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संस्कृति और अध्यात्म

विवाह और सहजीव

विवाह और सहजीव

संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
ह्रदय नारायण दीक्षित विवाह और सहजीवन - लिव इन पर चर्चा हो रही है। वह भी विवाह पर कम और सहजीवन पर ज्यादा। वैसे विवाह में सहजीवन होता है। विवाह रहित कोरा सहजीवन या लिव इन अधूरा है। इस सहजीवन में कोई बंधन नहीं। यह स्वच्छंद है। सामान्य आकर्षण का कड़वा परिणाम है। आकर्षण का आधार रूप होता है। रूप अस्थाई होता है। आपस में कुछ आश्वासन, यथार्थ से दूर कोरी कल्पनाएं। न बैण्ड, न बाजा, न बरात। न माता पिता के आशीष। न वरिष्ठों का शुभकामना प्रसाद। न सामाजिक समर्थन। न मंगल गीत, - न उपहार। दो और सिर्फ दो का संवाद और सहजीवन की अंधी सुरंग में प्रवेश। यह उत्तर आधुनिकता का नशा है। कई अभिनेत्रियों ने लिव इन में फंस कर आत्महत्या भी की थी। सम्प्रति श्रद्धा हत्याकाण्ड चर्चा में है। अपराधी और अपराध की चर्चा ज्यादा है। इसके मूल कारण की तरफ लोगों का ध्यान नहीं है। कटे अंग पुलिस खोज रही है। ऐसी घटनाएं सामान्य हो रही ...
गीता और योग का महत्व

गीता और योग का महत्व

TOP STORIES, संस्कृति और अध्यात्म
ह्रदय नारायण दीक्षित दुख, तनाव और अवसाद समूचे विश्व की समस्या हैं। भारत का योग विज्ञान ऐसी समस्याओं का ठोस उपचार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से योग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हो गया है। गीता का बड़ा हिस्सा योग प्रधान है। गीता में प्रकृति के सूक्ष्म विश्लेषण वाला सांख्य दर्शन है। इसे सांख्य योग कहा गया है। ईश्वर या देवताओं की आराधना भक्ति कही जाती है। गीता में भक्ति भी योग है। भारत का जीवन कर्म प्रधान है। गीता में कर्मयोग भी है। योग परिपूर्ण विज्ञान है। जैसे योग अंतर्राष्ट्रीय हो गया है वैसे ही गीता भी तमाम ज्ञान सम्पदा के कारण अंतर्राष्ट्रीय दर्शन ग्रंथ है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हरियाणा में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि, ‘‘गीता में हर शंका का समाधान है। यह विश्व का पवित्र ग्रंथ है। सही अर्थ में अंतर्राष्ट्रीय ग्रंथ है।” प्राची...
संघ रचता है संस्कृति के नये स्वस्तिक

संघ रचता है संस्कृति के नये स्वस्तिक

TOP STORIES, राष्ट्रीय, संस्कृति और अध्यात्म
अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 5 दिसंबर, 2022 पर विशेषसंघ रचता है संस्कृति के नये स्वस्तिक-ः ललित गर्ग:-सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 5 दिसंबर को प्रतिवर्ष दुनिया भर में मनाया जाता है। यह दिवस सभी व्यक्तिगत स्वयंसेवकों और स्वयंसेवी संगठनों को अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तरों पर उनके योगदान को दिखाने का एक बड़ा अवसर प्रदान करता है। यह दिन हर साल हजारों स्वयंसेवकों को जुटाने के साथ, विकास कार्यक्रम का समर्थन करके शांति और विकास को भी बढ़ावा देता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 दिसंबर, 1985 को हर वर्ष 5 दिसंबर को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। तब से, अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, सरकारों, नागरिक समाज संगठनों आदि द्वारा प्रतिवर्ष मनाया जाने लगा। आज देश एवं दुनिया के विभिन्न विश्वविद्...
सनातन के समक्ष सुलगते सवाल

सनातन के समक्ष सुलगते सवाल

संस्कृति और अध्यात्म
संस्कृत रहित सांस्कृतिक चेतना एक हास्य पूर्ण घटना का जिक्र कुछ यूँ है कि किसी रामलीला कमेटी में लंका दहन का मंचन होना था और संयोग से हनुमान का किरदार निभाने वाला पात्र बीमार हो गया। उसके बदले नए पात्र को ढूंढना मुश्किल था तो उसी नाटक मंडली में प्रतिहारी या पहरेदार का रोल निभाने वाले एक कनिष्ठ अभिनेता को को तैयार किया गया कि वह हनुमान का अभिनय कर ले। उस कनिष्ठ अभिनेता ने पहले से यह स्पष्ट कर दिया कि मुझे लंबे-लंबे डायलॉग नहीं आते । मैं तो जी सरकार , जी महाराज , जो आज्ञा महारानी ... ऐसे-ऐसे छोटे डायलॉग बोल सकता हूँ। तो उस मण्डली के नाट्य निर्देशक ने उसे आश्वस्त किया कि आपको मंच का फोबिया तो है नहीं और डायलॉग का क्या है , पर्दे के पीछे जो पंडित जी हैं वे आपको प्रॉम्प्ट करेंगे और आपको वही संवाद बोल देना है बस।खैर वह अभिनेता तैयार हो गया।अब पर्दा उठा । मेघनाथ के ब्रह्म पाश में बंधे हनुमान र...
मतांतरण के माध्यम से राष्ट्रांतरण का प्रयास, अनुसूचित और आदिवासी समाज ईसाई मिशनरियों के निशाने पर

मतांतरण के माध्यम से राष्ट्रांतरण का प्रयास, अनुसूचित और आदिवासी समाज ईसाई मिशनरियों के निशाने पर

संस्कृति और अध्यात्म
हरेंद्र प्रताप : केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दिए गए अपने एक हलफनामे में मतांतरित ईसाइयों और मुस्लिमों को दिए जाने वाले आरक्षण का विरोध किया है। वर्ष 1956 में राज्य पुनर्गठन के बाद 1961 से 2011 के बीच हुई जनगणना में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के राज्यवार उपलब्ध आंकड़े बता रहे हैं हमारे देश का अनुसूचित और आदिवासी समाज ईसाई मिशनरियों के निशाने पर हैं। वर्ष 1961 में देश में जनजाति समाज के लोगों की कुल संख्या 2,98,79,249 थी, जिनमें से 16,53,570 ईसाई बन गए थे, जो कुल जनजाति आबादी का 5.53 प्रतिशत था। वर्ष 2011 में देश में जनजाति समाज के लोगों की कुल संख्या 10,45,45,716 थी जिनमें से 1,03,27,052 यानी 9.87 प्रतिशत ईसाई हैं। कुछ लोग कह सकते हैं कि विगत पांच दशकों में ईसाइयों की जनसंख्या बढ़ी नहीं तो फिर यह ‘‘मतांतरण’’ का शोर क्यों मचाया जा रहा है? दरअसल ईसा...
ऋषियों की संतान हैं भारत की समस्त जनजातियाँ

ऋषियों की संतान हैं भारत की समस्त जनजातियाँ

संस्कृति और अध्यात्म
--रमेश शर्मा भारतीय वैदिक चिंतन और विज्ञान का अनुसंधान आपस में मेल खाते हैं यदि इन दोनों को आधार बनाकर विचार करें तो हम इस निष्कर्ष पर सरलता से पहुँच जायेंगे कि भारत में निवासरत समस्त जनजातियाँ ऋषियों की संतान हैं ।सत्य के अन्वेषण केलिये यह आवश्यक है कि हमारा दृष्टिकोण व्यापक हो और हम किसी एक दिशा या धारणा से मुक्त होकर विचार करें। यह सिद्धांत जीवन के प्रत्येक आयाम पर लागू होता है । आज हमें भले वन में निवासरत सभी जनजातीय बंधु और नगरों में विलासिता का जीवन जीने वाले समाज पृथक लग सकते हैं किन्तु यदि अतीत की विकास यात्रा का अध्ययन करें तो यह जानकर हमें आश्चर्य होगा कि दोनों जीवन एक रूप हैं। और सभी ऋषियों की संतान हैं। ऐसा नहीं है कि नगरों में जीवन का अंकुरण अलग हुआ और वनों में अलग । नगर या ग्राम तो जीवन यात्रा का विकसित स्वरूप हैं। जो समय के साथ विकसित हुये । जीवन का अंकुरण तो वनों में ही...
भारत की दिव्य विभूति – महान संत गुरु नानक देव जी

भारत की दिव्य विभूति – महान संत गुरु नानक देव जी

संस्कृति और अध्यात्म
मृत्युंजय दीक्षितमहान सिख संत व गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ई में रावी नदी के किनारे स्थित रायभुए की तलवंडी में हुआ था जो ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है और भारत विभाजन में पाकिस्तान के भाग में चला गया । इनके पिता मेहता कालू गांव के पटवारी थे और माता का नाम तृप्ता देवी था। इनकी एक बहन भी थी जिनका नाम नानकी था । बचपन से ही नानक में प्रखर बुद्धि के लक्षण और सासांरिक चीजों के प्रति उदासीनता दिखाई देती थी । पढ़ाई- लिखाई में इनका मन कभी नहीं लगा। सात वर्ष की आयु में गांव के स्कूल में जब अध्यापक पंडित गोपालदास ने पाठ का आरंभ अक्षरमाला से किया लेकिन अध्यापक उस समय दंग रह गये जब नानक ने हर एक अक्षर का अर्थ लिख दिया। गुरु नानक के द्वारा दिया गया यह पहला दैविक संदेश था।कुछ समय बाद बालक नानक ने विद्यालय जाना ही छोड़ दिया। अध्यापक स्वयं उनको घर छोड़ने आये। बालक नानक के साथ कई चमत्कारिक घटनाएं घ...
गाय है भारतीय संस्कृति का तिलक

गाय है भारतीय संस्कृति का तिलक

संस्कृति और अध्यात्म
गाय है भारतीय संस्कृति का तिलक- ललित गर्ग - भारत त्यौहारों का धर्म परायण देश है। दीपावली पर्व श्रृंखला में एक पर्व गोपाष्टमी है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी पर गोपूजन उत्सव बड़े उल्लास से मनाया जाता है। विशेषकर गौशालाओं के लिए यह बड़े महत्व का उत्सव है। इस दिन गौशालाओं में एक मेला जैसा लग जाता है। गौ कीर्तन-यात्राएं निकाली जाती हैं। घर-घर व गांव-गांव में मनाये जाने वाले इस उत्सव में भंडारे किए जाते हैं, गौ को स्नान कराया जाता है, गौ पूजा की जाती है, जिनका शास्त्रीय महत्व है। भारत में गौ ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष दात्री मानी गयी है। गौ को माता कहा गया है। गौ में सर्व देवी-देवताओं का वास कहा गया। उसके मूत्र में गंगा व गोबर में लक्ष्मी का वास है। गौ के समस्त उत्पाद जीवन-रक्षक होते हैं। गौ से जुड़ी आस्था एवं उपयोगिता को देखते हुए गतदिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फ...
भारतीय त्योहारों में छिपे समरसता के सूत्र कथित उदार-पंथनिरपेक्ष बुद्धिजीवियों को क्यों नहीं दिखाई देते?

भारतीय त्योहारों में छिपे समरसता के सूत्र कथित उदार-पंथनिरपेक्ष बुद्धिजीवियों को क्यों नहीं दिखाई देते?

राष्ट्रीय, संस्कृति और अध्यात्म
भारतीय त्योहारों में छिपे समरसता के सूत्र कथित उदार-पंथनिरपेक्ष बुद्धिजीवियों को क्यों नहीं दिखाई देते? मैकॉले प्रणीत शिक्षा-पद्धत्ति का दोष कहें या छीजते विश्वास का दौर हमारा मन अपने ही त्योहारों, अपने ही संस्कारों, अपनी ही परंपराओं के प्रति सशंकित रहता है, सर्वाधिक सवाल-जवाब हम अपनी परंपराओं से ही करते हैं; भले ही वे परंपराएँ सत्य एवं वैज्ञानिकता की कसौटी पर खरे उतरते हों; सामूहिकता-सामाजिकता को सींचते हों; समय के शिलालेखों पर अक्षर-अक्षर अंकित और जीवंत हों! यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमारी शिक्षित कही जाने वाली पीढ़ी प्रायः परंपराओं को रूढ़ियों का पर्याय मान लेती है। जबकि रूढ़ियाँ कालबाह्य होती हैं और परंपराओं में गत्यात्मकता होती है। जो समयानुकूल है, वही परंपरा है। परंपरा में जड़ता या प्रतिगामिता के लिए कोई स्थान नहीं होता। जो लोग सतही तल पर सनातन परंपराओं का अध्ययन-विश्लेषण करते ...
आर्यों का निवास और वैदिक संस्कृतियों-संस्कारों का घर हरियाणा।

आर्यों का निवास और वैदिक संस्कृतियों-संस्कारों का घर हरियाणा।

TOP STORIES, संस्कृति और अध्यात्म
पंजाब पुनर्गठन अधिनियम (और राज्य पुनर्गठन आयोग की पूर्व सिफारिशों के अनुसार) के पारित होने के साथ, सरदार हुकम सिंह संसदीय समिति की सिफारिश पर हरियाणा 1966 में पंजाब से अलग होकर भारत का 17 वां राज्य बन गया। इस समिति के गठन की घोषणा 23 सितंबर 1965 को संसद में की गई थी। 23 अप्रैल, 1966 को हुकुम सिंह समिति की सिफारिश पर कार्य करते हुए, भारत सरकार ने विभाजन और विभाजन के लिए न्यायमूर्ति जे.सी. शाह की अध्यक्षता में शाह आयोग की स्थापना की। लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा को ध्यान में रखते हुए पंजाब और हरियाणा की सीमाओं की स्थापना की। आयोग ने 31 मई, 1966 को अपनी रिपोर्ट दी। हरियाणा उत्तर पश्चिम भारत में 27 डिग्री 39' एन से 30 डिग्री 35' एन अक्षांश और 74 डिग्री 28' ई से 77 डिग्री 36' ई देशांतर के बीच और समुद्र तल से 700-3600 फीट की ऊंचाई के साथ स्थित है। हरियाणा की राजधानी, चंडीगढ़, इसके पड़ोसी रा...