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Author: Dialogue India

सर्वाइकल कैंसर” से मौत और भारत

सर्वाइकल कैंसर” से मौत और भारत

TOP STORIES, राष्ट्रीय
सरकार  भले ही  कुछ भी कहे, देश स्वास्थ्य के इस गंभीर मामले में काफी पीछे है | मेरे सामने एक रिपोर्ट है, जो भारत में सर्वाइकल कैंसर की दशा, गंभीरता  और सरकारी प्रयास को दर्शाती है | इस रिपोर्ट के आंकड़े साफ-साफ कहते हैं की एशिया में सर्वाइकल कैंसर के सबसे अधिक मरीज भारत में हैं| यह अध्ययन प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका  “लांसेट” का है | ‘लांसेट’ का यह ताजा अध्ययन है और इस अध्ययन  के अनुसार, इस बीमारी से होने वाली 40 प्रतिशत मौतों में से 23 प्रतिशत भारत में और 17 प्रतिशत चीन में होती हैं| बीते वर्ष 2020 में दुनियाभर में इस कैंसर के छह लाख से अधिक मामले सामने आये थे और 3.41 लाख से अधिक मौतें हुई थीं| इनमें से 21 प्रतिशत मामले भारत में ही आये थे| एशिया में यह आंकड़ा 58 प्रतिशत से अधिक का है| इस रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि महिलाओं में सबसे अधिक होने वाले कैंसर के प्रकारों में सर्वाइकल क...
जाति व्यवस्था से ज्यादा हीन या श्रेष्ठ मानना एक समस्या है।

जाति व्यवस्था से ज्यादा हीन या श्रेष्ठ मानना एक समस्या है।

सामाजिक
जाति आधारित व्यवसाय कोई समस्या नहीं है लेकिन एक व्यवसाय को हीन या श्रेष्ठ मानना एक समस्या है। हर पेशे का सम्मान होना चाहिए। महात्मा गांधी की "ब्रेड लेबर" (हर किसी को कुछ शारीरिक श्रम करना चाहिए) और "ट्रस्टीशिप" (पूंजीपतियों का समाज के प्रति ऋण) की अवधारणा इसी पर आधारित है। इससे जाति आधारित समस्याओं को एक हद तक कम किया जा सकता है। लोगों के दिमाग से अंतर्विवाह और शुद्ध रक्त की प्रथा को मिटा देना चाहिए। सभी को जाति, धर्म या किसी अन्य पहचान के बावजूद व्यक्ति से विवाह करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। यह पहचान आधारित समस्याओं को भी कम कर सकता है। जाति व्यवस्था कोई अभिशाप नहीं है। लेकिन एक जाति को श्रेष्ठ या प्रभुत्वशाली मानने को बंद कर देना चाहिए। जाति को निजी स्थान तक सीमित रखा जाना चाहिए और सार्वजनिक डोमेन में नहीं लाना चाहिए। साक्षरता का स्तर बढ़ाना और मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना ...
the end of your ambition

the end of your ambition

TOP STORIES, विश्लेषण
आप की महत्वाकांक्षा का अंत गुजरात प्रदेश के विधानसभा चुनाव आप पार्टी के मुखिया श्री अरविन्द केजरीवाल जी को दर्पण दिखाने के लिए पर्याप्त होने चाहिए। उनकी महत्वाकांक्षा देश में मोदी जी के समकक्ष अपना स्थान बनाने की थी। इस चुनाव के पश्चात सम्भवतया उनको अपनी वास्तविक स्थिति का अहसास हो जाना चाहिए। उन्हें इसका भी संज्ञान हो जाना चाहिए कि मोदी जी आज माउंट एवरेस्ट के समान भारतीय राजनीति के सर्वोच्च शिखर पर पहुँच चुके हैं, अतः उनके समकक्ष स्वयं को स्थापित करने की कल्पना करना भी केजरीवाल जी के लिए आज की परिस्थिति में कदापि सम्भव नहंी है। केजरीवाल जी को यह समझना नितान्त आवश्यक है कि दिल्ली के नगर निगम के चुनावों की जीत और पंजाब विधानसभा चुनाव की जीत मात्र ही मोदी जी को हराना कदापि नहीं है, क्योकि पंजाब में सरकार कांग्रेस की थी और वहाँ पर कांग्रेस की छवि आपसी कलह के कारण अत्यधिक धूमिल हो चुकी ...
अमेरिका में बज रहा भारत का डंका

अमेरिका में बज रहा भारत का डंका

समाचार
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* भारतीय मूल के लगभग दो करोड़ लोग इस समय विदेशों में फैले हुए हैं। लगभग दर्जन भर देश ऐसे हैं, जिनके राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री वगैरह भारतीय मूल के हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक तो इसके नवीनतम उदाहरण हैं। भारतीय लोग जिस देश में भी जाकर बसे हैं, वे उस देश के हर क्षेत्र में सर्वोच्च स्थानों तक पहुंच गए हैं। इस समय दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति और महासंपन्न देश अमेरिका हैं। अमेरिका में इस समय 50 लाख लोग भारतीय मूल के हैं। दुनिया के किसी देश में इतनी बड़ी संख्या में जाकर भारतीय लोग नहीं बसे हैं। इसके कारण भारत से प्रतिभा-पलायन जरुर हुआ है लेकिन अमेरिका के ये भारतीय मूल के नागरिक सबसे अधिक संपन्न, सुशिक्षित और सुखी लोग हैं, ऐसा कई सर्वेक्षणों ने सिद्ध किया है। यदि अमेरिका में 200 साल पहले से भारतीय बसने शुरु हो जाते तो शायद अमेरिका भी मोर...
सेना के साथ पूरा देश भी लड़े धूर्त चीन से

सेना के साथ पूरा देश भी लड़े धूर्त चीन से

TOP STORIES, राष्ट्रीय
आर.के. सिन्हा भारत के जाबांज सैनिकों ने पिछली 9 दिसंबर को चीन के गले में अंगूठा डाल दिया था। बात-बात पर धौंस जमाने वाले चीन को गलवान के बाद भारत ने तवांग में उसकी कायदे से अपनी औकात समझा दी। भारतीय सैनिकों ने चीनियों की कसकर भरपूर धुनाई की। लेकिन तवांग में चीन ने जो कुछ देखा वो तो महज एक झांकी है। जरूरत पड़ी तो भारत कसकर चीन को कसने के लिये तैयार है। पर यह कहना होगा कि भारत और चीन के बीच की जंग दुनिया की सबसे कठिन जंग होगी। दोनों देशों ने आपस में समझौता कर रखा है कि बंदूक़ तो बंदूक़ कोई तलवार तक नहीं निकालेगा म्यान से। हाँ गदा युद्ध हो सकता है। मल्ल युद्ध हो सकता है। 1967 में में नाथूला की जंग में चीन के चार सौ से अधिक सैनिक मारे गए थे तब से चीन बंदूकबाज़ी से डरता है और भारत तो हमेशा से उदारमना है ही। गौतम बुद्ध और गांधी का देश भारत तो किसी से खुद तो पंगा लेता ही नहीं है। दूसरी तरफ़ मै...
आध्यात्मिक एवं धार्मिक जगत के भक्त एवं भजन सम्राट

आध्यात्मिक एवं धार्मिक जगत के भक्त एवं भजन सम्राट

संस्कृति और अध्यात्म
नरसी मेहता की जन्म जयन्ती- 19 दिसम्बर, 2022 के लिये विशेषसंत शिरोमणि नरसी मेहताआध्यात्मिक एवं धार्मिक जगत के भक्त एवं भजन सम्राट-ः ललित गर्ग:-भगवान श्रीकृष्ण भक्ति में सराबोर भक्तों की लम्बी शृंखला में नरसी मेहता का नाम सर्वोपरि है। उनकी निश्छल और चरम भक्ति इतनी प्रभावी रही है कि श्रीकृष्ण से सीधे सम्पर्क में रहे, उनका उनके साथ सीधा संवाद होता था। उनके भक्ति रस से आप्लावित भजन आज भी जनमानस को ढांढस बंधाते हैं, धर्म का पाठ पढ़ाते हैं और जीवन को पवित्र बनाने की प्रेरणा देते हैं। उनके भजनों में जीवंत सत्यों का दर्शन होता है। जिस प्रकार किसी फूल की महक को शब्दों में बयां करना कठिन है, उसी प्रकार गुजराती के इस शिखर संतकवि और श्रीकृृष्ण-भक्त का वर्णन करना भी मुश्किल है। उनकी भक्ति इतनी सशक्त, सरल एवं पवित्र थी कि श्रीकृष्ण को अनेक बार साक्षात प्रकट होकर अपने इस प्रिय भक्त की सहायता करन...
माधवराव सिंधिया की ‘डायरी’ याद आई!

माधवराव सिंधिया की ‘डायरी’ याद आई!

समाचार
*विनीत नारायणदिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का टर्मिनल 3 भीड़ और अव्यवस्था को लेकर सुर्ख़ियों में है। वहाँ पर सवारियोंकी लंबी कतारें और बदहाली के चित्र व वीडियो सोशल मीडिया में कई दिनों से छाए हुए हैं। जैसे ही इस मामले ने तूलपकड़ा तो आनन-फ़ानन में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हरकत में आए। वे स्थिति का जायज़ा लेनेअचानक टी 3 पर पहुँच गए। वहाँ उन्होंने सभी विभागों के अधिकारियों को कई निर्देश दे डाले। यात्रियों को भी भरोसादिलाया कि स्थिति बहुत जल्द नियंत्रण में आ जाएगी। उनकी इस पहल को देख उनके स्वर्गवासी पिता और केंद्रीय मंत्रीमाधवराव सिंधिया की ‘डायरी’ याद आ गई।दरअसल, जब माधवराव सिंधिया 1986-89 तक भारत के रेल मंत्री थे तो मैं रेल मंत्रालय कवर करता था। वहाँ के वरिष्ठअधिकारी रेल मंत्री माधवराव सिंधिया की ‘डायरी’ से बहुत घबराते थे। जब भी कभी सिंधिया जी अ...
शिक्षा से खिलवाड़ करने वाले शिक्षकों के दाग -ः ललित गर्ग:

शिक्षा से खिलवाड़ करने वाले शिक्षकों के दाग -ः ललित गर्ग:

समाचार, सामाजिक
राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने एवं तरह-तरह के कानूनों के प्रावधानों के बावजूद आजादी का अमृत महोत्सव मना चुके राष्ट्र के शिक्षा के मन्दिर बच्चों पर हिंसा करने, पिटने, सजा देने के अखाडे़ बने हुए है, शिक्षक अपनी मानसिक दुर्बलता एवं कुंठा की वजह से बच्चों के प्रति बर्बरता की हदें लांघ रहे हैं। आम आदमी पार्टी की सरकार शिक्षा में अभिनव क्रांति करने का ढ़िढोरा पीट रही है, लेकिन अपने शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं पर सवार हिंसा की मानसिकता को दूर करने का कोई सार्थक उपक्रम नहीं कर पायी है। यही कारण है कि दिल्ली में एक प्राथमिक विद्यालय की एक शिक्षिका ने पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक बच्ची को न केवल बुरी तरह पीटा, बल्कि कैंची से वार करते हुए उसे पहली मंजिल से नीचे फेंक दिया। ऐसी क्रूर, हिंसक एवं बर्बर घटना को अंजाम देने वाली शिक्षिका को बच्चों को पढ़ाने-लिखाने लायक माना जा सकता है? बात केवल दिल्ली...
मोटे अनाज पर जीवित देश के नागरिक हलकान

मोटे अनाज पर जीवित देश के नागरिक हलकान

TOP STORIES, विश्लेषण
देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा मोटे अनाज पर जी रहा है | दुर्भाग्य,मोटे अनाज की खुदरा महंगाई दर घटने का नाम नहीं ले रही है, कहने को कुल मिलाकर खाद्य महंगाई दर में नरमी आई है, परन्तु  खराब मौसम की मार से इन अनाजों  का उत्पादन घटा है, जो इस असंतुलन का बड़ा कारण है।आंकड़े कहते हैं, इस  नवंबर में मोटे अनाज की महंगाई दर अक्टूबर महीने के 12.08 प्रतिशत से बढ़कर नवंबर में 12.96 प्रतिशत हो गई। ऐसा तब हुआ है, जब समग्र महंगाई दर 11 महीनों में पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 6 प्रतिशत के लक्ष्य के भीतर आ गई। खाद्य महंगाई दर भी 11 महीने के सबसे निचले स्तर 4.67 फीसदी पर आ गई है। गेहूं की खुदरा महंगाई दर अक्टूबर के 17.64 प्रतिशत से बढ़कर नवंबर में 19.67 प्रतिशत प्रतिशत हो गई। साल की शुरुआत में यह महज 5.1 प्रतिशत थी और चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में बढ़कर 9.59 प्रतिशत हो गई। उ...
बदलिए, शिक्षा जगत की तदर्थ तस्वीर को

बदलिए, शिक्षा जगत की तदर्थ तस्वीर को

सामाजिक
देश के शिक्षा जगत की तस्वीर बहुत उज्जवल नहीं है | स्कूलों से लेकर देश के उच्च शिक्षा के केंद्र शिक्षकों की कमी से गुजर रहे हैं | मध्यप्रदेश सरकार ने आगामी विधानसभा चुनाव को दृष्टि में रखकर स्कूलों में रिक्त विभिन्न श्रेणी के अध्यापकों के पद भरने के आश्वासन को हकीकत में बदलने का निर्णय लिया है, आगामी ३० दिसम्बर से सरकार इसमें जुट रही है | वैसे देखा जाये तो स्कूल से लेकर  केंद्रीय विश्वविद्यालयों, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) उच्च शिक्षा के श्रेष्ठ एवं आधारभूत संस्थान  शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं|   देश की प्रगति में स्कूल से लेकर इन शिक्षा और  शोध व अनुसंधान केन्दों का योगदान किसी से छिपा नहीं है | सरकार राज्य की हो या केंद्र की महत्वपूर्ण योगदान वाले इन संस्थानों अपनी विचारधारा के अनुरूप चलाना चाहती है , इससे ही इन रिक्तियों का नि...