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किसके हाथ लगेगी दिल्ली की बाजी?

किसके हाथ लगेगी दिल्ली की बाजी?

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जिस समय ये पंक्तियां लिखी जा रही हैं, उस वक्त दिल्ली का दंगल धीरे-धीरे परवान चढ़ रहा है। मुकाबले में दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी आगे दिख रही है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि माहौल धीरे-धीरे बदलेगा। इस पूरी लड़ाई में निश्चित रूप से आम आदमी पार्टी आगे दिख रही है। इसकी बड़ी वजह यह है कि पिछले विधानसभा में उसने 67 सीटें हासिल की थीं। बेशक उसमें से कपिल मिश्र जैसे कुछ एक लोग बागी हुए। लेकिन आम आदमी पार्टी को भरोसा रहा कि इतना प्रचंड बहुमत कितना भी कम होगा तो वह दिल्ली के बहुमत से आगे ही होगा। इसी आत्मविश्वास के साथ आम आदमी पार्टी ने तैयारियां की और इस खेल में वह आगे रही। उसने अपने पंद्रह विधायकों के टिकट काटे और सबसे पहले उसने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। जबकि दिल्ली में लोकसभा की लगातार दो बार सभी सीटें और लगातार दो बार नगर निगम जीतने वाली भारतीय जनता प...
कांग्रेस की हताशा है या फिर सुनियोजित रणनीति?

कांग्रेस की हताशा है या फिर सुनियोजित रणनीति?

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दिल्ली के चुनाव आज देश का सबसे चर्चित मुद्दा है। इसेभारतीय राजनीति का दुर्भाग्य कहें या लोकतंत्र का,कि चुनाव दर चुनाव राजनैतिक दलों द्वारा वोट हासिल करने के लिए वोटरों को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन देना तो जैसे चुनाव प्रचार का एक आवश्यक हिस्सा बन गया है। कुछ समयपहले तक चुनावों के दौरान चोरी छुपे शराब और साड़ी अथवा कंबल जैसी वस्तुओं के दम पर अपने पक्ष में मतदान करवाने की दबी छुपी सी अपुष्ट खबरें सामने आती थीं लेकिन अब तो राजनैतिक दल खुल कर अपने संकल्प पत्रों में ही डंके की चोट पर इस काम को अंजाम दे रहे हैं। मुफ्त बिजली पानी की घोषणा के बल पर पिछले विधानसभा चुनावों में अपनी बम्पर जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी अपने उसी पुराने फॉर्मूले को इस बार फिर दोहरा रही है। मध्यप्रदेश राजिस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के कर्जमाफी की घोषणा के कारण सत्ता से बाहर हुई बीजेपी भी इस बार कोई...
शाहीन बाग वाला कपिल गुर्जर और वो स्याही फेंकने वाला

शाहीन बाग वाला कपिल गुर्जर और वो स्याही फेंकने वाला

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कपिल गुर्जर का सच अब तो अब सबके सामने है।  वही कपिल जिसने राजधानी के शाहीन बाग में गोली चलाकर तहलका मचा  दिया था।  दिल्ली पुलिस ने अपनीसघन जांच के बाद दावा किया है कि कपिल और उसके पिता का सम्बन्ध अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) से रहा है। पुलिस की जांच से यह भी पताचला है कि कपिल आप की सभाओं में आता-जाता था। उसके आप के नेताओँ के साथ फोटो भी सामने आ चुके हैं। हालांकि कपिल के परिवार ने  उसके आप से संबंधोंपर सवाल तो खड़े किए पर वे तब चुप हो गए जब उन्हें कपिल की आप नेताओं के साथ फोटो दिखाई गई। अब कहा जा रहा है कि कपिल अपने पिता के साथ आप केकार्यालय में गया था तो आप के एक सांसद महोदय ने उसे टोपी पहना दी लेकिन वह आप का सदस्य नहीं है। कपिल के शाहीन बाग में फायरिंग करने से केजरीवालका एक फिर से चेहरा बेनकाब हो गया है। अब सबको समझ आ रहा है कि उसके साथ किस तरह के उपद्रवी तत्व जुड़े हुए हैं। क...
राजनाथ सिंह की बढ़ती सक्रियता का सबब

राजनाथ सिंह की बढ़ती सक्रियता का सबब

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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह इनदिनों एक अलग तरह की सक्रियता को लेकर चर्चा में है। उनका राजनीतिक प्रभुत्व एवं कद में उछाल भले ही भारतीय जनता पार्टी के एक वर्ग के लिये हैरानी का कारण बन रहा हो, लेकिन इसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम पार्टी के हित में होने वाले हैं। इन्हीं राजनाथ सिंह के कारण नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने एवं भाजपा को अमाप्य ऊंचाइयों मिली हंै। संघ के विश्वासप्राप्त होने की बजह से वे अनेक अन्दरूनी बाधाओं एवं विरोध के बावजूद शीर्ष के आसपास बने रहे हैं और वे ऐसी पात्रता रखते हैं कि भविष्य में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जा सके। यह सर्वविदित है कि जब नरेन्द्र मोदी ने अपने बल पर भारी बहुमत से दोबारा सरकार बनाई थी तो राजनाथ सिंह को कमजोर करने एवं उन्हें किनारेे करने का अहसास दिलाने के लिये महत्वपूर्ण कैबिनेट समितियों में जगह नहीं दी गयी, लेकिन सुबह लिये गये इन निर्णयों को सांय होने से पहले ब...
अच्छी तरह पहचानिए CAA-NRC का विरोध करने वालों को

अच्छी तरह पहचानिए CAA-NRC का विरोध करने वालों को

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आप गौर करें कि देश में एक तबका संसद में पारित कानूनों से लेकर विभिन्न न्यायालयों के फैसलों का भी सार्वजनिक तौर पर घनघोर अपमान करने लगा है. इसका ताजा उदाहरण नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) है. इन्हें संसद के दोनों सदनों ने भारी बहुमत से पारित किया गया, पर इसके बावजूद इनका पिछले डेढ़ महीने से देश के कुछ भागों में विरोध भी हो रहा है. नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आकर देश में बरसों पहले से ही रह रहे हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रामलीला मैदान के अपने संबोधन में भी यह स्पष्ट तौर पर कहा कि इस कानून से किसी भी भारतीय नागरिक की,चाहे वह किसी भी समुदाय का हो नागरिकता नहीं जाएगी. पर भारी बहुमत से निर्वाचित देश के प्रधान...
गंगा चुनौती की अनदेखी अनुचित

गंगा चुनौती की अनदेखी अनुचित

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गंगा की अविरलता-निर्मलता के समक्ष हम नित् नई चुनौतियां पेश करने में लगे हैं। अविरलता-निर्मलता के नाम पर खुद को धोखा देने में लगे हैं। घाट विकास, तट विकास, तट पर औषधि उद्यान, सतही सफाई, खुले में शौच मुक्ति के लिए गंगा ग्रामों में बने शौच गड्ढे...खुद को धोखा देने जैसे ही काम हैं। अधिक उत्पादन के लिए रासायनिक उर्वरक, खरपतवारनाशक व कीटनाशाकों का बेलगाम प्रयोग भी इसी श्रेणी में आता है। तक़लीफदेह तथ्य यह है कि ऐसा करते हुए हम उन कहानी, शोध, निष्कष व आंखों देखी तक़लीफों की लगातार अनदेखी कर रहे हैं, जो प्रमाण हैं कि चुनौती तो हम खुद अपने लिए पेश कर रहे हैं। पत्रकार अभय मिश्र ने वेंटिलेटर पर ज़िन्दा एक महान नदी की कहानी लिखी है। वह महान नदी, हमारी गंगा है। हक़ीकत में 'माटी मानुष चून' उपन्यास, गंगा के वेंटिलेटर पर जाने की कहानी नहीं है; यदि भारत की नदियों की अनदेखी हुई तो 2075 आते-आते, यह पूरे भारत...
बजट में सस्ते घरों- स्मार्ट सिटीज को मिल सकती है सौगात

बजट में सस्ते घरों- स्मार्ट सिटीज को मिल सकती है सौगात

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ऐसी आशा की जा रही है कि सकारात्मक बजट प्रस्तावों से करोड़ों लोगों को रोजगार देने  वाले रीयल एस्टेट सेक्टर के दिन सुधर सकते हैं। उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने बजट प्रस्तावों में रीयल एस्टेट सेक्टर  के लिए कोई ठोस प्रस्ताव लेकर आयेंगीं। निश्चित रूप से कोई भी सरकार आज की मॅंद अर्थव्यवस्था में एस्टेट सेक्टर के  मसलों को नजरअंदाज नहीं कर सकती है, क्योंकि कृषि के बाद रीयल एस्टेट क्षेत्र ही सबसे बड़ा रोजगार देने वाला सेक्टर है। प्राय: प्रत्येक बजट के पहले  अफोर्डेबुल हाउसिंग सेक्टर की बात होने ही लगती है।सबको अपना मकान हो यह मोदी जी का वायदा भी तो है। उम्मीद है कि सरकार देश में हरेक हिन्दुस्तानी के छत के सपने को साकार करने के लिए निजी बिल्डरों के साथ मिलकर सस्ते घर भी उपलब्ध कराने की कोई योजना ला सकती है। इसके लिए यह भी जरूरी है कि सरकार प्रमुख शहरों में या उससे सटे शहरों में ...
‘भारत तत्व’ को स्थापित करने का समय

‘भारत तत्व’ को स्थापित करने का समय

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ह दुखद व आश्चर्यजनक है कि भारत के मुसलमान स्वयं को मध्य पूर्व एशिया के अरबी, तुर्क, शिया व सुन्नी मतबों से जोड़ते हैं यद्यपि इतिहास गवाह है कि भारत में अधिसंख्य मुस्लिम भारत मूल के ही हैं व भारत में इस्लामिक आक्रमणकारियों द्वारा बलात व मजबूरी में इस्लाम मत में परिवर्तित लोग हैं। मुख्यधारा के इस्लामिक देश आज भी भारत के मुसलमानों को सच्चा मुसलमान नहीं मानते। किंतु भारत के मुसलमानों का एक वर्ग अपनी जड़ें आज भी मध्यपूर्व के देशों में ही तलाशता है जो सही नहीं। सच्चाई तो यह है कि भारत पर आक्रमण व राज करते समय इस्लामिक आक्रमणकारियों ने भारत की हिंदू संस्कृति, गुरुकुल, भाषा, वेषभूषा, मंदिर व सभ्यता को नष्ट करने व उसको इस्लामिक बनाने के लिए हर संभव वैध व अवैध तरीके अपनाए। इस्लाम के बाद जब भारत पर ईसाइयों का शासन स्थापित हुआ तब उन्होंने भी वही क्रम दोहराया जो मुस्लिम आतताइयों ने अपनाया था यानि भारत ...
जेएनयू, शाहीन बाग और कश्मीर के संबंधों को समझिए

जेएनयू, शाहीन बाग और कश्मीर के संबंधों को समझिए

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जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष राजधानी के शाहीन बाग में जाकर कहती हैं कि  कश्मीर को अलग करते हुए हम आंदोलन नहीं जीतसकते। शाहीन बाग में तथाकथित स्थानीय लोग नागरिकता संशोधन कानून 2019 के खिलाफ धरना दे रहे हैं। बताया तो यह भी जाता है कि दिहाडी मजदूरों को दुगना-तिगुना पैसा देकर उन्हे बैठाया जा रहा है। फूड पैकेट अलग से।खैर, किसी को भी धरना देने का तो  अधिकार है। पर कोई  धरना देने वालों को गुमराह करे तो क्याकिया जाए। शाहीन बाग में घोष आकर कहती हैं कि जो लड़ाई चल रही है उसमें हम कश्मीर को पीछे नहीं छोड़ सकते। कश्मीर से ही संविधान में छेड़छाड़ शुरू हुई है।साफ है कि उनका इशारा जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 हटाने की ओर था। कश्मीर के लिए बने इस अनुच्छेद के तहत जम्मू और कश्मीर को विशेषदर्जा का लाभ मिलता था, जिसे केंद्र ने 5 अगस्त 2019 को समाप्त कर दिया था। सरकार के उस...
‘जल जीवन हरियाली’ से बिहार दिखाता देश को दिशा

‘जल जीवन हरियाली’ से बिहार दिखाता देश को दिशा

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देशभर में व्याप्त चौतरफा नकारात्मक वातावरण से हटकर बिहार ने  ‘जल जीवन हरियाली’ की अहम जरूरत पर एक महत्वपूर्ण अभियान  को शुरू करके देश को अवश्य ही एक नई  दिशा दिखाने का सकारात्मक प्रयास तो किया ही है। दरअसल, बिहार जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर सार्थक पहल कर देश और विश्व के सामने एक नजीर रखना चाहता है।  देखिए, अब ऐसी स्थितियां बनती जा रही हैं कि जल, जीवन और  हरियाली के सॅंरक्षण से जुडे कार्यक्रम तो सारे देश में ही चलाने होंगे। इसमें सरकार और समाज को मिल-जुलकर भाग लेना होगा। हमें उन तालाबों को फिर से जीवित करना होगा जो विकास की दौड़ में दफन हो गए या दुष्टों के द्वारा अतिक्रमित कर लिये गये। अगर बात दिल्ली की ही करें  तो जब देश आजाद हुआ था, उस समय दिल्ली में 363 गांव थे, जिनके आसपास 1012 तालाब थे। आबादी बढ़ने और दिल्ली के विकास के साथ ही कुछ गिने- चुने  तालाबों को छोड़कर बाकी खत्म हो गए। कई ताला...