भारत में शिक्षा का सुधार अत्यन्त आवश्यक*
शिक्षा देश की रीढ़ की हड्डी होती है। किसी भी देश की प्रगति तथा वहाँ के नागरिकों का भविष्य वहाँ की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ही निर्भर करता है। भारत सरकार इस तथ्य से भली-भांति परिचित है इसीलिए शिक्षा नीति के अन्तर्गत समय-समय पर परिवर्तन किए जाते रहें हैं। नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत शिक्षा को 5 + 3 + 3 + 4 के चरणों में बांटा गया है। पूर्व प्राथमिक स्तर 3 वर्ष एवं कक्षा 1 व 2 को आधारभूत शिक्षा के अन्तर्गत रखा गया है जिसमें 3 से 5 वर्ष तक के बच्चों को बिना किसी बस्ते के बोझ के खेल-कूद के माध्यम से शिक्षा के प्रति रूचि बढ़ाने का प्रयास किया गया है। 6 से 8 वर्ष की अवस्था में बच्चे की औपचारिक शिक्षा को आरम्भ करने का प्रावधान रखा गया है उस अवस्था में बच्चा परिपक्व हो जाता है और उसको स्वयं का ज्ञान होना प्रारम्भ हो जाता है। अक्सर यह देखा गया है कि 8 से 11 वर्ष की आयु के बच्चे कम्प्यूटर, मोबाइल अथवा ...