पांच राज्यों के चुनाव व लोकसभा चुनावों की आहट के बीच राजनीति नए उफान पर है। अंतत: भाजपा जाति की राजनीति की उलझनों से निकल हिंदुत्व की राजनीति पर आ ही गयी। मगर इस बदलाव में एक बड़ा उलटफेर हो गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जगह हिंदुत्व का नया चेहरा बन गए। अब मोदी पिछड़ों व दलितों के नेता हैं और विकास की राजनीति के पश्चिमी मॉडल के बड़े एजेंट, तो योगी प्रखर हिंदुत्व की मशाल को अयोध्या से उठाकर छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान में सुलगा चुके हैं। 15 वर्षों से सत्तारूढ़ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह व मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जो ‘एंटी इनकंबेंसी’ फेक्टर से जूझ रहे हैं, के लिए योगी आदित्यनाथ, मोदी से बड़ा सहारा बन चुके हैं। यूं तो छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी-मायावती गठजोड़ खड़ा कराकर अमित शाह व रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ के चुनावों को त्रिकोणीय बनाकर जीत की संभावनाएं बना दी थी, इनके बीच रमन सिंह की बरकरार छवि, मोदी के प्रभाव व योगी के हिंदुत्व वाले आभामंडल ने भाजपा को जीत के करीब पहुंचा दिया है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने कमलनाथ को पार्टी की कमान देकर पहले ही शिवराज सिंह की राह आसान कर दी थी उस पर कमलनाथ, दिग्विजय सिंह व ज्योतिरादित्य सिंधिया की आपसी लड़ाई ने कांग्रेस के लिए जीत की राह मुश्किल कर दी है। फिर कांग्रेस के मुकाबले भाजपा व संघ परिवार का सांगठनिक ढांचा कई गुना मजबूत है जो कांग्रेस को जमीनी पकड़ बनाने में मुश्किलें खड़ी कर रहा है। रही सही कसर कमलनाथ की मुस्लिमपरस्त बयानों वाले लीक वीडियो ने कर दी है। ऐसे में मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनना मुश्किल होता जा रहा है। राजस्थान में जहां कांग्रेस पार्टी की जीत सुनिश्चित समझी जा रही थी वहां भी भाजपा ने 50 से अधिक सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति पैदा कर दी है। यह आम आदमी पार्टी व बसपा के चुनावों में कूदने से नहीं हुआ बल्कि 6 दलों के बने गठबंधन के कारण हुआ है, जिसको भाजपा का परोक्ष समर्थन है। निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में बने इस गठबंधन ने कांग्रेस के वोट बैंक में बड़ी सेंध लगा दी है। इस कारण राजस्थान में कर्नाटक जैसी कांटे की लड़ाई का माहौल बन गया है। बाकी कांग्रेस नेता सीपी जोशी भी अपनी विवादित बयानबाजी से दिग्विजय सिंह, शशि थरूर आदि की तरह भाजपा को फायदा कराते हुए दिख रहे हैं। कांग्रेस तेलंगाना में अच्छी लड़ाई करती दिख रही है मगर अंतिम बाज़ी टीआरएस के हाथ ही लगने की संभावना है। मिजोरम भी चौंकाने वाले नतीजे दे सकता है।
देश की राजनीति में एक और बड़ी उलटबांसी देखने को मिल रही है, वो यह कि घोटालों के ढेर पर बैठी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी जो नेशनल हेराल्ड घोटाले वाले मामले में अदालत से बेल लिए हुए हैं, भ्रष्टाचार के विरुद्ध स्वयं को बड़ा लड़ाका सिद्ध करने पर तुले हैं और रह रह कर प्रधानमंत्री मोदी पर ‘चौकीदार चोर है’ कहकर राफेल डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। राहुल बिना दस्तावेजों व ठोस प्रमाणों के जिस तरह से आरोप दर आरोप लगाए जा रहे हैं वह उनके पद व गरिमा के विरुद्ध है। आश्चर्यजनक रूप से सीबीआई विवाद व रिजर्व बैंक व सरकार में चली उठापटक में भी कांग्रेस पार्टी परोक्ष रूप से पक्ष बनती नजऱ आई। दु:खद यह लगा कि वह देश हित की जगह यूपीए के समय हुए घोटालों की जांच प्रभावित करती, निजी हितों व प्रतिबद्धताओं के चलते दोनों संस्थाओं के अधिकारियों की अपने पक्ष में लॉबिंग करती दिख रही है। सरकार द्वारा इन संस्थाओं में बहुत समय से चल रही उठापटक व लेटलतीफी की खबरों के बाद भी देर से व आधे-अधूरे तरीके से की गई कार्यवाही भी प्रश्नों के घेरे में है।
कुल मिलाकर लोकसभा चुनावों से कुछ महीने पूर्व पांच राज्यों के चुनावों के बीच राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, राफेल, सीबीआई, आरबीआई, गंगा, गांव व किसानों आदि के मुद्दों पर कांग्रेस पार्टी प्रारंभिक तौर पर भाजपा व मोदी सरकार को बैकफुट पर लाने में सफल दिखी किंतु धीरे-धीरे ही सही भाजपा व केंद्र सरकार ने सही राह पकड़ ली। सबरीमाला व अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के रुख से भाजपा को जमीनी आंदोलन करने व हिंदुत्व के मुद्दे को पुन: मुख्यधारा में लाने का मौका मिल गया जिससे उसका नाराज वोटबैंक साथ आ खड़ा हुआ। राफेल व सीबीआई मुद्दे की हवा सुप्रीम कोर्ट ने ही निकाल दी, वहीं रिजर्व बैंक व सरकार ने भी बीच का रास्ता निकाल लिया। किसानों को भी जितना पिछले चार साल में मोदी सरकार में मिला है, उतना इससे पूर्व कभी नहीं मिला। ऐसे में कांग्रेस चाह कर भी देश मे एक बड़ा किसान आंदोलन खड़ा नहीं करवा पा रही है। कश्मीर में भी कांग्रेस, पीडीपी व नेशनल कांफ्रेंस की मिलीजुली सरकार को विधानसभा भंग कर राज्यपाल ने ही पलीता लगा दिया। इनके बीच ज मू कश्मीर व उत्तराखंड के स्थानीय निकायों के चुनावों में भाजपा को निर्णायक बढ़त मिलने से उनका उत्साह बढ़ा है।
कुल मिलाकर उठापटक व उतार चढ़ाव की इस दिलचस्प मगर निचले स्तर की राजनीति के बीच मोदी सरकार की नैया बढ़ती जा रही है। अगर भाजपा छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान में दो भी राज्य जीत लेती है तब भी मोदी सरकार लोकसभा चुनावों में मजबूत स्थिति में होगी और कांग्रेस जिसके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं वह भी मजबूत होकर उभरेगी। ऐसे में लोकसभा चुनाव बहुत दिलचस्प व संघर्षपूर्ण होना तय है।
By Anuj Agarwal
Editor