पार्टी पर है कि इस बारे में योगेन्द्र यादव ने अरविन्द केजरीवाल को बताया भी था,मगर इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया। दिल्ली पुलिस ने मंत्री रहते हुए गिरफ्तार कर लिया था। उसके बाद उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था। यह मुकदमा अभी अदालत में है।
खाद्य आपूर्ति मामले में आसिम अहमद हुए बर्खास्त
आसिम अहमद केजरीवाल सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने इलाके में एक निर्माण के मामले में एक बिल्डर से रिश्वत मांगी। इस मामले में उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त किया गया। मामले की सीबीआइ जांच कर रही है।
सैक्स स्कैंडल के आरोप में मंत्री संदीप कुमार हुए बर्खास्त
नैतिकता की बात करने वाली आम आदमी पार्टी सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्री संदीप कुमार सैक्स स्कैंडल के आरोप में बर्खास्त किए गए, गिरफ्तार हुए। कई माह तिहाड़ जेल में रहे। अब जमानत पर हैं।
ईमानदार राजनीति का भ्रमजाल और आम आदमी पार्टी
जब यह देश दिनों दिन बढ़ रहे घोटालों से परेशान था, उस समय जन लोकपाल कानून को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के साथ लड़ाई शुरू करने वाले अरविंद केजरीवाल एक साफ सुथरी राजनीति का चेहरा बन कर उभरे। इस लड़ाई में वह आम जन जुड़ता चला गया जो भ्रष्टाचार से त्रस्त था और जो एक विकल्प चाहता था। इस विकल्प को अरविन्द केजरीवाल ने नाम दिया आम आदमी पार्टी का। 26 नवंबर 2012 को इस पार्टी की औपचारिक घोषणा की गयी थी। उस समय भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी कांग्रेस से आजिज जनता ने केजरीवाल और इनकी पार्टी पर आंख बंद करके भरोसा किया।
मगर सरकार बनते ही इस सरकार के रंग ढंग बदलने लगे और ऐसा लगने लगा जैसे यह भी किसी और सरकार से अलग नहीं है, क्योंकि केवल 7 मंत्रियों वाली सरकार में 20 और विधायकों को मंत्री पद का दर्जा दे दिया। ऐसा लग रहा है जैसे यह सरकार अपने आप ही नीचे आने के लिए उतावली है। सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, श्रम मंत्री गोपाल राय, पूर्व खाद्य मंत्री आसिम अहमद खान, विधायक अमानतुल्लाह भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हैं।
खुद को कानून का सबसे बड़ाा संरक्षक बताने वाले केजरीवाल आज सत्ता में आने के बाद बाबा साहेब के बनाए गए संविधान की धज्जियां उड़ाते रहे हैं। यही कारण हैं कि पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता भी चली गई है। अब दिल्ली में छह माह में इन सीटों पर उपचुनाव होना है। ऐसे में पार्टी के लिए इन सीटों पर चुनाव में जाना खासा मुश्किल भरा होगा। क्योंकि आप सरकार केंद्र सरकार से लड़ाई में उलझी रही है।
विधायक पिछले तीन साल में ऐसा कोई कार्य नहीं करा सके हैं जिसे वे अपनी उपलब्धि कह सकें। इन हालातों में आप के लिए यह उप चुनाव बहुत मुश्किल भरा होगा।