उत्तराखंड सरकार में तनातनी
रफी खान
उत्तराखंड प्रदेश में तिर्वेंद्र सिंह सरकार बने अभी एक साल भी पूरा नहीं हो पाया है और पार्टी विरोधी गुट लगातार तिर्वेंद्र सिंह नामी किले को ढहाने में और उनको सत्ताच्युत करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ रहा हे,यह अलग बात हे की अभी तक विरोधी गुट उनके किले में दरार तक नहीं बना पाया है पर असन्तुष्टो की बढ़ती फेहरिश्त कही न कही दिल्ली हाईकमान के माथे पर बल जरूर उत्पन्न कर रही हे !
देवभूमि के इस प्रदेश की यह बिडम्बना हैकी 17 सालो में राजनीती के पंडित नारायण दत्त तिवारी को छोड़कर एक भी मुख्यमंत्री चाहे कांग्रेस का रहा हो या बीजेपी का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है ! दोनों ही पार्टी के बड़े नेता सूबे के बजूद में आने से लेकर तिर्वेंद्र सरकार के पूर्व तक मुख्यमंत्री बदलने की बड़ी रस्म को अमलीजामा पहनाते रहे हैं, इसमें जहाँ पार्टियों के असंतुष्ट विधायकों ने अहम् किरदार अदा किया तो वही सूबे में पुरानी रस्म को एकबार फिर से दोहराने की कवायद तेज होती नजर आ रही हैं, सूत्र तो यहाँ तक बताते है की लगभग दो दर्जन पार्टी विधायक जिस तरह से तिर्वेंद्र की बादशाहत को कमजोर करने के लिए देवभूमि में साजिशे रच रहे हैं अगर ऐसा ही रहा तो एक बार पुन: प्रदेश की जनता को आने वाले समय में सीएम के रूप में कोई नया चेहरा देखने को मिल सकता है! इस सबके बाबजूद सबसे अहम् बात यह हे की मुख्यमंत्री तिर्वेंद्र सिंह रावत इस तरह फूंक फूंक कर कदम आगे बढ़ा रहे है कि विरोधी लॉबी चाहकर भी कोई बड़ा कारनामा अंजाम अभी तक नहीं दे पाई है, हालंाकि पूर्व में केबिनेट मंत्री व प्रदेश के कद्द्वार नेता डॉ हरक सिंह रावत नौकरशाही के बहाने जरूर तिर्वेंद्र सरकार पर निशाना सांधकर अपनी सरकार को कटघरे में खड़ा कर चुके है और समय समय में काशीपुर से बीजेपी विधायक हरभजन सिंह चीमा के विवादित बयान सरकार की मुश्किलें जरूर बढ़ाते रहे पर पार्टी हाईकमान ने इस चिंगारी को शोला बनने से पूर्व भी दबा दिया! वही यह भी माना जाता रहा हे की मुख्यमंत्री तिर्वेंद्र सिंह रावत की पार्टी आला कमान और संघ में गहरी पैठ होने के कारण वह किसी दबाब से नहीं झुकते और न ही वह किसी को अपने पर हॉबी होने देते हे इसके ऐवज में प्रदेश में बिना शक सरकार और विकास से जुड़े कार्य धीमे तो जरूर पड़े पर आला कमान की सख्त हिदायत के बाद बीजेपी लॉबी खुलकर परदे से बाहर आकर इस विषय में कुछ भी बोलने से इस लिए कतरा रही हे कही उनको विरोधी गुट में शामिल न कर दिया जाये! अगर सूत्रों की माने तो सीएम तिर्वेंद्र सिंह रावत के कट्टर विरोधियो में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री तथा वर्तमान सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक और बीसी खंडूरी परदे के पीछे जो स्क्रिप्ट लिख रहे हैं उससे तिर्वेंद्र का विरोधी तवका क्षत्रिय लॉबी को कही न कही फायदा पहुँचाता प्रतीत हो रहा है यही नहीं माना तो यह भी जा रहा है कि देहरादून जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी द्वारा दायर शिकायत जिसमे सीएम तिर्वेंद्र सिंह रावत को ढैंचा बीज घोटाला तथा चुनावी नामांकन पत्रावली में चुनाव आयोग को गुमराह करने और जानकारी छुपाने का जो आरोप लगाते हुए घेराबंदी कि जा रही हे उसकी स्क्रिप्ट कोई और नहीं बीजेपी के सिपहसालार ही बना रहे है कुलमिलाकर अपनी ही शतरंज के बजीरो के बीच घिरे बीजेपी सरकार के बादशाह तिर्वेंद्र सिंह रावत के लिए आने वाला समय बेहद मुश्किलों से भरा दिखाई प्रतीत हो रहा हे यदि समय रहते पार्टी के दिल्ली आला कमान ने यथा शीघ्र प्रदेश में चल रहे इस शह और मात के खेल में भाग नहीं लिया तो न केवल बीजेपी सरकार के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी हो जाएँगी बल्कि अगले साल (2019) में होने जा रहे देश की राजनीति के महामुकाबले में उत्तराखंड से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्मीदों को पलीता लग सकता है। अब देखना यह होगा कि बीजेपी आला कमान डायलॉग इंडिया के इस खुलासा के बाद देवभूमि की तिर्वेंद्र सरकार के लिए अपने ही बाजीगरों द्वारा पकाई जा रही इस खिचड़ी को पकने देता है या फिर उत्तराखंड में अपने ही वजीरो से घिरे तिर्वेंद्र को इस मुश्किल घडी में उभार देता है यह देखना दिलचस्प
होगा!