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कल तक वो रीना थी लेकिन आज “रेहाना” है

कल तक वो रीना थी लेकिन आज “रेहाना” है

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दिन की शुरुआत अखबार में छपी खबरों से करना आज लगभग हर व्यक्ति की दिनचर्या का हिस्सा है। लेकिन कुछ खबरें सोचने के लिए मजबूर कर जाती हैं कि क्या आज के इस तथाकथित सभ्य समाज में भी मनुष्य इतना बेबस हो सकता है? क्या हमने कभी खबर के पार जाकर यह सोचने की कोशिश की है कि क्या बीती होगी उस 12 साल की बच्ची पर जो हर रोज़ बेफिक्र होकर अपने घर के आंगन में खेलती थी लेकिन एक रोज़ उसका अपना ही आंगन उसके लिए महफूज़ नहीं रह जाता? आखिर क्यों उस आंगन में एक दिन यकायक एक तूफान आता है और उसका जीवन बदल जाता है?  वो बच्ची जो अपने माता पिता के द्वारा दिए नाम से खुद को पहचानती थी आज वो नाम ही उसके लिए बेगाना हो गया। सिर्फ नाम ही नहीं पहचान भी पराई हो गई। कल तक वो रीना थी लेकिन आज "रेहाना" है। सिर्फ पहचान ही नहीं उसकी जिंदगी भी बदल गई। कल तक उसके सिर पर पिता का साया था और भाई का प्यार था लेकिन आज उसके पास एक  "शौहर" है। ...
सरकार बनाने से पहले हजारों करोड़ का घोटाला?

सरकार बनाने से पहले हजारों करोड़ का घोटाला?

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क्या कांग्रेस गरीबों को न्याय दिलाने के नाम पर फर्जी आंकड़ा बताकर चुनाव के पहले ही भविष्य में घोटाला करने की तैयारी कर रही है? 5 करोड़ परिवारों को 12 हजार रूपए प्रति माह देने के लिए साल में साढ़े तीन लाख करोड़ का भार पड़ने की संभावना जताई जा रही, जबकि गरीब परिवारों की संख्या मात्र पांचवां हिस्सा, 1 करोड़ के करीब है। ऐसे में क्या ढ़ाई लाख करोड़ का घोटाला करने की रणनीति बनाई जा रही है? लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को रिझाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने घोषणा की है कि जब सरकार बनेगी तो देश के 20 प्रतिशत आबादी जो ग़रीबी रेखा के नीचे रहती है याने 5% परिवार को प्रति माह 12,000 ₹ की दर से न्यूनतम वेतन की गारंटी दी जाएगी। कांग्रेस पार्टी से न्याय योजना के रूप में प्रचारित कर रही है लेकिन इस योजना में गंभीर त्रुटियां है सबसे बड़ी त्रुटि ग़रीबी रेखा के बीच रहने वाले लोगों की संख्या को लेकर है। रंगराजन स...
आचरण से वामपंथी और भाषणो में लोकतांत्रिक

आचरण से वामपंथी और भाषणो में लोकतांत्रिक

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आपको लगता है कि ममता बनर्जी के शासन संभालने के बाद बंगाल में वामपंथी शासन समाप्त हो गया था? यही बात अखिलेश शासन काल के लिये सोच कर देखिये, क्या वह एक लोकतांत्रिक दल होने के नाते समाजवादी विचारधारा पर काम कर रहा था? यही बात मध्य प्रदेश और राजस्थान की नई सरकार के बारे में विचार कर के देखें, क्या वो गांधी जी या शास्त्री जी वाली कांग्रेस की किसी भी विचारधारा से मेल खाते हुए शासन कर रहे हैं? कर्नाटक सरकार का शासन लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करते हुए शासन चला रहा है?  इन सब पर विचार करें तो यही आभास होता है कि लोकतांत्रिक दल होने के बाद भी इनकी कार्यशैली में वामपंथ ने तेजी से पैर पसार लिये हैं। लोकतंत्र का विलाप करने वाले अक्सर ‘जनता का, जनता के लिये, जनता के द्वारा’ का नारा लगाते हैं, क्या पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश की सत्ता के निर्णयों में इस सद्वाक्य का कोई भी आभास लगता ...
गरीबों को गुमराह करने का षड़यंत्र

गरीबों को गुमराह करने का षड़यंत्र

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सत्तर साल से गरीबी एवं गरीबों को मजबूत करने वाली पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने दुनिया की सबसे बड़ी न्यूनतम आय गारंटी योजना से गरीबों के हित की बात करके देश की गरीबी का भद्दा मजाक उडाया है। इस चुनावी घोषणा एवं आश्वासन का चुनाव परिणामों पर क्या असर पड़ेगा, यह भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इस घोषणा ने आर्थिक विशेषज्ञों एवं नीति आयोग की नींद उड़ा दी है। इस योजना को बीजेपी सरकार द्वारा किसानों को सालाना 6000 रुपए देने की घोषणा का जवाब माना जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अनुसार, अगर उनकी सरकार सत्ता में आई तो सबसे गरीब 20 प्रतिशत परिवारों को हर साल 72,000 रुपए दिए जाएंगे। इस सहायता राशि को सीधे गरीबों के खातों में हस्तांतरित किया जाएगा और 5 करोड़ परिवार अथवा करीब 25 करोड़ लोग इससे लाभान्वित होंगे। क्या यह घोषणा सीधे तौर पर पच्चीस करोड़ गरीबों के वोट को हथियाने का षडयंत्र है? रा...
पित्रोदा मांगते सुबूत, खुश होगा पाक

पित्रोदा मांगते सुबूत, खुश होगा पाक

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अब कांग्रेस के वैज्ञानिक दिमाग के नाम से सुविख्यात सैम पित्रोदा ने भी भारतीय वायु सेना से पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों को तबाह करने के सुबूत मांगे हैं। कभी राजीव गांधी के खासमखास करीबी रहे पित्रोदा आजकल राहुल गांधी के भी मुख्य सलाहकार बने हुए हैं। अमेरिका में लंबे समय से बसे हुए पित्रोदा अब देखना चाहते हैं, भारतीय वायुसेना के हमले में 300 से अधिक आतंकियों के मारे जाने के ठोस साक्ष्य।पित्रोदा ने कहा कि “पाकिस्तान से आए कुछ लोग” यदि आतंकी वारदात अंजाम देते हैं तो उसकी सजा पूरे पाकिस्तान को क्यों  दी जा रही है? कितने भोले बन रहे हैं पित्रोदा जी। क्या उन्हें पता नहीं कि पाकिस्तान सेना और  सरकार ही पालती है आतंकियों को?  पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने एक साक्षात्कार के दौरान यह खुले तौर पर माना भी था कि उनके कार्यकाल में भारत पर जैश-ए-मोहम्मद से आतंकी हमले करवाया...
2019 में भाजपा ही क्यों ?

2019 में भाजपा ही क्यों ?

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आप भी क्यों या क्यों नहीं के कुछ कारण बताएँ तो अवश्य ही आँखों के आगे छाया धुँधलका छँटेगा और तरक़्क़ी की राहें रौशन होंगीं | मैं न तो भाजपा का सदस्य हूँ, न कार्यकर्त्ता, फिर भी एक बार पुनः भाजपा की सरकार बनते देखना चाहता हूँ | आख़िर क्यों :- 1. भाजपा इकलौती ऐसी पार्टी है जिसकी नीति और नीयत स्पष्ट है | अतिशय तुष्टिकरण के कारण बाक़ी सभी पार्टियाँ संशयग्रस्त रहती हैं और आर-पार वाले निर्णय के वक्त में भी वोट की चिंता में 'गिरगिट' बनी नज़र आती है | 2. भाजपा के अलावा किसी और दल के पास साहसिक निर्णय लेने वाला राष्ट्रवादी नेतृत्व नहीं है |पहली बार किसी सरकार ने दूसरे देश की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करने की हिम्मत दिखाई | 3. कर्मठता, ईमानदारी, कर्तव्यपरायणता, वक्तृत्व-कौशल, अंतरराष्ट्रीय प्रभाव एवं सूझ-बूझ , निष्कलंकता, पार्टी व कार्यकर्त्ताओं को अनुशासित रखने की क्षमता- ऐसी तमाम कसौटि...
है अंधेरी रात, पर दीवा जलाना कब मनाना है

है अंधेरी रात, पर दीवा जलाना कब मनाना है

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करोङों हिंदुस्तानियों की तरह नाना ने भी सूखे का संत्रास देखा; आत्महत्या कर चुके किसानों के परिवार वालों के दर्द भरे साक्षात्कार सुने। मैने भी सुने। मेरी हमदर्दी कलम तक सीमित रही, किंतु नाना ने कहा कि टेलीविजन पर देखे दृश्यों से उनका दम घुटने लगा; उनकी नींद उङ गई। उन्होने सोचा - ''जो किसान कभी राजा थे, उनके पास आज न अपने मवेशी के लिए चारा-पानी है और न अपने लिए। मैं जो कर सकता हूं; वह करूं।''  जो मुट्ठी भर धन नाना के पास था, उसे लिया और मकरन्द के कहने पर 15-15 हजार रुपये करके 250 विधवाओं में बांट आये। लेकिन नाना इससे संतुष्ट नहीं हुए; सोचा कि यह उपाय नहीं है। असली उपाय है कि पानी के खो गये स्त्रोत को ढूंढ निकालो और उसे जिंदा कर दो। लोगों को साथ जोङकर खुद श्रम करो; पसीना बहाओ। महसूस करो कि कैसे कोई किसान तपती धूप और सख्त मिट्टी से जूझकर हमारे लिए अन्न पैदा करता है। नाना ने इसके लिए 'नाम फाउण...
Why Azhar was released by BJP Govt. in 1999

Why Azhar was released by BJP Govt. in 1999

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There were valid and credible reasons for releasing Masood Azhar in 1999. Masood was released on humanitarian ground, to save life of many Indians.Those who are now questioning the decision of the then BJP government headed by Atal Behari Vajpayee forget the fact that there were 176 passengers on board the flight IC 814 of the Indian Airlines when it was hijacked soon after taking off from Kaathmandu for Delhi on December 24, 1999. Life of passengers including children and women were at risk. If the then government was to be faulted it was its indecision to block the runway in Amritsar when the hijacked plane landed here for refueling. It was there for 45 minutes. It was easy for the administration to prevent the aircraft from taking off from India by blocking the runway. This would have ...
ग्रामीण अर्थ व्यवस्थाः एनडीए बनाम यूपीए

ग्रामीण अर्थ व्यवस्थाः एनडीए बनाम यूपीए

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लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही आरोपों-प्रत्यारोपों का बाजार गर्म है। तरह-तरह के आकड़ें जनता के समक्ष पेश कर ज्यादातर मामलों में जितना कुछ भी बताया जा रहा है, उससे ज्यादा तथ्य छिपाया भी जा रहा है। रक्षा मंत्रालय के दस्तावेजों की चोरी कर के उनमें अपना मतलब साधने वाले तथ्यों को ही बताकर और सुप्रीम कोर्ट में आधी-अधूरी सूचना का गलत हलफनामा दायर कर जनता को गुमराम करने की भरपूर कोशिश की जा रही है। जबकि संचिका के मात्र एक भ्रामक टिप्पणी के ऊपर और नीचे की दूसरी टिप्पणियों को छुपा लिया गया है। यही रोजगार के मामले में हो रहा है। रोजगार के मामले में एक डाटा पेश किया जा रहा है जो भविष्य निधि खाता के संबंध में है। यह आकड़ा स्थायी नहीं होता है। देश के भविष्य निधि खाता धारकों की संख्या का विभिन्न कारणों से घटते-बढ़ते रहना स्वाभाविक है। जैसे धान की बोआई,गेहूं की कटाई,शादी-ब्याह के लगन में लाखों श्रमिक एक से दो...
Are Pak tanzeems too hot to handle?

Are Pak tanzeems too hot to handle?

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There would be no question of using the type of heavy weapons, helicopter gunships and aircraft in the province without tearing Pakistan apart. That would appear to be the case because attempts to bring them under control have been taking place at least from the beginning of this century if not earlier. General Pervez Musharraf who took over Pakistan in a coup against Prime Minister Nawaz Sharif used the full force of all the entities of the state that he controlled to put an end to them for once and for all. At that time as well as fearing an attack from India after the several outrages, the pressure to come down hard on tanzeems came from the US and its allies to the extent that the general had no choice but to capitulate. He was afraid of more dire consequences were he ...