७१वें वार्षिक निरंकारी संत समागम में
निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी का उद्घोष
२६ नवंबर, २०१८: संसार के लोगों में किंतनी भी विभिन्नता क्यों न हो वे सारे एक ही परमपिता परमात्मा की संतान हैं | जब यह बोध लोगों के मनों में प्रवेश करता है तब उसके मन में ईश्वर की प्रत्येक रचना के प्रति निस्वार्थ प्रेम और आदर-सत्कार की भावना उत्पन्न होती है और अनेकता में एकता की अवधारणा साकार हो उठति है | संत निरंकारी मिशन यह संदेश मिशन संपूर्ण विश्व में फैलाना चाहता है |
उक्त उद्गार संत निरंकारी मिशन के आंतर्राष्ट्रीय स्तर के ७१वें वार्षिक संत समागम के उद्घाटन पर २४ नवंबर के दिन मानवता के नाम संदेश में निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी ने व्यक्त किए | हरियाणा के समालखा और गनौर के बीच में जी.टी.रोड पर स्थित निरंकारी आध्यात्मिक स्थल पर पहली बार आयोजित इस ३-दिवसीय समागम में भारत तथा दूर देशों से करीब पांच लाख से भी अधिक श्रद्धालु भक्त सर्वशक्तिमान ईश्वर के प्रति समर्पित पावन भावनाओं को धारण करते हुए सम्मिलित हुए हैं| समागम के विभिन्न दृश्यों से मिशन की विचारधारा परिलक्षित हो रही है जिससे निष्काम प्रेम और विश्वबंधुत्व की भावना छलक रही है |
सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के समागम स्थल पर आगमन होते ही संत निरंकारी मंडल के प्रधान श्री गोबिंद सिंह जी और मंडल के केन्द्रीय योजना एवं सलाहकार बोर्ड के चेअरमन श्री के.आर.चड्ढा जी ने समस्त साध संगत की ओर से सद्गुरु माता जी का फूलों के गुलदस्ते भेंट करके हार्दिक स्वागत किया और उसके तुरंत बाद सद्गुरु माता जी को एक शोभा यात्रा के रुप में मुख्य प्रवेश द्वार से मुख्य मंच तक ले जाया गया | सद्गुरु माता जी एक खुले वाहन पर खड़े होकर भक्तों का अभिवादन स्वीकार करते हुए उन्हें आशीर्वाद प्रदान कर रहे थे | इस शोभा यात्रा में मिशन के समागम के प्रबंधक और देश-दूर देशों से आये हुए मिशन के महापुरुष सम्मिलीत हुए |
परमपूज्य सद्गुरु माता जी ने कहा, “संत निरंकारी मिशन द्वारा सामाजिक जिम्मेदारीयाँ भी संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के माध्यम से वृक्षारोपण तथा सफाई अभियान जैसे विभिन्न सामाजिक गतिविधियों के द्वारा निभाई जा रही हैं जिससे यह संसार निर्मल और शांतिपूर्ण बन पाये |”
अमृतसर के निकट सत्संग कार्यक्रम में ग्रेनेड द्वारा हुए हमले का जिक्र करते हुए सद्गुरु माता जी ने कहा कि इससे मृतकों के परिवारों तथा घायल भक्तों की श्रद्धा भक्ति एवं विश्वास में कोई कमी नहीं आई है | उनमें से कुछ भक्त तो आज इस समागम में पहुंच भी चुके हैं | निरंकार से प्रार्थना हे कि बाकी भी जल्द ही स्वस्थ होकर उसी तरह सत्संग में भाग लें जैसे पहले लेते थे |
यह सन्त समागम मिशन के पूर्व प्रमुख सद्गुरु माता सविंदर हरदेव जी महाराज के प्रति समर्पित किया जा रहा है जिन्होंने गत ५ अगस्त २०१८ को अपने नश्वर शरीर का त्याग किया | समागम का मुख्य विषय “माँ सविंदर – एक रोशन सफर” रखा गया है | इस विषय द्वारा माता सविन्दर जी द्वारा दी गई शिक्षाओं पर बल दिया जा रहा है कि ब्रह्मज्ञान को अपने दैनिक जीवन में अपनायें ताकि प्रेम, करुणा, शान्ति, सहनशीलता एवं एकता जैसे मानवीय मूल्य हमारे जीवन से परिलक्षित हों |
समागम के पहले दिन के खुले सत्र में उपस्थित लाखों के जनसागर को सम्बोधित करते हुए सद्गुरु माता जी ने कहा कि सत्संग कोई रस्म नहीं बल्कि ये एक ज्ञानी सन्तजनों का अद्वितीय मिलन है | जब वे अपने निजी आध्यात्मिक अनुभव से बोलते हैं तो उनके हर शब्द से हमें प्रेरणा प्राप्त होती है | इसलिए हमें उन्हें बड़े ध्यान से सुनना चाहिए |
सद्गुरु माता जी ने बताया कि जब हम प्रत्येक संत में निरंकार प्रभु का रुप देखते हैं और समीप बैठे सन्त के प्रति नतमस्तक होते हैं तो हमें आशीर्वाद मिल जाता है | सद्गुरु माता जी ने कहा कि एक बुझा हुआ दीपक भी जले हुए दीपक से पुन: प्रज्ज्वलित किया जा सकता है | सद्गुरु माता जी ने निरंकारी भक्तों को संदेश दिया कि वे अपने जीवन में निरंतर सत्संग, सेवा, सिमरण करते रहें |
हरियाणा के मुख्य मंत्री समागम में पधारे
समागम के आरंभिक सत्र में हरियाणा के मुख्य मंत्री माननीय श्री मनोहर लाल जी पधारे | उनके साथ परिवहन मंत्री माननीय श्री कृष्ण लाल पंवार जी एवं अन्य गणमान्य अतिथि भी थें | संत निरंकारी मण्डल के प्रधान श्री गोबिन्द सिंह जी ने माननीय मुख्य मंत्री महोदय का शॉल पहनाकर हार्दिक स्वागत किया |
इस अवसर पर अपने भाव व्यक्त करते हुए माननीय मुख्य मंत्री जी ने हरियाणा की पावन भूमि में मिशन का यह आंतर्राष्ट्रीय सन्त समागम आयोजित करने पर सद्गुरु माता जी का आभार प्रकट किया | आपने कहा कि पूरे भारतवर्ष से एवं विश्व के ७० अन्य देशों से आये हुए भक्तों का यह संत समागम हरियाणा का सबसे बड़ा कार्यक्रम है | संत निरंकारी मिशन का सन्देश आज पूरे विश्व की जरुरत है |
मिशन की विचारधारा की चर्चा करते हुए श्री मनोहर लाल जी ने बताया कि आज जब हर मनुष्य अपनी स्वार्थ सिद्धी के लिए कोई भी उचित-अनुचित तरीके अपनाता है, वहां सद्गुरु माता सुदीक्षा जी की रहनुमाई में संत निरंकारी मिशन शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का संदेश देकर मानवता की भावना से युक्त होकर महान सेवा कर रहा है | उन्होंने कहा कि केवल संत ही हमें निरोल सच्चाई के मार्ग पर अग्रसर कर सकते हैं और प्रत्येक मानव को मानवीय मूल्यों से युक्त सुंदर समाज के निर्माण की प्रेरणा दे सकते हैं |
सेवादल रैली
समागम के दूसरे दिन प्रात: सेवादल रैली एक मुख्य आकर्षण था जिसमें पूरे देश से आये हुए सेवादल के हजारों बहन भाईयों ने अपनी वर्दी पहन कर भाग लिया | दूर देशों से आये सेवादल ने भी उनकी अपनी वर्दी पहन कर रैली में भाग लिया | कुछ शारीरिक व्यायाम के बाद उन्होंने मिशन के संदेश पर आधारित कुछ शारीरिक करतब प्रस्तुत किए और सेवा को ईश्वर और सद्गुरु के प्रति भक्तिभाव प्रकट करने के प्रभावी साधन के रुप में दर्शाया |
सेवादल रैली को अपने आशीर्वाद प्रदान करते हुए सद्गुरु माता सुदीक्षा जी ने कहा कि सेवादल मिशन की आन, बान और शान है | आपने कहा कि निरंकारी राजमाता जी, बाबा हरदेव सिंह जी और हजारों भक्तों ने मिशन की सेवा करने के लिए सेवादल की वर्दी पहनी | सेवादल सदस्यों ने पहनी हुई वर्दी का पूरा सम्मान करना है |
इसके पूर्व, संत निरंकारी मंडल के महासचिव तथा सेवादल के मेम्बर इंचार्ज श्री वी डी नागपाल जी ने सेवादल को हर प्रकार के आशीर्वाद प्रदान करने के लिए सद्गुरु माता जी के चरणों में प्रार्थना की ताकि समर्पण एवं सहयोग की भावना से वे निरंतर मिशन की सेवा करते रहें |
समागम के दूसरे दिन के खुले सत्र को सम्बोधित करते हुए संत निरंकारी मिशन की आध्यात्मिक प्रमुख सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने संत के जीवन की व्याख्या करते हुए कहा कि संत हमेशा जीवन के हर क्षेत्र में कृतज्ञता का भाव धारण करते हैं | मानवीय मूल्यों के महत्व पर बल देकर सद्गुरु माता जी ने कहा कि इनका प्रयोग एकत्व के पुल बनाने में हो न कि दूरीयों की दीवारें बनाने में| और यह ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने से ही सम्भव है |
मिशन के पूर्व गुरुओं ने सदैव मानव-मात्र के प्रति निष्काम प्रेम की सिखलाई दी है, इसे अपने जीवन में अपनाते हुए भक्तों ने निष्काम भाव तथा दृढ़ता से मानवता के प्रति लगातार योगदान देते रहने की प्रेरणा सद्गुरु माता जी ने भक्तों दी | सद्गुरु माता जी ने याद दिलाया कि बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने पूरे विश्व में सद्भावपूर्ण एकता का सपना देखा था |
समागम के दौरान भक्तों ने “माँ सविंदर – एक रोशन सफर” इस विषय पर आधारित गीत, व्याख्यान, कविताओं के द्वारा अपने भाव पंजाबी, हिंदी, तेलुगू, मल्याळम, मराठी, अंग्रेजी, मुलतानी, छत्तीसगढ़ी, संस्कृत, सिंधी, पहाड़ी, बंजारा, राजस्थानी, भोजपुरी, बंगाली आदि भाषाओं का सहारा लेते हुए व्यक्त किए |
समागम के आखरी दिन एक बहुभाषी कवी संमेलन द्वारा समागम का समापन हुआ जिसका विषय था “रोशन सफर जी के खुद माँ सविन्दर, जीने का ढंग हमें सिखला गये”|