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ग्राम विकास व राष्ट्र-धर्म के अग्रदूत भारत रत्न नानाजी देशमुख

ग्राम विकास व राष्ट्र-धर्म के अग्रदूत भारत रत्न नानाजी देशमुख

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यूं तो हमारा देश पुरातन काल से ही ॠषियों, मुनियों, मनीषियों, समाज सुधारकों व महापुरुषों का जनक रहा है जिन्होंने न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर जगत कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। किंतु आधुनिक युग की बदलती हुई परिस्थितियों में ऐसे महापुरुष बिरले ही हैं। ग्यारह अक्टूबर, 1916 को महाराष्ट्र के परभणी जिले के एक छोटे से ग्राम कडोली में जन्मे चंडिका दास अमृतराव देशमुख ने अपने बाल्यावस्था में शायद ही ऐसी कल्पना की होगी कि वह अपने जीवन काल में किये गये सेवा, संस्कार व शिक्षा के प्रसार के माध्यम से 50,000से अधिक विद्यालयों की स्थापना, 500 से अधिक ग्रामों का विकास, भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी, दीनदयाल शोध संस्थान, राष्ट्र, धर्म, पांचजन्य व‘दैनिक स्वदेश’ का संपादन/प्रबंधन के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम पूरे विश्व में फैलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा पायेगा। भारत सरकार उ...
परिवारवाद की राजनीती में हुआ नये चेहरे का पदार्पण

परिवारवाद की राजनीती में हुआ नये चेहरे का पदार्पण

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भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में से एक कांग्रेस ने बुधवार दोपहर जब प्रियंका गाँधी वाड्रा को महासचिव बनाने के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया तो कांग्रेस समर्थको में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी, इसी के साथ इस कथन पर भी मुहर लग गयी कि “भारत की राजनीती में परिवारवाद” हमेशा की तरह हावी रहेगा, फिर चाहे वो किसी भी राजनीतिक दल में ही क्यों न हो. वंशवाद अथवा परिवारवाद सत्ता के शासन की वह प्रणाली है जिसमे एक ही परिवार, वंश से एक के बाद एक कई शासक बनते जाते है. भाईभतीजावाद का जनक इसका ही एक रूप है. ऐसा माना जाता है कि लोकतंत्र में परिवारवाद के लिए कोई स्थान नही है, परन्तु यह फिर भी हावी है. भारत में हर चुनाव से पहले लगभग हर राजनीतिक दल का एक दूसरे पर भाषणों के द्वारा किये जाने वाले हमलों का प्रमुख मुद्दा परिवारवाद एवं वंशवाद ही होता है, फिर चाहे वो भारतीय जनता पार्टी हो या समाजवादी पार्ट...
देवकांत बरूआ जैसी चाटुकारिता करते शशि थरूर

देवकांत बरूआ जैसी चाटुकारिता करते शशि थरूर

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चाटुकारिता और चमचागिरी की भी हद होती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने तो शब्दकोश में लिखीं सारी हदें तक पार कर दी हैं।पुराने ज़माने में राजाओं के यहॉं "भॉट" रहा करते थे। वे होते तो थे वैसे आशुकवि क़िस्म के बुद्धिमान इन्सान , पर उनका काम होता था रोज़ सुबह राजा जब सिंहासन पर विराजमान हों, राजा की स्तुति गान मे नई- नई रचनाओं का पाठ या गान करना। उसे चारण पाठ भी कहते थे। शशि थरूर भी उच्च कोटि के विद्वान और समझदार पढ़े लिखे इन्सान हैं। पर वे कब से भॉटगिरी करने लगे,चारणपाठ करने की क्या मजबूरी आ गई उनके लिए, मैं समझ नहीं पा रहा। मैं शशि के पूरे परिवार को पॉंच दशक से ज़्यादा समय से जानता हूँ । सत्तर के दशक में जब शशि के पिता चन्द्रन थरूर दैनिक स्टेट्समैन में ऊंचे पद पर थे, तब से मैं उन्हें जानता था। जब बांग्लादेश युद्ध के जोखिम भरे असाइनमेंट के बाद मैं कोलकाता लौटा था, तब चन्द्रन ने मेरे लिए ...
राष्ट्रीय सरकार क्यों न बने?

राष्ट्रीय सरकार क्यों न बने?

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संसदीय चुनाव दस्तक दे रहा है। सत्ता पक्ष खम ठोक कर अपने वापिस आने का दावा कर रहा है और साथ ही विपक्षी दलों के गठबंधन कोअवसरवादियों का जमावाड़ा बता रहा है। आने वाले दिनों में दोनों ओर से हमले तेज होंगे। कुछ अप्रत्याशित घटनाऐं भी हो सकती है। जिनसे मतोंका ध्रुवीकरण किया जा सके। पर चुनाव के बाद की स्थिति अभी  स्पष्ट नहीं है। हर दल अपने दिल में जानता है कि इस बार किसी की भीबहुमत की सरकार बनने नहीं जा रही। जो दूसरे दलों को अवसरवादी बता रहे हैं, वे भी सत्ता पाने के लिए चुनाव के बाद किसी भी दल के साथगठबंधन करने को तत्पर होंगे। इतिहास इस बात का गवाह है कि भजपा हो या कांग्रेस, तृणमूल हो या सपा, तेलगुदेशम् हो या डीएमके,शिवसेना हो या राष्ट्रवादी कांग्रेस, रालोद हो या जनता दल, कोई भी दल, अवसर पड़ने पर किसी भी अन्य दल के साथ समझौता कर लेता है।तब सारे मतभेद भुला दिये जाते है। चुनाव के पहले ...
सफलता का मंत्र है कल नहीं, आज

सफलता का मंत्र है कल नहीं, आज

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‘कल नहीं आज’ यह ही सफलता का परम मंत्र है। हमें जीवन के हर क्षेत्र में उसका अनुसरण करना चाहिए। एक अंग्रेज विचारक ने लिखा है-भूतकाल इतिहास है, भविष्य रहस्य है, वर्तमान उपहार है। इसलिए वर्तमान को प्रजेंट कहते हैं। अतः हमें आज के प्रति वफादार और जागरूक बनना चाहिए। जो आज को सार्थक बनाता है, उसके भूत और भविष्य दोनों सफल बन जाते हैं। एक सबक हमेशा गांठ बांधकर रखना होगा कि खेल छोड़ देने वाला कभी नहीं जीतता और जीतने वाला कभी खेल नहीं छोड़ता। यदि बड़े काम नहीं कर सकते, तो छोटे काम बड़े ढंग से करने चाहिए। हर बार हां ही नहीं ना भी कहना सफलता के लिये जरूरी होता है। क्योंकि हमारी ‘हां’ की तरह ‘ना’ के भी मायने होते हैं। एक समय में हम सब कुछ नहीं चुन सकते। हमें अपनी और अपनों की बेहतरी को ध्यान में रखते हुए चुनाव करने होते हैं। यूं भी हर ‘हां’, कहीं ‘ना’ होती है और हर ‘ना’, कहीं ‘हां’ हो ...
आखिर क्यों हम तोड़ते हैं कतार

आखिर क्यों हम तोड़ते हैं कतार

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हाल ही में कुछ अखबारों ने एक फोटो छापी थी। उसमें संसार के सबसे धनी इंसान बिल गेट्स कतार में खड़े हैं। वह तस्वीर अपने-आप में बहुत कुछ कहती है,   कतार के महत्व को भलीभांति समझाती है। हमारे अपने यहां रोज बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, सिनेमा घर वगैरह–वगैरह में, हर जगह कतारों के तोड़ने की घटना को दर्शाती घटनाओं की साक्षी हिन्दुस्तानियों के लिए उपर्युक्त चित्र अकल्पनीय अहसास दे जाते हैं। यकीन ही नहीं होता कि माइक्रोसाफ्ट कंपनी का संस्थापक बिल गेट्स कायदे से कतार में खड़ा है। उनके पास कतार में खड़े होने का वक्त है। वे अपने पैसे के रसूख से कतार को तोड़ते की हिमाकत नहीं करता। क्या आप भारत में इस तरह की घटना की कल्पना कर सकते हैं कि भारत का कोई नामवर या असरदार इंसान भी कतार में खड़ा हो?  असंभव है। कतार को तोड़ने के मामले में सारा देश एक है। भारत का अमीर और शक्तिशाली तो लाइन में खड़ा होना अपनी शान के खिला...
Keep Crowd Under Control at Kumbh

Keep Crowd Under Control at Kumbh

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The Kumbh festival begins on Sankranti day. Come January 15, the sound of conch and slokas would reverberate on the banks of ‘Sangam’, the confluence of Ganga, Jamuna and Sarswati at Prayagraj. Hundreds of thousands of devotees and pilgrims would take the Holy dip that day to herald the Kumbh this year. Pilgrims would converge at the Kumbh from all over the country and from abroad. Many will come as ‘tourists’ to watch the humongous assembly of people at one place. The legend has it that anyone who with pious thought takes  three dips in Sangam attains the ‘Moksha’ , freeing onesdelf from the cycle of birth and rebirth. Organising a religious congregation of this scale where millions of people gather is big challenge for any government and administration.  Preparations for Kumbh begins y...
कठिन है राजनीतिक उजालों की तलाश

कठिन है राजनीतिक उजालों की तलाश

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आगामी लोकसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में गठबंधनों की राजनीति के नित-नये रंग उभर रहे हैं। सभी राजनीतिक दल चुनाव परिणामों की संभावनाओं की समीक्षा के पश्चात गलतियों को सुधारते हुए जीत को तलाशने में जुट गये हैं। अनेक विरोधाभासों एवं विसंगतियों के बीच राजनीतिक उजालों को तलाशा जा रहा है। सभी दलों के बीच राजनीति नहीं, स्वार्थ नीति देखने को मिल रही है। साझा सरकार के सभी दलों की सोच है कि सरकार में भी रहें और आगामी चुनाव में भी हमारा स्वतंत्र अस्तित्व बना रहे, ठीक इसी तरह विपक्षी महागठबंधनों में भी ऐसी ही मानसिकता देखने को मिल रही है, इसलिये वे गठबंधन से अलग रहकर या छोटे गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रह हैं। लखनऊ में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच ऐसे ही गठबंधन के ऐलान ने आगामी लोकसभा चुनावों की लड़ाई का अनौपचारिक आरंभ कर दिया है। ढाई दशक के शत्रुता एवं कड़वाहट...
मकड़जाल में सीबीआई

मकड़जाल में सीबीआई

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सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को बड़ी राहत देते हुए 77 दिन बाद पुनः अपने पद पर बिठा दिया। यह भी स्पष्ट कर दिया कि ‘विनीत नारायण फैसले’ के तहत सीबीआई निदेशक का 2 वर्ष का निधार्रित कार्यकाल ‘हाई पावर्ड कमेटी’ जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश होते हैं, की अनुमति के बिना न तो कम किया जा सकता है, न उसके अधिकार छीने जा सकते हैं और न ही उसका तबादला किया जा सकता है। इस तरह मोदी सरकार के विरूद्ध आलोक वर्मा की यह नैतिक विजय थी। पर अपनी आदत से मजबूर आलोक वर्मा ने इस विजय को अपने ही संदेहास्पद आचरण से पराजय में बदल दिया। सीबीआई मुख्यालय में पदभार ग्रहण करते ही उन्हें अपने अधिकारियों से मिलना-जुलना, चल रही जांचों की प्रगति पूछना और नववर्ष की शुभकामनाऐं देने जैसा काम करना चाहिए। पर उन्होंने किया क्या? सबसे विवादास्पद व्यक्ति डा. सुब्रमनियन स्वामी से अ...
Social Justice for Weaker Section

Social Justice for Weaker Section

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With the Gazette notification of the 124th Constitution Amendment providing 10% reservation in jobs and in educational institutions for weaker section of the upper caste the Bill is now an Act of Law. Within 24 hours of the official nodification, Gujrat became the first State to implement the job reservation policy. Jharkhand was the second state to declare that it has started giving job reservation to economically weaker section of upper caste as per the new law. Both States have BJP Government. I would like to remind the critics of Prime Minister Narendra Modi who finally accepted and implemented the long standing demand of ‘reservation’ for upper castes in government job and education. It was much needed to end the inequality and lack of opportunity to the weaker section in the name ...