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विकिपीडिया पर हिंदी में विज्ञान सामग्री बढ़ाने के लिए नई परियोजना

विकिपीडिया पर हिंदी में विज्ञान सामग्री बढ़ाने के लिए नई परियोजना

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विज्ञान संबंधी विषयों के प्रचार-प्रसार और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने में सबसे बड़ी बाधा गुणवत्तापूर्ण विज्ञान साहित्य की भारतीय भाषाओं में कमी है। विकीपीडिया पर भी विज्ञान आधारित अधिकतर सामग्री अंग्रेजी में ही उपलब्ध है। विकीपीडिया पर हिंदी आलेखों की इस कमी को दूर करने के लिए अब एक नई परियोजना शुरू की जा रही है।  विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित सॉफ्टवेयर, कुशल अनुवादकों और वैज्ञानिक विशेषज्ञों को मिलाकर एक ऐसी पहल करने जा रहा है, जिससे विकीपीडिया पर हिंदी में उच्च गुणवत्ता की विज्ञान सामग्री बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर अनुवाद कार्य किया जाएगा। अंग्रेजी विज्ञान लेखों के अनुवाद के साथ-साथ हिंदी में लिखे गए नए आलेख भी विकीपीडिया पर अपलोड किए जाएंगे। विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “अंग्रेजी में लगभ...
नए मोटर व्हीकल एक्ट से मेरा देश परेशान

नए मोटर व्हीकल एक्ट से मेरा देश परेशान

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नया बना मोटर व्हीकल एक्ट देश को राहत पहुंचाने की बजाय परेशानी का सबब बन रहा है। अनेकों विरोधाभासों एवं विसंगतियों से भरे इस कानून से मेरा देश परेशान है। यह कानून विरोधाभासी होने के साथ-साथ समस्या को और गंभीर बना रहा है। एक नये किस्म के भ्रष्टाचार को पनपने का मौका मिल रहा है, इंस्पैक्टरी राज की चांदी ही चांदी है। भारी भरकम चालान से सड़क पर चल रहे लोगों में काफी खौफ है, डर है और गुस्सा भी है। इस डर एवं खौफ में वे ऐसी गलतियां कर जाते हैं, जो दुर्घटनाओं का कारण बन जाती है। अतिशयोक्तिपूर्ण जुर्माने एवं कानून को लागू करने पर तृणमूल कांग्रेस के शासन वाले पश्चिम बंगाल एवं कांग्रेस शासित राज्य सरकारों ने सवाल खड़े किये हैं। गुजरात की भाजपा सरकार ने ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के 24 मामलों में जुर्माने की दर 90 पर्सेंट तक कम कर दी है। दिल्ली सरकार भी ऐसे कुछ जुर्माने कम करने पर विचार कर रही हैै। इन स्थ...
संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी भाषा को आधिकारिक भाषा बनाने की मांग जोरदार तरीके से भारत को उठानी चाहिए!

संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी भाषा को आधिकारिक भाषा बनाने की मांग जोरदार तरीके से भारत को उठानी चाहिए!

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14 सितम्बर - हिन्दी दिवस पर सभी 135 करोड़ भारतीयों को हार्दिक बधाइयाँ!   देश की आजादी के पश्चात 14 सितंबर, 1949 को भारतीय संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को अंग्रेजी के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने तथा उनकी सरकार ने इस ऐतिहासिक दिन के महत्व को देखते हुए हिन्दी को देश-विदेश में प्रचारित-प्रसारित करने के लिए 1953 से सम्पूर्ण भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। भारत का परिपक्व लोकतंत्र, प्राचीन सभ्यता, समृद्ध संस्कृति तथा अनूठा संविधान विश्व भर में एक उच्च स्थान रखता है। भारत की गरिमा, गौरव तथा हिन्दी भाषा को हर कीमत पर विकसित करना चाहिए। स्वदेशी के प्रबल समर्थक भाई राजीव दीक्षित के अनुसार हिन्दी के विकास में सबसे ज्यादा योगदान महर्षि दयानंद सरस्वती तथा महात...
अभी चंद्रयान – 2 पर उम्मीद बाकी

अभी चंद्रयान – 2 पर उम्मीद बाकी

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भारत गत शनिवार की सुबह एक विश्व इतिहास रचने से मात्र एक कदम दूर रह गया। अगर सब कुछ ठीक रहता तो भारत दुनिया का ऐसा पहला देश बन जाता जिसका अंतरिक्षयान चन्द्रमा की सतह के दक्षिण ध्रुव के करीब उतरता। पर इसरो के वैज्ञानिकों की क्षमताओं पर किसी को संदेह नहीं है। भारत को जल्दी ही पुन:कामयाबी मिलेगी ही । इससे पहले अमरीका, रूस और चीन ने चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैन्डिंग करवाई थी । लेकिन, दक्षिण ध्रुव पर किसी ने अबतक लैंडिंग करवाने की हिम्मत नहीं की थी । भारत वह करने जा ही रहा था कि  चन्द्रमा से चंद किलोमीटर की दूरी पर जाकर हमारे चंद्रयान -२ का संपर्क इसरो द्वारा अन्तरिक्ष में स्थापित लैंडर विक्रम से टूट गया था । लैंडिंग तो हुई पर कहाँ और किन परिस्थितियों में हुई इसका अध्ययन चल रहा है। इसरो ने भी अपने एक वक्तव्य में कहा है कि चाँद पर गिरा है पर टूटा नहीं है लैंडर विक्रम । चंद्रयान -२ के लैंडर विक...
ख़ौफ़ में क्यों है आम नागरिक?

ख़ौफ़ में क्यों है आम नागरिक?

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हाल ही में मोदी सरकार द्वारा लागू हुए मोटर व्हीकल (संशोधन) अधिनियम 2019 को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कुछ लोग इसे एक अच्छी पहल बता रहे हैं तो वही पर दूसरे लोग इसे जनता के बीच ख़ौफ़ पैदा करने का एक नया तरीक़ा। कुछ तो इसे यातायात पुलिस में भ्रष्टाचार बढ़ाने का एक नया औज़ार भी बता रहे हैं। मोटर नियम को सख्त बनाकर मोदी सरकार के परिवहन विभाग ने यातायात नियम का उल्लंघन रोकने की कोशिश तो ज़रूर की है। लेकिन इसे कामयाब बनाने के लिए केवल जुर्माने की राशि पांच से सौ गुणा तक बढ़ा देने से कुछ नहीं होगा। मौजूदा नियम को अगर काफ़ी सख़्ती से लागू किया जाता और जुर्माने की राशि को दुगना या तिगुना किया जाता, तो काफ़ी सुधार हो सकता सम्भव था। उदाहरण के तौर पर आपको याद दिलाना चाहेंगे कि जब भारत में जब राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन हुआ था तो दिल्ली में एक लेन केवल खिलाड़ियों की बस और आपातकालीन वाहनों...
Creating Shadow of War

Creating Shadow of War

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After having failed to garner support for its campaign against India on Kashmir, Pakistan is trying to create a shadow of war in the Indian subcontinent. There are reports of Pakistan Army mobilizing some 2000 troops along the Line of Control in the Pak-occupied-Kashmir. The Indian Army has confirmed this report. Although, there is little chance of yet another Indo-Pak war, one should remember the fact that there is dearth of ‘saner’ elements in the Army establishment of Pakistan. The knee jerk reaction of Pakistan Prime Minister Imran Khan immediately after India’s decision to revoke Article 370 of the Constitution ending special status of Jammu and Kashmir on August 5, threatening India with ‘conventional war’ and reminding India and the world community of consequences of war between tw...
भ्रष्ट एमसीआई पर भारी एनएमसी

भ्रष्ट एमसीआई पर भारी एनएमसी

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भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति से हर भारतीय पूरी तरह वाकिफ है। पूर्ववर्ती सरकारों ने स्वास्थ्य शिक्षा के विषय को कभी राष्ट्रीय महत्व समझा ही नहीं। जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि आज हम चांद पर तो जा रहे हैं लेकिन अपने देश के लिए जरूरी चिकित्सकों की संख्या की आपूर्ति करने में असफल रहे हैं। मजबूत इच्छाशक्ति हो तो हर मैदान फ़तह की जा सकती है। मोदी सरकार-2 मजबूत राजनीतिक शक्ति के साथ इस बार मैदान में उतरी है। इसका अंदाजा इस बार के संसद सत्र में पास हुए बिलों के देखकर सहज ही लगाया जा सकता है। जिन बिलों पर दशकों से राजनीति होती आ रही थी आज वे कानून बन चुके हैं। इसी कड़ी में 8 अगस्त, 2019 का दिन स्वास्थ्य शिक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण बन गया है। राष्ट्रपति ने 8 अगस्त को राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग बिल-2019 पर अपना हस्ताक्षर कर दिया है। इस हस्ताक्षर के बाद अब राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के गठन का ...
अचानक क्यों बढ़ रही हैं देश की आर्थिक हालत की चर्चाएं

अचानक क्यों बढ़ रही हैं देश की आर्थिक हालत की चर्चाएं

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देश की आर्थिक स्थिति को लेकर मीडिया में चर्चाएं अचानक बढ़ गई हैं। पिछली तिमाही में कार और दो पहिया वाहनों की मांग में तेज़ी से आयी गिरावट के बाद तो कुछ ज्यादा ही चिंता जताई जाने लगी है। उधर विश्व में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत का ओहदा घट जाने की खबर ने भी ऐसी चर्चाओं को और हवा दे दी। अंदरूनी तौर पर वास्तविक स्थिति क्या है, इसका पता फ़ौरन नहीं चलता। हकीकत बाद में पता चलेगी। लेकिन फिलहाल सरकार उतनी चिंतित नहीं दिखाई देती। उसके पास कुछ तर्क भी हैं। मसलन जीएसटी से कर संग्रह पर असर पड़ा नहीं दिख रहा है। दूसरा तर्क यह कि अपने देश में उत्पादन में सुस्ती का एक कारण वैश्विक मंदी है। बहरहाल, आर्थिक हालत अभी उतनी बुरी न सही लेकिन आगे के लिए सतर्कता बरतना हमेशा ही जरूरी माना जाता है। सकल घरेलू उत्पाद में आधा पौन फीसद की घटबढ़ एक रूझान तो हो सकता है लेकिन यह किसी आफत का लक्षण नहीं कहा जा सकता...
सुस्त पड़ी अर्थव्यस्था को मिलेगी रफ्तार!

सुस्त पड़ी अर्थव्यस्था को मिलेगी रफ्तार!

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केंद्र सरकार ने सुस्त पड़ी देश की आर्थिक गतिविधियों को तेजी देने के लिए बैंकों को 70 हजार करोड़ देने, इसके अलावा करीब पांच लाख करोड़ की दूसरी सहायता देने के साथ ही उद्योग जगत और मध्यवर्गीय लोगों के लिए कई तरह के उपायों का ऐलान कर दिया है। सरकार ने जो उपाय किए हैं, उनकी तफसील से जानकारी हासिल करने के पहले जानना जरूरी है कि मंदी की आहट किन-किन क्षेत्रों में सुनाई दे रही है। भारत में खेती-किसानी के बाद जो क्षेत्र सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देता है, वह है टेक्सटाइल सेक्टर। यह सेक्टर 10 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। लेकिन इन दिनों इसकी हालत खराब है। इस सेक्टर की बुरी हालत को लेकर आर्थिक अखबारों ने जितनी बड़ी खबरें नहीं की, उससे ज्यादा बड़ी खबर बनी नॉर्दर्न इंडिया टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन के इश्तेहार ने। जिसमें उसने कहा है कि कपड़ा उद्योग में 34.6 फीसद की गिरावट आई है, जिसकी वजह से इस सेक्टर स...
सामाजिक एजेंडे से राष्ट्रनिर्माण तक

सामाजिक एजेंडे से राष्ट्रनिर्माण तक

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किसी भी राष्ट्र के विश्वगुरु बनने के क्रम में उसके नागरिकों में 'सिविक सैन्स’ का बड़ा योगदान होता है। सरकारें सिर्फ कानून बना सकती हैं। न्यायालय कानून पालन न होने की स्थिति में दंडित कर सकता है किन्तु यह सब समस्या का सिर्फ उपचार है। अकेले क़ानूनों के द्वारा सभ्य समाज का निर्माण संभव नहीं है। सभ्य समाज के निर्माण में क़ानूनों से ज़्यादा लोगों का योगदान महत्वपूर्ण होता है। जैसे मोटर व्हिकल एक्ट में हुये ताज़ा संशोधन में जुर्माने की राशि काफी हद तक बढ़ा दी गयी है। इस डर के द्वारा सड़क पर नियमों को मानने वालों की संख्या तो बढ़ सकती है किन्तु सड़क सुरक्षा की परिकल्पना तभी फलीभूत होगी जब लोग अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे। आजकल सड़कों पर ट्रैफिक इतना ज़्यादा दिखता है कि सड़क पर चलना स्वयं में सिरदर्द बन जाता है। बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या एवं सड़कों के किनारे कटे हुये पेड़ स्थिति को और जटिल बना देते ...