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पंजाब : क्या यह दबी चिंगारी को हवा देने की कोशिश है?

पंजाब : क्या यह दबी चिंगारी को हवा देने की कोशिश है?

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  अभी ज्यादा दिन नहीं हुए थे जब सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने एक कार्यक्रम के दौरान पंजाब में खालिस्तान लहर के दोबारा उभरने के संकेत दिए थे। उनका यह बयान बेवजह नहीं था क्योंकि अगर हम पंजाब में अभी कुछ ही महीनों में घटित होने वाली घटनाओं पर नजर डालेंगे तो समझ में आने लगेगा कि पंजाब में सब कुछ ठीक नहीं है। बरसों पहले जिस आग को बुझा दिया गया था उसकी राख में फिर से शायद किसी चिंगारी को हवा देने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। जी हां, पंजाब की खुशहाली और भारत की अखंडता आज एक बार फिर कुछ लोगों की आंखों में खटकने लगी है। 1931 में पहली बार अंग्रेजों ने सिक्खों को अपनी हिंदुओं से अलग पहचान बनाने के लिए उकसाया था। 1940 में पहली बार वीर सिंह भट्टी ने 'खालिस्तान’ शब्द को गढ़ा था। इस सब के बावजूद 1947 में भी ये लोग अपने अलगाववादी इरादों में कामयाब नहीं हो पाए थे। लेकिन 80 के दशक में पंजाब अलगाववाद...
सबकी निगाहें संसद  के अंतिम सत्र पर

सबकी निगाहें संसद के अंतिम सत्र पर

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  सर्जना शर्मा ग्यारह दिसंबर से आरंभ हो रहा संसद का शीतकालीन सत्र इस बार कई मायनों में महत्वपूर्ण और निर्णायक होगा। हालांकि पहले दिन कोई काम नहीं होगा। भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार को श्रृद्धांजलि देने के साथ ही दिन भर की कार्यवाही स्थगित हो जाएगी। लेकिन ग्यारह दिसंबर का दिन शीतकालीन सत्र की दशा दिशा तय करेगा। पांच राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम, तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे आ जायेंगे। परिणाम किसके पक्ष में जाएगा इसी पर सत्ता और विपक्ष दोनों का रूख निर्भर करेगा। ये चुनाव बीजेपी बनाम सभी विपक्षी दल और मोदी बनाम समूचा विपक्ष है। यदि बीजेपी की विधानसभा चुनावों में यथास्थिति रहती है तो विपक्ष उतना हावी नहीं हो पाएगा। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकारें हैं। यदि बीजेपी यहां अपना आधार खो देती ह...
कौन करेगा काबू पागल भीड़ पर

कौन करेगा काबू पागल भीड़ पर

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बुलंदशहर में भीड़ की हिंसा ने देशभर को स्तब्ध करके रख दिया हैI देश की राजधानी दिल्ली में भी कुछ ही समय के दौरान जानलेवा भीड़ ने दो लोगों को अलग-अलग घटनाओं में मार-मार का मौत के घाट उतार दिया। अभागे मृतकों पर छोटी-मोटी चोरी करने के आरोप थे। मारने वाले वहशी हो गए थे और उन्हें मृतकों की चीत्कार और आंसू भी रोक नहीं सके।किसी भी शख्स पर बेहिसाब लाठियों,घूंसों,लातों और हथियारों से वार करने वाले क्यों भूल जाते हैं कि अगर उन पर इस तरह के हमले हों तो उन पर क्या बीतेगी? पर, इधर कुछ दिन पहले ही दिल्ली पुलिस ने चार तंजानियाई और दो नाइजीरियाई नागरिकों को भीड़ के हाथों लगभग मारे जाने से बचाया भी था । दिल्ली में रहने वाले इन अफ्रीकी नागरिकों पर यह आरोप लगा जा रहा था कि उन्होंने एक बच्चे का अपहरण कर लिया है। दरअसल द्वारिका पुलिस स्टेशन  में फोन आया कि कुछ अफ्रीकी नागरिकों की एक बच्चे के अपहरण करने के आरोप म...
Pakistan: Leopards Don’t Change Their Spots

Pakistan: Leopards Don’t Change Their Spots

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There is saying in English ‘leopards don’t change their spots’. If any one believes that by opening the Kartarpur Sahib Corridor, Pakistan has opened the door for better ties with India, he is far removed from reality of the situation in the South East Asia. Not only India the target of Pakistan also includes Afghanistan. Kartarpur diplomacy should be viewed with Islamabad’s evil design on our border state of Punjab. Though it must be said that the opening of the corridor is a good cause for celebrations amongst our Sikh brothers and sisters who view this historic  Gurudwara from the Indian side of the border from distance to have ‘darshan’ and pay obeisance to the Shrine. For it was here that Gurunanak Debji had assembled the Sikhs in 16th century and it was here that he went for his hea...
किसानों को गुमराह करने का षड़यंत्र क्यों?

किसानों को गुमराह करने का षड़यंत्र क्यों?

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राजधानी की सड़कें एक बार फिर देशभर से आए किसानों के नारों से गूंजती रहीं। लेकिन प्रश्न यह है कि विभिन्न राजनीतिक दलों, कृषक समूहों और समाजसेवी संगठनों की पहल पर दिल्ली आए किसानों को एकत्र करने का मकसद अपनी राजनीति चमकाना है या ईमानदारी से किसानों के दर्द को दूर करना? यह ठीक नहीं कि राजनीतिक-सामाजिक संगठन अपने हितों की पूर्ति के लिए किसानों का इस्तेमाल करें। किसान देश का असली निर्माता है, वह केवल खेती ही नहीं करता, बल्कि अपने तप से एक उन्नत राष्ट्र की सभ्यता एवं संस्कृति को भी रचता है, तभी ‘जय जवान जय किसान’ का उद्घोष दिया गया है। राष्ट्र की इस बुनियाद के दर्द पर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण है। कर्ज माफी और फसलों के उचित दाम के अलावा उनकी एक प्रमुख मांग किसानों के मसले पर संसद का विशेष सत्र बुलाना भी है। इसके लिए उन्होंने देश की सबसे बड़ी पंचायत तक पैदल मार्च भी किया। कथित किसान हितैषी नेता...
राम के सहारे रण

राम के सहारे रण

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भाजपा पर दबाव बनाने के लिए 24 नव बर को अयोध्या में हुआ शिवसेना का जमावड़ा और 25 नव बर को विश्व हिन्दू परिषद का जमावड़ा भाजपा के लिए हिन्दुत्व के एजेंडे पर लौटने की चेतावनी है। हिन्दुओं का विश्वास फिर से जीतने के लिए मोदी सरकार को कोई बड़ा कदम उठाना पड़ेगा। अजय सेतिया 2014 के चुनावों को लेकर भाजपा में भ्रम बना हुआ है कि वह विकास के एजेंडे की जीत थी या हिंदुत्व के उभार की जीत थी। समाज के एक वर्ग का कहना है गुजरात के विकास मॉडल के कारण देश ने मोदी को विकास पुरुष के रूप में देखा।  'सब का साथ, सब का विकास’ और 'अच्छे दिन’ के नारे ने कमाल किया, जिसमें वोटरों को दिवा स्वप्न दिखाई देने लगा था। जबकि भाजपा समर्थक बुद्धिजीवियों का मानना है कि कांग्रेस की बढ़ती मुस्लिम परस्ती के कारण हिन्दुओं को मोदी के रूप में एक फरिश्ता दिखाई दिया, जिस कारण हिन्दू एकजुट हुआ। भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता जीत के...
राजस्थान में ऊंट किस करवट बैठेगा? 

राजस्थान में ऊंट किस करवट बैठेगा? 

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राजस्थान में मतदान का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, चुनावी समीकरण ज्वारभाटे की तरह बदल रहे हैं। प्रारंभिक परिदृश्यों में कांग्रेस भाजपा पर भारी साबित होती दिख रही थी, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ताजा चुनावी सभाएं भाजपा की हारी बाजी को जीत में बदलती दिख रही है। कांग्रेस के भीतर चल रही गुटबाजी से भी यह जमीन तैयार हो रही है, एक तरह से जीत की ओर बढ़ती कांग्रेस को नुकसान होने की पूरी-पूरी आशंका है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक एवं चुनाव पूर्व के अनुमान अभी भी कांग्रेस के ही पक्ष में हैं और माना जा रहा है कि  इस बार सत्ता परिवर्तन होगा और स्पष्ट बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार बनेगी। सट्टा बाजार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस 125 सीटों के साथ सरकार बना रही है वहीं भाजपा 50 से 55 सीटों पर सिमट जाएगी, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। जिन पांच राज्यों में वि...
भाजपा की नयी सोच का नया सफर

भाजपा की नयी सोच का नया सफर

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यह समय पांच राज्यों में चुनाव का समय है जो हमें थोड़ा ठहरकर अपने बीते दिनों के आकलन और आने वाले दिनों की तैयारी का अवसर देता है। एक व्यक्ति की तरह एक समाज, एक राष्ट्र के जीवन में भी इसका महत्वपूर्ण स्थान है। इन पांच राज्यों के चुनाव का वर्तमान एवं लोकसभा चुनाव की दस्तक जहां केन्द्र एवं विभिन्न राज्यों में भाजपा को समीक्षा के लिए तत्पर कर रही है, वही एक नया धरातल तैयार करने का सन्देश भी दे रही है। इन पांच राज्यों में चुनाव परिणाम क्या होंगे, इसका पता 11 दिसम्बर को लगेगा। भाजपा के लिये यह अवसर जहां अतीत को खंगालने का अवसर है, वहीं भविष्य के लिए नये संकल्प बुनने का भी अवसर है। उसे यह देखना है कि बीता हुआ दौर उसे क्या संदेश देकर जा रहा है और उस संदेश का क्या सबब है। जो अच्छी घटनाएं बीते साढे़ चार साल के नरेन्द्र मोदी शासन में हुई हैं उनमें एक महत्वपूर्ण बात यह कही जा सकती है कि भ्रष्टाचार के...
करतारपुर की आड़ में पाक का नापाक खेल 

करतारपुर की आड़ में पाक का नापाक खेल 

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अब पाकिस्तान कर रहा है सार्क सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  को आमंत्रित। मज़े की बात यह है उसे यह सब करते हुए शर्म भी नहीं आ रही। इसे कहते हैं बेशर्मी की हद! आतंकवाद की फैक्ट्री बन चुके पाकिस्तान को भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कायदे से समझा दिया कि करतारपुर कॉरिडोर के खोले जाने का यह कतई अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए कि भारत अपने पड़ोसी से बातचीत करने के लिए तैयार है। भारत तो तब ही उससे वार्ता के लिए राजी होगा जब वहां पर आतंकवादी संगठनों का सफाया कर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी को पाकिस्तान यात्रा का न्योता देने वाला पाकिस्तान शायद भूल गया जब उसने गृहमंत्री राजनाथ सिंह का सन 2016 में इस्लामाबाद में सार्क देशों के गृहमंत्रियों के सम्मेलन में ठंडा स्वागत किया था। अपनी वाकपटुता के लिए विख्यात राजनाथ सिंह ने भी वहां पर इशारों ही इशारों में मेजबान पाकिस...
राजनीति : कौन आगे, कौन पीछे

राजनीति : कौन आगे, कौन पीछे

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पांच राज्यों के चुनाव व लोकसभा चुनावों की आहट के बीच राजनीति नए उफान पर है। अंतत: भाजपा जाति की राजनीति की उलझनों से निकल हिंदुत्व की राजनीति पर आ ही गयी। मगर इस बदलाव में एक बड़ा उलटफेर हो गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जगह हिंदुत्व का नया चेहरा बन गए। अब मोदी पिछड़ों व दलितों के नेता हैं और विकास की राजनीति के पश्चिमी मॉडल के बड़े एजेंट, तो योगी प्रखर हिंदुत्व की मशाल को अयोध्या से उठाकर छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान में सुलगा चुके हैं। 15 वर्षों से सत्तारूढ़ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह व मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जो 'एंटी इनकंबेंसी’ फेक्टर से जूझ रहे हैं, के लिए योगी आदित्यनाथ, मोदी से बड़ा सहारा बन चुके हैं। यूं तो छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी-मायावती गठजोड़ खड़ा कराकर अमित शाह व रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ के चुनावों को त्रिकोणी...