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जनता के संकेतों को समझे खेमे में बंटी कांग्रेस

जनता के संकेतों को समझे खेमे में बंटी कांग्रेस

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महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। दोनों ही राज्यों में बेशक भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगियों के साथ सरकार बना रही है। कभी ये दोनों ही राज्य कांग्रेस के गढ़ रहे हैं। उस गढ़ में कभी-कभी समाजवादी विचारधारा वाले दल सेंध लगाते रहे हैं। लेकिन दोनों ही राज्यों में जिस तरह कांग्रेस ने चुनाव अभियान चलाया है, उससे लगता नहीं कि देश की इस सबसे पुरानी पार्टी ने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को कोई टक्कर देने की कोशिश भी की। पूरे चुनाव अभियान के दौरान लगा भी नहीं कि कांग्रेस पार्टी ने कोई चुनावी अभियान भी चलाया। यह उस पार्टी का प्रदर्शन है, जिसने फकत एक साल पहले ही मौजूदा भारतीय राजनीति में अजेय समझी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी से तीन महत्वपूर्ण राज्य मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को छीन लिया था। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो लगातार तीन कार्यकाल से भारतीय जनता पार्टी ...
अयोध्या मामला : षड्यंत्रकारी वामपंथी-कांग्रेसी इतिहासकारों का अवसान काल

अयोध्या मामला : षड्यंत्रकारी वामपंथी-कांग्रेसी इतिहासकारों का अवसान काल

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  देश के सबसे पुराने और विवादास्पद बना दिए गए अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है और अब फैसले का इंतजार है। सुनवाई के दौरान जहां हिंदू पक्ष ठोस सबूतों और कानूनों के आधार पर जिरह कर रहा था, वहीं सबूतों के अभाव में मुस्लिम (गैर शिया) पक्ष कोरी नाटकबाजी और लफ्फाजी में लगा रहा। मुस्लिम पक्ष आखिरी क्षण तक मामले को टालने और भटकाने का प्रयास करता रहा, लेकिन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने जैसे ठान लिया था कि वो अब इस मामले को हल करके ही रहेंगे। वो 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। आशा है कि इससे पूर्व ही वो अपना निर्णय सुना देंगे। सुनवाई के अंतिम दिन जब हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने किशोर कुणाल की किताब 'अयोध्या रीविसीटेड’ और उसमें दिए गए राम जन्म भूमि के नक्शे अदालत के सामने रखने चाहे तो मुस्लिम पक्ष के वकील और कांग्रेस के बेहद करीबी राजीव धवन ने उन्हें फाड़ दि...
मुसलमानों के कर्णधार कब हक देंगे औरतों और पसमांदाओं को

मुसलमानों के कर्णधार कब हक देंगे औरतों और पसमांदाओं को

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भारत में औरतों को  जीवन के हर क्षेत्र में समता दिलवाने का सपना पूरा होने में अभी वक्त लगेगा।  हालांकि गुजरे कुछ दशकों के दौरान औरतों ने बहुत सारे अवरोधों को पार भी किया है। वे तमाम क्षेत्रों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज भी करवा रही हैं। पर मुसलमान औरतों के आगे बढ़ने की रफ्तार बहुत ही धीमी है। उन्हें बुर्के के अंदर कैद रखने के साथ-साथ ट्रिपल तलाक जैसे  मुद्दों ने आगे ही नहीं बढ़ने दिया। तलाक वाला मसला तो अब कानूनी तौर पर हल हो गया है पर अब भी उन्हें कदम-कदम पर कठमुल्लों के फैसलों के आगे झुकना पड़ रहा है। उदाहरण के रूप में केरल  को छोड़कर अधिकतर राज्यों में मुसलमान औरतें मस्जिद में जाकर नमाज नहीं पढ़ सकती। हालांकि कुरआन में उन्हें मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ने की मनाही का कहीं उल्लेख तक नहीं है। कुरआन में औरतें को कम से कम 59 जगहों पर मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ने की बात मिलती है।  वरिष्ठ लेखक जि...
ये धुंधली तस्वीर और भटकते रास्ते

ये धुंधली तस्वीर और भटकते रास्ते

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भाजपा की दृष्टि से कहे तो यह अत्यंत निराशाजनक स्थिति है। बस चंद महीनों पूर्व जनता के दिलोदिमाग पर छा जाने वाली भाजपा अपने दोनों महारथियों नरेंद्र मोदी और अमित शाह के कुशल नेतृत्व व उपलब्धियों की लंबी सूची के बावजूद अपने गढ़ महाराष्ट्र व हरियाणा में किए गए दावों व एग्जिट पोल के अनुमानों से खासे पीछे रह गए। हालांकि दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकार तो बन गयी किंतु यह पार्टी व संघ परिवार में बढ़ रही गुटबाजी, सत्ता के अवगुण (अहम, भ्रष्टाचार व अय्याशी) और जमीनी सच्चाई को नकारने की जिद के साथ ही बाहरी लोगों को जबर्दस्ती पार्टी में ठूंसने व अपने कद्दावर नेताओं को हाशिए पर धकेलने की कुटिल नीति के परिणाम है जो लोकसभा चुनावों से पूर्व मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिले थे और कुछ दिनों बाद झारखंड व दिल्ली के चुनावों में भी देखने को मिलेंगे। हम इन दिनों एक नए संघ परिवार के दर्श...

भारतीय आबादी की संपूर्ण जीनोम सीक्वेंसिंग 

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एक नई परियोजना के तहत देश के विभिन्न समुदाय के लोगों की संपूर्ण जीनोम सीक्वेंसिंग की गई है। भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा शुरू की गई इस पहल के अंतर्गत 1008 लोगों के जीनोम का अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग दुर्लभ आनुवांशिक बीमारियों के निदान, कैंसर जैसी जटिल बीमारियों के उपचार, नई दवाओं के विकास और विवाह पूर्व भावी जोड़ों के अनुवांशिक परीक्षण में किया जा सकता है। इंडिजेन नामक यह परियोजना इस वर्ष अप्रैल में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा शुरू की गई थी। इस परियोजना का संचालन सीएसआईआर से संम्बद्ध जीनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली एवं कोशकीय और आणविक जीव विज्ञान केंद्र, हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने किया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने इस परियोजना के बारे में बतात...

दूध में मिले एंटीबायोटिक तत्व

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एंटीबायोटिक्स के बढ़ते दुरुपयोग से खाने-पीने की वस्तुओ में भी दवाओं के अवशेष  मिलने का खतरा बढ़ रहा है। एक नए अध्ययन में पता चला है कि बाजार में मिलने वाले खुले दूध में भी एंटीबायोटिक दवाओं की मात्रा लगातार बढ़ रही है। इसका असर पशुओं के स्वास्थ्य, दूध की गुणवत्ता और दूध का सेवन करने वाले लोगों की सेहत पर पड़ सकता है। भारतीय शोधकर्ताओं के एक ताजा अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।  इस अध्ययन के दौरान गाय के दूध में एजिथ्रोमाइसिन और टेट्रासाइक्लिन नामक एंटीबायोटिक दवाओं के अवशेष सामान्य से अधिक मात्रा में पाए गए हैं। गाय के प्रति लीटर दूध में भी 9708.7 माइक्रोग्राम एजिथ्रोमाइसिन और 5460 माइक्रोग्राम टेट्रासाइक्लिन की मात्रा पायी गई है। इन दवाओं का उपयोग आमतौर पर पशु चिकित्सा में किया जाता है। शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में दोनों एंटीबायोटिक दवाओं की स्थिरता को प्रभावित करने वाले तापमान और पीएच मान क...

A colour-changing ink that can expose the fakes from the original

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In a boost to the fight against the menace of counterfeiting, two researchers at the Hyderabad campus of the Birla Institute of Technology and Science have developed an ink that changes colour when exposed to acid vapours and reverts to its original colour when exposed to base vapours. The ink contains small amounts of what are called fluorophore particles made from a chemical called ‘mono-carbazole-linked anthranyl π-conjugates.’ Fluorophore particles are invisible under normal light but light up with a yellow colour when exposed to a commercial ultraviolet light torch. The ink is found to be stable under ambient conditions and up to a temperature of 300 degrees C. “We tested our yellow coloured fluorophore along with many other conventional yellow fluorophores used in many applicat...
प्रकृति ही देगी प्लास्टिक का हल

प्रकृति ही देगी प्लास्टिक का हल

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"आदमी भी क्या अनोखा जीव है, उलझनें अपनी बनाकर आप ही फंसता है, फिर बेचैन हो जगता है और ना ही सोता है।"  आज जब पूरे विश्व में प्लास्टिक के प्रबंधन को लेकर मंथन चरम पर है तो रामधारी सिंह दिनकर जी की ये पंक्तियाँ बरबस ही याद आ जाता है । वैसे तो कुछ समय पहले से विश्व के अनेक देश सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग बंद करने की दिशा में ठोस कदम उठा चुके हैं और आने वाले कुछ सालों के अंदर केवल बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का ही उपयोग करने का लक्ष्य बना चुके हैं। भारत इस लिस्ट में सबसे नया सदस्य है। जैसा कि लोगों को अंदेशा था, उसके विपरीत अभी भारत सरकार ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक को कानूनी रूप से बैन नहीं किया है केवल लोगों से स्वेच्छा से इसका उपयोग बन्द करने की अपील की है। अच्छी बात यह है कि लोग जागरूक हो भी रहे हैं और एक दूसरे को कर भी रहे हैं। अगर दुनिया भर के देशों द्वारा सिंगल यूज़ प्लास्टिक बैन के पैटर्न को द...
कॉलेज तो खोला नहीं, क्यों खोल रहे विश्वविद्लाय केजरीवाल

कॉलेज तो खोला नहीं, क्यों खोल रहे विश्वविद्लाय केजरीवाल

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली की जनता से अब इस तरह के वादे करने लगे हैं जिन्हें सुनकर गुस्सा कम और हंसी ज्यादा आती है। दिल्ली में विधानसभाचुनाव से ठीक पहले वे यहां पर दो नए विश्वविद्लायों को खोलने की घोषणा कर चुके है। केजरीवाल पहले भी लगातार दिल्ली के युवाओं  को फुटबाल, क्रिकेट, हॉकी समेतदूसरे खेलों में स्नातक, परास्नातक और डॉक्टरेट की डिग्री  देने के सब्जबाग दिखाते रहे हैं। यानी यहां के नौजवान भावी विश्वविद्लाय में उपर्य़ुक्त विषयों में डिग्री ले सकेंगे।जबकि, दूसरा विश्वविद्यालय यह वादा करके खोला जा रहा है ताकि युवाओं को  उद्यमिता व कौशल विकास की पढ़ाई करवाई जा सके। अब सवाल यह है कि जिसकेजरीवाल सरकार ने अपने लगभग पांच वर्ष के कार्यकाल में दिल्ली विश्वविद्लाय में एक भी नया कॉलेज नहीं खोला, वह अचानक से दो विश्वविद्लाय  कहां से खोलेगी ? इनके लिए फैक्ल्टी की व्यवस्था कैसे होगी? ...
आर्थिक बदलाव के बावजूद नहीं बदली पोषण की समस्या

आर्थिक बदलाव के बावजूद नहीं बदली पोषण की समस्या

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पर्याप्त पोषण को अच्छे स्वास्थ्य और देश के विकास का एक महत्वपूर्ण सूचक माना जाता है। हालांकि, भारत में पिछले दो दशकों में सामाजिक और आर्थिक स्थितियों में बदलाव के बावजूद लोगों के पोषण की स्थिति में सुधार देखने को नहीं मिला है। भारत, अमेरिका और कोरिया के वैज्ञानिकों के एक शोध में यह बात सामने आई है। शोधकर्ताओं ने पाया कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बड़ी संख्या में परिवार न्यूनतम वांछित कैलोरी से वंचित हैं। अलग-अलग सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के अनुसार प्रति व्यक्ति औसत कैलोरी उपभोग के साथ अपर्याप्त पोषक आहार के स्तर में भी विविधता देखी गई है।  इस अध्ययन में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण के राष्ट्रीय प्रतिनिधि आंकड़ों का उपयोग किया गया है। वर्ष 1993-94 तथा 2011-12 के दौरान किए गए इस अध्ययन में एक लाख से अधिक शहरी एवं ग्रामीण परिवारों को शामिल किया गया...