Shadow

Today News

समय है ज्ञान को किताबों से बाहर निकालने का

समय है ज्ञान को किताबों से बाहर निकालने का

addtop, Today News, राष्ट्रीय
आज सोशल मीडिया केवल अपनी बात कहने का एक सशक्त माध्यम नहीं रह गया है बल्कि काफी हद तक वो समाज का आईना भी बन गया है। क्योंकि कई बार उसके माध्यम से हमें अपने आसपास की वो कड़वी सच्चाई देखने को मिल जाती है जिसके बारे में हमें पता तो होता है लेकिन उसके गंभीर दुष्परिणामों का अंदाजा नहीं होता। ताज़ा उदाहरण सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल होते एक वीडियो का है जिसमें कॉलेज के युवक युवतियों से हाल के विधानसभा चुनावों के बाद नई सरकार के विषय में उनके विचार जानने की कोशिश की जा रही है। प्रश्नकर्ता हर युवक युवती से पूछती है कि चुनावों के बाद मध्यप्रदेश का “राष्ट्रपति” किसे बनना चाहिए? किसी ने किसी नेता का नाम लिया तो किसी ने दूसरे का। एक दो ने तो यहां तक कहा कि उसे लगता है कि शिवराज को एक और मौका दिया जाना चाहिए। लेकिन एक भी युवा ने यह नहीं कहा कि प्रश्न ही गलत है क्योंकि राज्य में राष्ट्रपति नहीं मुख्यमंत्र...
भाजपा को नये रास्ते बनाने होंगे

भाजपा को नये रास्ते बनाने होंगे

addtop, Today News, TOP STORIES, विश्लेषण
जबसे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा की कमजोर स्थिति सामने आयी है, एक शीर्ष वर्ग पार्टी के भीतर थोड़ा ठहरकर अपने बीते दिनों के आकलन और आने वाले दिनों के लिये नये धरातल को तैयार करने की वकालत करने लगा है। इन पांच राज्यों के चुनाव के परिणाम एवं लोकसभा चुनाव की दस्तक जहां भाजपा को समीक्षा के लिए तत्पर कर रही है, वही एक नया धरातल तैयार करने का सन्देश भी दे रही है। इस दौरान संघ के वरिष्ठ अधिकारी किशोर तिवारी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर मांग की है कि भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पार्टी की बागडोर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को सौंपी जानी चाहिए। वरिष्ठ भाजपा नेता संघप्रिय गौतम ने भी मांग की है कि मौजूदा पार्टी नेतृत्व को तीन राज्यों में हार की जिम्मेदारी लेकर पद छोड़ देना चाहिए। लेकिन यह तो भविष्य की रचनात्मक समृद्धि का सूचक नहीं है। वर्तमान ...
इस जीत-हार के सबब

इस जीत-हार के सबब

addtop, Today News, विश्लेषण
अगर जीत ही पैमाना है तो इन पांच राज्यों के चुनावों में 3-2 से कांग्रेस जीती है और 'जो जीता वही सिकंदरÓ वाले अमित शाह के फॉर्मूले से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान में कांग्रेस की सरकारें बन भी गयीं। कायदे व सही मायने में तो कांग्रेस छत्तीसगढ़ ही जीती और तेलंगाना व मिजोरम बुरी तरह हारी। मगर भाजपा मध्यप्रदेश व राजस्थान जीतते-जीतते हारी और छत्तीसगढ़ बुरी तरह हारी। अंतत: जीत जीत ही होती है और मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालती है। मध्य भारत मे कांग्रेस पार्टी की वापसी उसके लिए संजीवनी जैसी है मगर दक्षिण, उत्तर पूर्व व पूर्वी भारत से उसका सिकुडऩा या साफ होना लोकसभा चुनावों के लिहाज से बिल्कुल भी सही नहीं। भाजपा नेताओं के अभिमान के साथ ही विकास बनाम हिंदुत्व के भटकाव से गुस्साए समर्थकों ने राजस्थान व मध्यप्रदेश में ज़ोरदार झटका दिया जरूर है मगर यह लोकसभा चुनावों में भी भाजपा के खिलाफ जाए, यह जरूरी नहीं...
दिल्ली में जुटे मीडिया चौपाली, जनहित एवं राष्ट्रहित में पत्रकारिता की चुनौतियां विषय पर हुआ विचार

दिल्ली में जुटे मीडिया चौपाली, जनहित एवं राष्ट्रहित में पत्रकारिता की चुनौतियां विषय पर हुआ विचार

addtop, Today News, प्रेस विज्ञप्ति
दिल्ली में जुटे मीडिया चौपाली, जनहित एवं राष्ट्रहित में पत्रकारिता की चुनौतियां विषय पर हुआ विचार-मंथन • जनहित से इतर हो रही पत्रकारिता को कमजोर करने एवं राष्ट्रवादी पत्रकारिता को पुनर्स्थापित करने पर दिया गया जोर • बेहतर एवं सकारात्मक कंटेट प्रोवाइडरों के लिए राजस्व मॉडल पर सरकार विचार करें • 2019 में प्रयागराज में मीडिया चौपाल एवं भोपाल में होगा मीडिया महोत्सव • फैंस, स्पंदन, एनयूजे (आई), इस्वा एवं स्वस्थ भारत (न्यास) के संयुक्त तत्वाधान में हुआ आयोजन आशुतोष कुमार सिंह मीडिया के बदलते स्वरूप एवं पत्रकारिता की वर्तमान चुनौतियों को लेकर दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में मीडिया चौपालियों ने आज गहन विचार-मंथन किया। 'जनहित एवं देशहित में पत्रकारिता की चुनौतियां' विषय पर आयोजित परिसंवाद में वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान समय में जनहित एवं देशहित में पत्रकारिता करने की बजाय देश एवं राष्ट्र को अ...
There’s still time for BJP if it acts fast

There’s still time for BJP if it acts fast

addtop, Today News, विश्लेषण
Is the BJP losing the plot? Yes it is. The reasons are many. It started with the scale of the BJP victory in the 2014 election.. Such an enormous mandate by the people of India should have led to humility at the trust the electorate had reposed in them. This did not happen. Instead, there was arrogance writ large on the faces of the winning side right from the top leadership to the rank and file of the BJP. Statements were heard from many quarters starting with the party president that the BJP would rule for decades. The Congress party had been decimated. The cry soon went up of ‘Congress Mukt Bharat’ not realising that a party that was over a hundred years old and one that had ruled India for decades since Independence had roots far too deep to even think of wiping it out. The realisat...
देश के लिए लाभकारी है जाति व्यवस्था

देश के लिए लाभकारी है जाति व्यवस्था

addtop, Today News, TOP STORIES, विश्लेषण
झंडेवालान स्थित दीनदयाल शोध संस्थानसंस्थान में शनिवार को सभ्यता अध्ययन केन्द्र द्वारा एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में जातीय सद्भाव के विषय पर चिन्तन करते हुए इसके भूत, वर्तमान और भविष्य यानी इतिहास, वर्तमान परिदृश्य और भविष्य पर विस्तृत चर्चा की गयी। इससे पहले केंद्र की त्रैमासिक शोध-पत्रिका ‘सभ्यता-संवाद’ के प्रवेशांक का लोकार्पण किया गया। संगोष्ठी में विषय प्रवेश करते हुए केन्द्र के निदेशक रवि शंकर ने कहा कि आज समाज में सर्वत्र केवल जातीय वैमनस्यता की ही बात की जाती है। इसके लिए चाहे हम समानता या फिर समरसता का बहाना लेते हों, परंतु अंततोगत्वा हम यही चर्चा करते हैं, कि समाज में काफी जातीय वैमनस्य रहा है और आज भी है, इसलिए हमें जातियों को समाप्त करना है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि वैमनस्यता का यह जहर अब छठी-सातवीं के छोटे-छोटे बच्चों में भी एनसी...
भाजपा के लिये यही समय है जागने का

भाजपा के लिये यही समय है जागने का

addtop, Today News, TOP STORIES, विश्लेषण
वर्तमान नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल के साढ़े चार साल बीत गए हैं। आम चुनाव को कुल 5 माह का समय बाकी है। भाजपा सरकार के लिये यही वह समय है जिसका आह्वान है अभी और इसी क्षण शेष रहे कामों को पूर्णता दी जाये, यही वह समय है जो थोड़ा ठहरकर अपने बीते दिनों के आकलन और आने वाले दिनों की तैयारी करने का अवसर दे रहा है। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम एवं लोकसभा चुनाव की दस्तक जहां केन्द्र एवं विभिन्न राज्यों में भाजपा को समीक्षा के लिए तत्पर कर रही है, वही एक नया धरातल तैयार करने का सन्देश भी दे रही है। इस नये धरातल की आवश्यकता क्यों है? क्योंकि पिछले चार वर्षों में भाजपा सरकार ने यद्यपि बहुत कुछ उपलब्ध किया है, कितने ही नये रास्ते बने हैं। फिर भी किन्हीं दृष्टियों से हम भटके भी है। गाय और राममंदिर के मुद्दों पर हिंदू वोट का ध्रूवीकरण करने की कोशिश की है। तलाक के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के वोटों की दिशा ...
पक्ष एवं विपक्ष के गठबंधनों में दरारें

पक्ष एवं विपक्ष के गठबंधनों में दरारें

addtop, Today News, विश्लेषण
आगामी लोकसभा चुनाव की हलचल उग्र होती जा रही है। जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है, राजनीतिक जोड़तोड़ के नये समीकरण बनने लगे हैं। भारतीय जनता पार्टी बनाम सशक्त विपक्षी महागठबंधन का परिदृश्य एक नयी शक्ल ले रहा है। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, सुश्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी और अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोकदल पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए गठबन्धन करके साफ कर दिया है कि उनकी मंशा विपक्षी महागठबंधन का साथ देने की नहीं है। ऐसा लग रहा है कि इन तीनों दलों का ध्येय देश की राजनीति को नयी दिशा देने के बजाय निजी लाभ उठाने की है। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में उथल-पुथल ज्यादा है। उसके घटक दलों के भी सूर बदलने लगे हैं। मंगलवार को उसकी सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के नेता चिराग पासवान ने एक तरह से सीट बंटवारे पर चेतावनी ही दे दी है। भाजपा और कांग्रेस किस हद तक अ...
शिक्षा के लिये क्राउडफंडिंग की रोशनी

शिक्षा के लिये क्राउडफंडिंग की रोशनी

addtop, Today News, राष्ट्रीय
भारत में क्राउडफंडिंग का प्रचलन बढ़ता जा रहा है, विदेशों में यह स्थापित है, लेकिन भारत के लिये यह तकनीक एवं प्रक्रिया नई है, चंदे का नया स्वरूप है जिसके अन्तर्गत जरूरतमन्द अपने इलाज, शिक्षा, व्यापार आदि कीे आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सकता है। न केवल व्यक्तिगत जरूरतों के लिये बल्कि तमाम सार्वजनिक योजनाओं, धार्मिक कार्यों और जनकल्याण उपक्रमों को पूरा करने के लिए लोग इसका सहारा ले रहे हैं। भारत में चिकित्सा के क्षेत्र में इसका प्रयोग अधिक देखने में आ रहा है। अभावग्रस्त एवं गरीब लोगों के लिये यह एक रोशनी बन कर प्रस्तुत हुआ है। इसे भारत में स्थापित करने एवं इसके प्रचलन को प्रोत्साहन देने के लिये क्राउडफंडिंग मंच इम्पैक्ट गुरु के प्रयास उल्लेखनीय है। चिकित्सा के क्षेत्र में अनूठेे कीर्तिमान गढ़ने के बाद अब शिक्षा के क्षेत्र में उसकी प्रभावी प्रस्तुति देखने को मिल रही है। इसका ताजा उदाहरण है ऊंच...
ये बाहरी-बिहारी क्या है, कमलनाथ जी

ये बाहरी-बिहारी क्या है, कमलनाथ जी

addtop, Today News, विश्लेषण
कमलनाथ भी उन गैर जिम्मेदार कांग्रेसी नेताओं की सूची में शामिल हो गए हैं,जिन्हें बिहार और उत्तर प्रदेश के श्रमवीरों (मजदूरों) से नफरत है। इन्हें ये मुख्यमंत्री बनने के बाद भी ‘बाहरी’ कहते हैं। मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस  की जैसे-तैसे हुई विजय के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होते ही कमलनाथ ने अपनी संकुचित मानसिकता प्रदर्शित करनी चालू कर दी। उन्हें संविधान का ज्ञान नहीं हैं जो भारत के समस्त नागरिकों को देश के किसी भी भाग में रहने और कम करने की स्वंत्रता देता है। उन्होंने सूबे में स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिलने के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों का जिम्मेदार बता दिया। कुछ इसी तरह की हल्की राय शीला दीक्षित ने दिल्ली का मुख्यमंत्री रहते हुए जाहिर की थी। ये दोनों भूल गए थे कि देश के संविधान की धारा19 ने हरेक नागरिक को कहीं भी जाकर नौकरी करने और बसने का अधिकार दिय...