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समग्र विकास को लक्षित बजट

अवधेश कुमार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट में आयकर सीमा की वृद्धि तथा स्लैब में परिवर्तन सबसे ज्यादा सुर्खियां पाया है। किंतु बजट को संपूर्णता में समझने के लिए उनके बजट भाषण के आरंभिक अंश का उल्लेख आवश्यक है। बजट भाषण का आरंभ करते हुए उन्होंने कहा कि अमृत काल का यह पहला बजट आजादी के 100 साल बाद भारत की परिकल्पना का बजट है। इसके बाद उन्होंने इस बजट के सात आधार बताएं और इसे सप्तर्षी नाम दिया। यह साफ आधार है 1. समावेशी विकास, 2. वंचितों को वरीयता, 3. बुनियादी ढांचे और निवेश, 4. क्षमता विस्तार 5. हरित विकास, 6. युवा शक्ति, एवं 7. वित्तीय क्षेत्र। सप्तर्षी के विवरण के साथ उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि बजट यानी सरकार का आर्थिक एजेंडा नागरिकों के लिए अवसरों को सुविधाजनक बनाने, विकास और रोज़गार सृजन को तेज़ गति प्रदान करने और व्यापक आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने पर केंद्रित है। बजट की इस वैचारिक और सैद्धांतिक रूपरेखा में नरेंद्र मोदी सरकार के सामाजिक – आर्थिक सांस्कृतिक यानी समग्र विकास का पूरा विज़न निहित है। स्वतंत्रता के इस अमृत वर्ष में भारत के लिए शताब्दी वर्ष तक विश्व की सर्वप्रमुख विकसित राष्ट्र बनने की ठोस आधारभूमि तैयार करने के बात स्वयं प्रधानमंत्री कहते रहे हैं। इस दृष्टिकोण का अमृत काल में यह पहला बजट है। लक्ष्य बड़े हों तो चुनौतियां भी बड़ी होतीं हैं। वैसे भी इस समय अर्थव्यवस्था के समक्ष बाह्य चुनौतियां बहुत ज्यादा हैं। प्रमुख देशों की आर्थिक गति कमजोर है। वैश्विक संस्थाएं पूरे परिदृश्य को देखते हुए विश्व के विकास दर के संदर्भ में आंकड़ा देने में ज्यादा सतर्कता बरत रहीं हैं। प्रमुख देशों का महंगाई दर कई दशकों का रिकॉर्ड पार कर गया है। अमेरिकी डॉलर ऐतिहासिक रूप से मजबूत हुआ।

लेकिन भारत के के साथ सकारात्मक पहलू यह है कि विश्व के सबसे तेजी से विकसित होने वाले अर्थव्यवस्था के रूप में वैश्विक संस्थाएं इसे निरूपित कर चुकी हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में 6.5 प्रतिशत के विकास दर का आकलन है। तो सरकार के समक्ष सबसे बड़ा लक्ष्य विकास दर को कायम रखते हुए उसको ऊपर ले जाना है। विकास हवा में नहीं होता। समाज के सभी वर्गों की आर्थिक ताकत मजबूत होगी तभी विकास ठोस माना जाएगा। इसमें अगर पहले से बेहतर कर रही कृषि को और उछाल देने की कोशिश है तो आधारभूत संरचनाओं को मजबूती दी गई है तथा सामाजिक उत्थान या कल्याण कार्यक्रमों पर भी पूरा जोर है। उदाहरण के लिए कृषि। डेयरी और मत्स्यपालन पर ध्यान देते हुए कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये किया गया है। यह रिकॉर्ड है।कृषि से जुड़े स्टार्ट अप्स को प्राथमिकता देने वाली स्पष्ट नीति की घोषणा है। युवा उद्यमियों द्वारा कृषि-स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिए एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड बनाया जाएगा। अन्य क्षेत्रों में स्टार्ट की बात होती थी लेकिन कृषि क्षेत्र में यह कदम पहले नहीं उठाया गया था। इसके लिए कृषिवर्धक नीति शब्द दिया गया। किसानों के लिए अब किसान डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा। यहां किसानों के लिए उनकी जरूरत से जुड़ी सारी जानकारियां उपलब्ध होंगी। सरकार ने मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए अलग से योजना की शुरुआत की है। इसे श्री अन्न योजना नाम दिया गया है। इसके जरिए देशभर में मोटे अनाज के उत्पादन और उसकी खपत को बढ़ावा दिया जाएगा। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स की स्थापना निश्चित रूप से इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। मछुआरों के लिए विशेष पैकेज है। मत्स्य संपदा की नई उपयोजना में 6000 करोड़ के निवेश का फैसला लिया है। इसके जरिए मछुआरों को बीमा कवर, वित्तीय सहायता और किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा भी प्रदान की जाती है।

आप देखेंगे कि ग्रामीण संसाधनों का उपयोग करके ग्रामीण विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तेज़ी से बढ़ावा देना है। 2,516 करोड़ रुपये के निवेश से 63,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों का कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है। इनके लिए राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। बड़े पैमाने पर विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता स्थापित की जाएगी, इससे किसानों को अपनी उपज को स्टोर करने और अपनी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी। सरकार अगले 5 वर्षों में वंचित गांवों में बड़ी संख्या में सहकारी समितियों, प्राथमिक मत्स्य समितियों और डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना करेगी। सरकार ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। अगले 3 वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए मदद मुहैया कराएगी। 10,000 जैव इनपुट संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। प्रधानमंत्री स्वयं उर्वरकों के रूप में अत्यधिक रसायन को हतोत्साहित करने की बात कहते रहे हैं। इस बजट में वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए पीएम प्रणाम योजना की शुरूआत । गोबरधन योजना के तहत 500 नए संयंत्रों की स्थापना की जाएगी।इसके लिए बजट में 10 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। सारी योजनाओं और प्रावधानों को देखने के बाद सरकार कृषि को उसकी क्षमता के अनुरूप विकास का स्थान देना चाहती है इसमें किसी को संदेह नहीं हो सकता।

हालांकि आर्थिक सर्वे में कहा गया कि कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ा है लेकिन सच यही है कि उसका प्रतिशत अत्यंत कम है। निजी क्षेत्र अपेक्षा के अनुरूप आगे नहीं आया। खासकर तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद निजी क्षेत्र कृषि में पूंजी लगाने से बच रहा है। इसलिए सरकार ने स्वयं अपनी जिम्मेवारी समझी है। यह अलग बात है कि निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की भी घोषणा है। यही बात अन्य क्षेत्रों में भी लागू होती है। पूंजीगत व्यय में 33% की वृद्धि है। 10 लाख करोड़ का पूंजीगत व्यय बहुत बड़ा है। इसका मतलब यह हुआ कि अभी तक आधारभूत संरचना में भी निजी क्षेत्र अपेक्षा अनुरूप आगे नहीं आया। सरकार ने अनुभव के अनुरूप स्वयं इसे हाथ में लेने की कोशिश की है। खाद्यान्न और बंदरगाहों को जोड़ने पर विशेष ध्यान है। 50 अतिरिक्त एयरपोर्ट, हेलिपैड, वाटर एयरोड्रोम का नवीनीकरण किया जाएगा ताकि क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया जा सकता है। निजी स्रोतों से 15,000 करोड़ रुपये सहित कुल 75,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ स्टील, बंदरगाहों, उर्वरक, कोयला, खाद्यान्न क्षेत्रों के लिए 100 महत्वपूर्ण परिवहन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की पहचान की गई है। बजट को देखें तो इसमें साफ दिखाई देता है कि समाज के सभी तबके, जिसमें के निचले तबके के उन्नति तथा उसकी जेब में पैसा पहुंचाने की जबरदस्त योजनाएं हैं। उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना का बचत 66% बढ़ाकर 79 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया है। यह बहुत बड़ी राशि है। हम जानते हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना का धन सीधे लाभार्थी के खाते में जाता है। कल्पना करिए 79 हजार करो रुपए 1 वर्ष में लोगों के खाते में जाएगा तो इससे विकास को कितनी गति मिल सकती है। आवास क्षेत्र की गति से विकास का हर क्षेत्र गतिमान होता है। युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय अवसरों के लिए कौशल प्रदान करने के लिए 30 स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर बनाए जाएंगे। स्टार्टअप्स और शिक्षण संस्थानों के इनोवेशन और अनुसंधान को सामने लाने के लिए नेशनल डेटा गर्वर्नेंस नीति लाई गई है। इससे महत्वपूर्ण डेटा तक सबकी पहुंच आसान बनेगी। युवाओं के लिए अलग-अलग राज्यों में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का चौथा फेज लॉन्च किया जाएगा। शिल्पकारों और कारीगरों के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान नए चेन्नई युग की शुरुआत हो सकती है। उन्हें स्किल ट्रेनिंग दी जाएगी, ब्रांड प्रमोशन हो सकेगा।उनकी बनाई चीजों की गुणवत्ता में सुधार आएगा और बाजार तक उनकी पहुंच बढ़ेगी। स्वाभाविक ही इससे बड़े पैमाने पर महिलाओं, दलितों और अन्य पिछड़ा वर्ग को फायदा मिलेगा।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समय की मांग है । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए तीन उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना होगी। ये तीन अलग-अलग प्रमुख संस्थानों में स्थापित होंगे। कृषि, स्वास्थ्य और शहरी विकास के लिए यहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम होगा। इस बजट एक बड़ा आकर्षण भारत और वैश्विक दृष्टि से हरित उद्घोषणा है। हरित ईंधन, हरित ऊर्जा, हरित खेती जैसी कई योजनाएं के साथ हरित जीवन की ओर बढ़ने का लक्ष्य घोषित किया गया। कितना होगा इसे लेकर भले संदेह हो पर इन हरित प्रयासों से कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद मिली है और ग्रीन जॉब के मौके बढ़ रहे हैं।

इस तरह नरेंद्र मोदी सरकार के इस कार्यकाल का अंतिम पूर्ण और अमृत काल का पहला बजट समग्र विकास के उस बड़े लक्ष्य की ओर अग्रसर है जिसमें माना गया है अपनी सभ्यता और संस्कृति की पहचान को ठोस आधार देते हुए पारंपरिक शिल्पकारों , कारीगरों जैसे आम आदमी से लेकर मध्यम वर्ग, कर्मचारी ,कारोबारी, उद्योगपति सबकी आर्थिक ताकत बढ़ेगी तो भारत निश्चित रूप से अगले 25 वर्षों में विश्व का एक अलग चरित्र वाला महाशक्ति बनकर खड़ा होगा। तो सोच स्पष्ट है और बजट की दिशा सही है।

अवधेश कुमार

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