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अचानक क्यों बढ़ रही हैं देश की आर्थिक हालत की चर्चाएं

अचानक क्यों बढ़ रही हैं देश की आर्थिक हालत की चर्चाएं

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देश की आर्थिक स्थिति को लेकर मीडिया में चर्चाएं अचानक बढ़ गई हैं। पिछली तिमाही में कार और दो पहिया वाहनों की मांग में तेज़ी से आयी गिरावट के बाद तो कुछ ज्यादा ही चिंता जताई जाने लगी है। उधर विश्व में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत का ओहदा घट जाने की खबर ने भी ऐसी चर्चाओं को और हवा दे दी। अंदरूनी तौर पर वास्तविक स्थिति क्या है, इसका पता फ़ौरन नहीं चलता। हकीकत बाद में पता चलेगी। लेकिन फिलहाल सरकार उतनी चिंतित नहीं दिखाई देती। उसके पास कुछ तर्क भी हैं। मसलन जीएसटी से कर संग्रह पर असर पड़ा नहीं दिख रहा है। दूसरा तर्क यह कि अपने देश में उत्पादन में सुस्ती का एक कारण वैश्विक मंदी है। बहरहाल, आर्थिक हालत अभी उतनी बुरी न सही लेकिन आगे के लिए सतर्कता बरतना हमेशा ही जरूरी माना जाता है। सकल घरेलू उत्पाद में आधा पौन फीसद की घटबढ़ एक रूझान तो हो सकता है लेकिन यह किसी आफत का लक्षण नहीं कहा जा सकता...
सुस्त पड़ी अर्थव्यस्था को मिलेगी रफ्तार!

सुस्त पड़ी अर्थव्यस्था को मिलेगी रफ्तार!

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केंद्र सरकार ने सुस्त पड़ी देश की आर्थिक गतिविधियों को तेजी देने के लिए बैंकों को 70 हजार करोड़ देने, इसके अलावा करीब पांच लाख करोड़ की दूसरी सहायता देने के साथ ही उद्योग जगत और मध्यवर्गीय लोगों के लिए कई तरह के उपायों का ऐलान कर दिया है। सरकार ने जो उपाय किए हैं, उनकी तफसील से जानकारी हासिल करने के पहले जानना जरूरी है कि मंदी की आहट किन-किन क्षेत्रों में सुनाई दे रही है। भारत में खेती-किसानी के बाद जो क्षेत्र सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देता है, वह है टेक्सटाइल सेक्टर। यह सेक्टर 10 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। लेकिन इन दिनों इसकी हालत खराब है। इस सेक्टर की बुरी हालत को लेकर आर्थिक अखबारों ने जितनी बड़ी खबरें नहीं की, उससे ज्यादा बड़ी खबर बनी नॉर्दर्न इंडिया टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन के इश्तेहार ने। जिसमें उसने कहा है कि कपड़ा उद्योग में 34.6 फीसद की गिरावट आई है, जिसकी वजह से इस सेक्टर स...
सामाजिक एजेंडे से राष्ट्रनिर्माण तक

सामाजिक एजेंडे से राष्ट्रनिर्माण तक

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किसी भी राष्ट्र के विश्वगुरु बनने के क्रम में उसके नागरिकों में 'सिविक सैन्स’ का बड़ा योगदान होता है। सरकारें सिर्फ कानून बना सकती हैं। न्यायालय कानून पालन न होने की स्थिति में दंडित कर सकता है किन्तु यह सब समस्या का सिर्फ उपचार है। अकेले क़ानूनों के द्वारा सभ्य समाज का निर्माण संभव नहीं है। सभ्य समाज के निर्माण में क़ानूनों से ज़्यादा लोगों का योगदान महत्वपूर्ण होता है। जैसे मोटर व्हिकल एक्ट में हुये ताज़ा संशोधन में जुर्माने की राशि काफी हद तक बढ़ा दी गयी है। इस डर के द्वारा सड़क पर नियमों को मानने वालों की संख्या तो बढ़ सकती है किन्तु सड़क सुरक्षा की परिकल्पना तभी फलीभूत होगी जब लोग अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे। आजकल सड़कों पर ट्रैफिक इतना ज़्यादा दिखता है कि सड़क पर चलना स्वयं में सिरदर्द बन जाता है। बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या एवं सड़कों के किनारे कटे हुये पेड़ स्थिति को और जटिल बना देते ...
क्या न्यायाधीशों को सच बोलना मना है?

क्या न्यायाधीशों को सच बोलना मना है?

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पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार के खिलाफ उनके बाकी साथी न्यायाधीशों व मुख्य न्यायाधीश ने बैठक करके एक आदेश पारित किया, जिसके तहत न्यायमूर्ति राकेश कुमार से सभी मुकदमों की सुनवाई छीन ली गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि न्यायमूर्ति राकेश कुमार ने एक मुकदमें में फैसला देते हुए न्यायाधीशों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर तल्ख टिप्पणी की थी। न्यायमूर्ति राकेश कुमार ने एक लंबे आदेश में बताया कि जब से उन्होंने न्यायाधीश का काम संभाला, तब से उन्होंने देखा कि किस तरह उनके साथी न्यायाधीश भ्रष्टाचार व अनैतिक आचरण में लिप्त हैं। उन्होंने यह भी देखा कि उनके साथी न्यायाधीश छोटे-छोटे लाभ के लिए किस तरह मुख्य न्यायाधीश की चाटूकारिता करते हैं। न्यायमूर्ति राकेश कुमार का इतना आक्रामक आदेश और न्यायाधीशों के आचरण पर इतनी बेबाक टिप्पणी न्यायपालिका के माननीय सदस्यों को स्वीकार नहीं हुई और उन्होंने न...
देश में मेडिकल टूरिज्म की अपार संभावनाएं

देश में मेडिकल टूरिज्म की अपार संभावनाएं

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देश के हर इंसान को बेहतर मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करवाने को लेकर लंबे समय से बातें तो हो रही थी, पर अब जाकर सरकार ने देश में75 नये सरकारी मेडिकल कॉलेजों  को खोलने के प्रस्ताव को विगत बुधवार को मंजूरी देकर एक अहम ऐतिहासिक फैसला लिया है। कहने कीजरूरत नहीं है कि देश में जब नए-नए मेडिकल कालेज खुलेंगे तो उनसे देश को डाक्टर, नर्से और दूसरे मेडिकल स्टाफ भी मिलेंगे। इससे सेवा के क्षेत्र में सम्मानजनक रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कोई भी देश अपने नागरिकों को स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएऐं दिए बगैर अपने को विकसितहोने का दावा तो नहीं कर सकता है। इन मेडिकल कॉलेजों को खुलने से प्रतिवर्ष हजारों ऐसे बच्चे-बच्चियों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले का अवसर मिलेगा जो मेधावी तो थे लेकिन गरीबी के कारण भारी भरकम फीस वाले “डोनेशन की वसूली” में लिप्त प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने में असर्मथ थे। लेकिन, भारत को...
नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरणों के घोटालों की जांच हेतु राष्ट्रपति को मौलिक भारत के पत्र

नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरणों के घोटालों की जांच हेतु राष्ट्रपति को मौलिक भारत के पत्र

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मौलिक भारत: दो दशकों के नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरणों में सभी घोटाले व आरोपों की समयबद्ध रूप से विस्तृत जांच हो व इसके लिए उच्चतम न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल बने । आम्रपाली मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार हो।                        राष्ट्रपति जी इस मामले को संज्ञान लेते हुए अपनी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए जनहित में बड़ा निर्णय लें। प्रतिष्ठित संस्था मौलिक भारत ने दिनांक 2 सितंबर को नोएडा के अग्रसेन भवन में आयोजित प्रेसवार्ता में उन दो प्रतिवेदनों को मीडिया को जारी किया जो संस्था ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरणों में पिछले दो दशकों से चल रही लूट के खेल को विस्तार से उजागर करते हुए राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी को लंबे मांगपत्र के साथ भेजे हैं। 300 से भी अधिक पृष्ठों के दस्तावेज सहित इस प्रतिवेदन की ...
बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर

बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर

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भारत एक युगान्तकारी मोड़ पर है। जिस तेजी से सरकार व समाज में राष्ट्रीयता का भाव घर कर रहा है वह स्वागतयोग्य है। जम्मू कश्मीर में अलगाववाद को प्रश्रय देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 की समाप्ति से जहां देश एक हुआ वहीं विभाजनकारी ताकतें व अर्बन नक्सलियों व पेड देशद्रोही बुद्धिजीवियों की नस्ल ही तबाह हो गयी। तीन तलाक, मोटर वाहन अधिनियम सहित दर्जनों अनेक ऐसे विधेयक संसद में पारित किए गए जिनसे भारत के एक समरस, समृद्ध व विकसित समाज बनने की राह प्रशस्त हो गई है और उससे भी बड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जल, जनसंख्या व पर्यावरण के लिए की गई अभिनव पहल देश में बड़े समाज सुधारों की राह खोलने जा रही है। इन उपलब्धियों के बीच चुनौतियां भी उतनी ही बड़ी हैं। अनुच्छेद 370 की समाप्ति से देश में अनेक विपक्षी दल विशेषकर कांग्रेस पार्टी में बड़ी बौखलाहट है। विभाजन की राजनीति की विषबेल जिस प्रकार आजादी के...
अर्थव्यवस्था के संकट से उबरने की तैयारी

अर्थव्यवस्था के संकट से उबरने की तैयारी

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भारत आर्थिक मंदी की मार से त्रस्त होता दिख रहा है, आर्थिक अंधेरा चहुं ओर परिव्याप्त हुआ है। अर्थव्यवस्था इस समय बहुत नाजुक दौर से गुजर रही है। बेरोजगारी बढ़ रही है, व्यापार ठप्प है, बाजार सूने हंै, बड़ी कम्पनियां अपने कर्मियों की छंटनी कर रही है, ऐसे कई आंकड़ें एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के चरमराने के संकेत दे रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार बेरोजगारी दर पिछले 45 सालों में सबसे नीचे के स्तर पर पहुंच चुकी है और ऑटोमोबाइल सेक्टर के साथ-साथ उत्पाद काफी समय से मंदी की ओर अग्रसर है। सरकार को अर्थव्यवस्था का संकट गहराने से पहले जल्द कदम उठाने होंगे और नाजूक होती स्थिति को देखते हुए यदि सरकार जागी है तो यह शुभ संकेत है। एक तरफ केन्द्र सरकार ने अर्थव्यवस्था में सुधार के लिये प्रोत्साहन या पैकेज की घोषणा की है, जो दूसरी ओर भारतीय रिर्जव बैंक के खजाने से भी केन्द्र सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुप...
क्यों मिलती रहे गांधी कुनबे को एसपीजी सुरक्षा?

क्यों मिलती रहे गांधी कुनबे को एसपीजी सुरक्षा?

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केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सुरक्षा का स्तर घटाते हुए उनसे एसपीजी सुरक्षा घेरा वापस लेने का निर्णय लिया है। सरकार ने यह कदम उनकेजीवन को खतरे की सुरक्षा विशेषज्ञों की समिति द्वारा गहन समीक्षा के बाद उठाने का दावा किया है। एसपीजी अधिनियम की व्यवस्था के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्रियों औरउनके परिवार को उपलब्ध कराई गई एसपीजी सुरक्षा की वार्षिक समीक्षा अनिवार्य है। सरकार के इस फैसले के बाद अब एसपीजी सुरक्षा घेरा केवल प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनकी संतानों राहुल गांधी और प्रियंका के कुनबे के लिए उपलब्ध है। इनमें से प्रियंका गांधी वाड्रा किसी स्तर की निर्वाचितप्रतिनिधि भी नहीं हैं। वैसे भी एस.पी.जी. एक्ट में पूर्व प्रधान मंत्रियों के परिवार की जो परिभाषा दी गई है, उसमें “दामाद” कहीं भी नहीं है। परिवार की परिभाषा में पति-पत्नी, बच्चे और माता-पिता ...
Why Afraid if No Wrong Committed

Why Afraid if No Wrong Committed

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Dramatic arrest of senior Congress leader and former Finance Minister P Chidambaram in the INX Media case the other day has taken everyone by surprise. After all what were the reasons that made Chidambaram play hide and seek for 27 hours with the CBI when the investigating agency went to arrest him following rejection of his anticipatory bail plea by Delhi High Court. After he was sent to CBI remand for five days, Chidambaram moved a petition in the Supreme Court seeking relief asking for cancellation of the arrest warrant. But the Supreme Court dismissed his appeal since the petition became ‘infructuous’ once he was arrested. The CBI court has accepted CBI plea for extending Chidambaram’s remand by another four days. He will appear again on August 30 before the trial court. The way Chida...