Shadow

Today News

सरकार और प्रशासन की नाकामी है दिल्ली दंगे

सरकार और प्रशासन की नाकामी है दिल्ली दंगे

addtop, Today News, विश्लेषण
शाहीनबाग़ संयोग या प्रयोग हो सकता है लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान देश की राजधानी में होने वाले दंगे संयोग कतई नहीं हो सकते। अब तक इन दंगों में एक पुलिसकर्मी और एक इंटेलीजेंस कर्मी समेत लगभग 42 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। नागरिकता कानून बनने के बाद 15 दिसंबर से दिल्ली समेत पूरे देश में होने वाला इसका विरोध इस कदर हिंसक रूप भी ले सकता है इसे भांपने में निश्चित ही सरकार और प्रशासन दोनों ही नाकाम रहे। इससे भी चिंताजनक बात यह है कि सांप्रदायिक हिंसा की इन संवेदनशील परिस्थितियों में भी भारत ही नहीं विश्व भर के मीडिया में इसकेपक्षपातपूर्ण विश्लेषणात्मक विवरण की  भरमार है जबकि इस समय सख्त जरूरत निष्पक्षता और संयम की होती है। देश में अराजकता की ऐसी किसी घटना के बाद सरकार की नाकामी, पुलिस की निष्क्रियता, सत्ता पक्ष का विपक्ष को या विपक्ष का सरकार को दोष देने की राजनीति इस द...
अपरिहार्य ‘हिंदुत्व

अपरिहार्य ‘हिंदुत्व

addtop, Today News, TOP STORIES, विश्लेषण
  संघ प्रमुख मोहन भागवत का कथन कि 'राष्ट्रवाद’ जैसे शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका मतलब नाज़ी या हिटलर से निकाला जा सकता है, ऐसे में राष्ट्र या राष्ट्रीय जैसे शब्दों को ही प्रमुखता से इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया के सामने इस वक्त इस्लामी आतंकवाद, कट्टरपंथ और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे बड़ी चुनौती हैं। दुनिया के सामने जो बड़ी समस्याएं हैं, उनसे सिर्फ भारत ही निजात दिलवा सकता है। हिंदू ही एक ऐसा शब्द है जो भारत को दुनिया के सामने सही तरीके से पेश करता है। भले ही देश में कई धर्म हों, लेकिन हर व्यक्ति एक शब्द से जुड़ा है जो हिंदू है। ये शब्द ही देश की संस्कृति को दुनिया के सामने दर्शाता है। वास्तव में यही भारत, भारतीयता और हिंदुत्व का सही परिचय है- शांतिपूर्ण सह अस्तित्व, मानवतावादी दृष्टिकोण, प्रकृति केंद्रित विकास व सम्पूर्ण विश्व के कल्याण की अवधारणा। ...
इनकम टैक्स देना शान के खिलाफ क्यो?

इनकम टैक्स देना शान के खिलाफ क्यो?

addtop, Today News, आर्थिक
अब यह कहने का मन करने लगा है कि हम हिन्दुस्तानियों को अपना इनकम टैक्स अदा करने में बड़ा ही कष्ट होता है। चूंकि,  नौकरीपेशा लोगों का टैक्स तो उनकी सैलरी से ही काट लिया जाता है, पर शेष लोग तो भारी- भरकम कमाने के बाद भी टैक्स देने से बचते ही रहते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में इस मसले की निशानदेही भी की थी। उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि देश के सिर्फ 22,00 पेशेवरों ने साल 2019 के दौरान अपनी आय एक करोड़ रुपए से अधिक दिखाई। सच में यह आंकड़ा 130 करोड की आबादी वाले देश में तो बेहद छोटा ही नजर आता है। हालांकि उनके बयान पर कुछ हलकों में नाहक बवाल भी काटा गया। उसकी मीनमेख भी निकाली गई। मोदी का पेशेवरों से मतलब डाक्टरों, चार्टर्ड एकाउंटेटों,वकीलों आदि से था। दरअसल साल 2018-19 के दौरान भरी गई इनकम टैक्स रिटर्नों से पता चलता है कि मात्र कुल 5.78 करोड़ हिन्दुस्तानियों  ने ही अपन...
प्रारंभिक शिक्षा तो मातृभाषा में ही हो

प्रारंभिक शिक्षा तो मातृभाषा में ही हो

addtop, Today News, राष्ट्रीय
निश्चित रूप से भाषा धरती की होती है, न किकिसी धर्म या फिरके की। पर इस छोटे से तथ्य की लम्बे समय से अनदेखी होती रही है। इसके अनेकों घातक परिणामभी सामने आए हैं। इसी तरह से किसी धर्म या वर्ग विशेष के ऊपर कभी कोई भाषा को थोपने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।  बल्कि, हर बच्चे को उसकी अपनीमातृभाषा में पढ़ने का स्वाभाविक अधिकार मिलना चाहिए। याद रखा जाना चाहिए कि बच्चा अपनी मातृभाषा में सबसे आराम से किसी भी तरह की पढाई सीखता है,किसी भी तरह के ज्ञान को ग्रहण करता है। अच्छी बात यह है कि भारत में सभी जुबानों के प्रसार- प्रचार में सरकार सक्रिय रहती है। इसलिए भारत में भाषा के सवाल लगभग सर्वमान्य हो गए हैं। पर बीच-बीचमें कुछ राज्यों में कभी –कभी हिन्दी विरोधी स्वर सुनाई देने लगते हैं। हालांकि, हिन्दी को अब कहीं कोई थोप नहीं रहा। हिन्दी स्वाभाविक रूप से सर्वग्राह्य देश कीसर्वमान्य बोलचाल की भाषा के रूप में उभ...
मंदिरों में घूमती है  ब्रज की होली

मंदिरों में घूमती है ब्रज की होली

addtop, Today News, संस्कृति और अध्यात्म
यशोदानंद आनंदकंद, श्री कृष्ण चन्द्र की इस क्रीड़ास्थली में जिन स्थलों पर भगवान श्रीकृष्ण ने लीलाएं की वे तीर्थ बन गए । कहीं उसे मंदिर का प्रतीक दिया गया तो कहीं वन और कहीं उपवन का । भगवत् कृपा प्रसाद की प्राप्ति की आशा से ही ब्रज के त्यौहारों के प्रमुख केन्द्र से मंदिर बने हुए हैं । होली भी इसी श्रृंखला मंे मंदिरों के इर्द-गिर्द घूमती है । ब्रज के मंदिरों में वैसे तो होली की शुरूआत बसंत से होती है, जब मंदिरों में गुलाल की होली प्रारंभ हो जाती है, किन्तु होली को गति फाल्गुन की प्रथमा को मिलती है जब मंदिर द्वारिकाधीश में रसिया गायन शुरू हो जाता है । अष्टमी में चैत्रमास प्रारंभ होने तक प्रत्येक दिवस होली की अपनी अलग ही पंखुडी लाता है । प्रकृति ने तो सातों रंगों को प्रधानता दी है किन्तु ब्रज की होली में तो अनगिनत रंग हैं । अनगिनत रंग-बिरंगी पंखुड़ियां बरसाने की लठामार होली से लेकर पुरानी गोकु...
ट्रंप की भारत यात्रा- अब भारत, अमेरिका, इजराईल मिलकर कुचले इस्लामिक आतंकवाद को

ट्रंप की भारत यात्रा- अब भारत, अमेरिका, इजराईल मिलकर कुचले इस्लामिक आतंकवाद को

addtop, Today News, राष्ट्रीय
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आगामी सप्ताह शुरू हो रही भारत यात्रा के दौरान उनकी  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य भारतीय नेताओं के साथ आपसी और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बेबाकी से बात तो होगी ही। तब दोनों देशों को इस्लामिक आतंकवाद से एकजुट होकर लड़ने की रणनीति भी बना लेनी चाहिए। भारत के तो पड़ोस पाकिस्तान में ही आतंकवाद की फैक्ट्री धड़ल्ले से चल रही है। पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के इशारों पर मुंबई हमले से लेकर पुलवामा तक का हादसा हुआ था। इसी तरह से अमेरिका भी इस्लामिक आतंकवाद से ही बुरी तरह का मारा हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप भी अब यह मानते  हैं  कि नरेंद्र मोदी आतंकवाद से निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं। पिछले साल अमेरिका के शहर ह्यूस्टन में 'हाउडी मोदी' इवेंट में मंच साझा करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आतंकवाद के बढते  खतरों से निपटने के मसले पर...
विश्वविद्यालयों में हिंसा  बड़े षड्यंत्र का हिस्सा

विश्वविद्यालयों में हिंसा  बड़े षड्यंत्र का हिस्सा

addtop, Today News, विश्लेषण
जब से नरेंद्र मोदी सरकार आई है कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, माक्र्सवादी (सीपीएम), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, माक्र्सवादी, लेनिनवादी (सीपीआई, एम एल) आदि जैसे जातिवादी इस्लामिक सांप्रदायिक (जाइसा) दलों के पेट में भीषण दर्द चल रहा है। इस जाइसा मोर्चे का नेतृत्व कर रहे हैं कांग्रेस और साम्यवादी-नक्सल दल जिनकी दिल्ली मीडिया में अच्छी-खासी पैठ है। कभी ये असहिष्णुता का रोना रोते हैं तो कभी जवाहरलाल नेहरू के 'आईडिया ऑफ इंडिया’ का, जिसमें धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है इस्लामिक सांप्रदायिक कट्टरवाद को बढ़ावा देना और उदारवाद का मतलब है देशद्रोही ताकतों को शह देना। साम्यवाद रूझान वाले जवाहरलाल नेहरू के 'आईडिया ऑफ इंडिया’ ने देश को मानसिक स्तर पर ही विषाक्त नहीं किया, इसने भौतिक स्तर पर भी देश तोडऩे वाली देशद्र...
हमारी प्रमुख समस्या नागरिकता की पहचान अथवा गिरती हुई अर्थव्यवस्था?

हमारी प्रमुख समस्या नागरिकता की पहचान अथवा गिरती हुई अर्थव्यवस्था?

addtop, Today News, विश्लेषण
मैं बहुत वर्षों से लिखता रहा हूं कि साम्यवाद दुनियां की सबसे खतरनाक विचारधारा है तथा इस्लाम सबसे अधिक खतरनाक संगठन। साम्यवाद से तो दुनियां धीरे धीरे मुक्त हो रही है किन्तु इस्लाम अभी चर्चा तक सीमित है। इस्लाम सारी दुनियां के लिये खतरनाक है यह बात पूरी तरह प्रमाणित हो गयी है किन्तु इस्लाम की बढ़ी हुई शक्ति और शेष समाज में मानवता की बढ़ी हुई धारणा के बीच दूरी इतनी अधिक है कि या तो लोग इस्लाम को उतना खतरनाक समझ नहीं रहे हैं अथवा उनकी संगठित शक्ति के आगे भयभीत हैं। धर्म के नाम पर आतंक का समर्थन करने वाला दुनियां का एक मात्र संगठन इस्लाम है। अन्य कोई भी संगठन धर्म के नाम पर आतंक को उचित नहीं मानता। इस्लाम अपने विस्तार के लिये हिंसा का भी समर्थन करता है। कुछ इस्लामिक देशों में ईश निंदा कानून जैसे घोर अमानवीय कानून भी खुले आम मान्यता प्राप्त हैं। किन्तु दुनियां की कोई अन्य विचार धारा इस प्रकार के...
शिकारा: कश्मीरी प्रेम कथा

शिकारा: कश्मीरी प्रेम कथा

addtop, Today News, सामाजिक
कश्मीर की घाटी से 20 बरस पहले भयावह परिस्थतियों में पलायन करने वाले कश्मीरी पण्डितों को उम्मीद थी कि विधु विनोद चोपड़ा की नई फिल्म ‘शिकारा’ उनके दुर्दिनों पर प्रकाश डालेगी। वो देखना चाहते थे कि किस तरह हत्या, लूट, बलात्कार, आतंक और धमकियों के सामने 24 घंटे के भीतर लाखों कश्मीरी पण्डितों को अपने घर,जमीन-जायदाद, अपना इतिहास, अपनी यादें और अपना परिवेश छोड़क भागना पड़ा। वे अपने ही देश में शरणार्थी हो गये जम्मू और अन्य शहरों के शिविरों में उन्हें बदहाली की जिंदगी जीनी पड़ी। 25 डिग्री तापमान से ज्यादा जिन्होंने जिंदगी में गर्मी देखी नहीं थी, वो 40 डिग्री तापमान में ‘हीट स्ट्रोक’ से मर गऐ। जम्मू के शिविरों में जहरीले सर्पदंश से मर गए। कोठियों में रहने वाले टैंटों में रहने को मजबूर हो गऐ। 1947 के भारत-पाक विभाजन के बाद ये सबसे बड़ी त्रासदी थी, जिस पर आज तक कोई बाॅलीबुड फिल्म नहीं बनी। उन्हें उम्मीद थी...
श्रीराम मन्दिर- नयी रोशनी का अवतरण

श्रीराम मन्दिर- नयी रोशनी का अवतरण

addtop, Today News, राष्ट्रीय
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जनमानस की व्यापक आस्थाओं के कण-कण में विद्यमान हैं। श्रीराम किन्हीं जाति-वर्ग और धर्म विशेष से ही नहीं जुड़े हैं, वे सारी मानवता के प्रेरक हैं। उनका विस्तार दिल से दिल तक है। उनके चरित्र की सुगन्ध विश्व के हर हिस्से को प्रभावित करती है। भारतीय संस्कृति में ऐसा कोई दूसरा चरित्र नहीं है जो श्री राम के समान मर्यादित, धीर-वीर और प्रशांत हो। इस विराट चरित्र को गढ़ने में भारत के सहóों प्रतिभाओं ने कई सहóाब्दियों तक अपनी मेधा का योगदान दिया। आदि कवि वाल्मीकि से लेकर महाकवि भास, कालिदास, भवभूति और तुलसीदास तक न जाने कितनों ने अपनी-अपनी लेखनी और प्रतिभा से इस चरित्र को संवारा। वे मर्यादा पुरुषोत्तम तो हैं ही मानव-चेतना के आदि पुरुष भी है। श्रीराम इस देश के पहले महानायक हैं, जिनका अयोध्या में दिव्य और भव्य राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ है, इससे देश के आस्थावान कर...