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Today News

Failed Move in Srinagar

Failed Move in Srinagar

Today News, विश्लेषण
The failed move by PDP, National Conference and Congress to form government in Srinagar was a desperate but clever ploy to force early dissolution of the state assembly. On the face of it, all the three political parties came out with strong statement blaming the Governor and the Centre for preventing them to form government when they had more than the  number required for majority in the House. The bare majority mark is of 44 MLAs to form government. Against this the combined strength of the MLAs belonging to the PDP, the National Conference and the Congress was 56. Mehbooba Mufti, former chief minister and President of the PDP later said in a statement that by dissolving the House “the Center has stolen our mandate”. Had the political parties who joined hands were serious to provide a ...
Do media in India need check and control?

Do media in India need check and control?

addtop, Today News, विश्लेषण
  A few decades back when Mrs. Indira Gandhi imposed national emergency, applied restriction on free speech and severely curbed  the press freedom, it caused considerable unhappiness around the country. Of course,  most section of media after some initial protest ( highly popular political  journal Shankar’s Weekly stopped publication ), submitted themselves to censorship , bowed to the  pressure of the government and largely toed  the government’s line. However, when emergency was lifted and press freedom was restored, huge enthusiasm was  generated  about the prospects of the  media sector. With nearly unchecked media freedom,  several business houses and investors saw huge investment opportunities in the media business  and it  resulted in the launching of new newspapers a...
आप जानते हैं कि क्या था राज्य विभाजन का आधार

आप जानते हैं कि क्या था राज्य विभाजन का आधार

Today News, राष्ट्रीय
अभी देश में 29 राज्य और सात केंद्र शाषित प्रदेश हैं. इनमें अधिकतर राज्य आजादी के बाद ही अस्तित्व में आए. वर्ष 1947 में संयुक्त अवध प्रांत और आगरा प्रांत के क्षेत्रों को मिलाकर संयुक्त प्रांत बनाया गया, जिसे आगे चलकर 1950 में उत्तर प्रदेश नाम दिया गया. इसी प्रकार पश्चिम बंगाल जो कि 1905 में बंगाल के दो भागों के विभाजन के साथ अस्तित्व में आया, से अलग होकर 1950 में बिहार और उड़ीसा राज्य बने. 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग द्वारा भाषा को आधार मानते हुए, मद्रास से तेलुगु भाषी क्षेत्रों को अलग कर उसमें हैदराबाद प्रांत को मिलाते हुए आंध्र प्रदेश राज्य बनाया गया, जो कि भाषाई आधार पर बनने वाला पहला राज्य बना. मैसूर प्रांत में कन्नड़ भाषी क्षेत्रों को मिलाकर कर्नाटक राज्य बनाया गया और ब्रिटिश इंडिया के केंद्रीय प्रांत और बेरार क्षेत्र को मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल के साथ मिलाकर मध्य प्रदेश ...
क्यों बदहाल एवं उपेक्षित है बचपन? 

क्यों बदहाल एवं उपेक्षित है बचपन? 

Today News, सामाजिक
संपूर्ण विश्व में ‘सार्वभौमिक बाल दिवस’  20 नवंबर को मनाया गया। उल्लेखनीय है कि इस दिवस की स्थापना वर्ष 1954 में हुई थी। बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता तथा बच्चों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।बच्चों का मौलिक अधिकार उन्हें प्रदान करना इस दिवस का प्रमुख उद्देश्य है। इसमें शिक्षा, सुरक्षा, चिकित्सा मुख्य रूप से हैं। आज ही बाल अधिकार दिवस भी है, विश्वस्तर पर बालकों के उन्नत जीवन के ऐसे आयोजनों के बावजूद आज भी बचपन उपेक्षित, प्रताड़ित एवं नारकीय बना हुआ है, आज बच्चों की इन बदहाल स्थिति की जो प्रमुख वजहें देखने में आ रही है वे हैं-सरकारी योजनाओं का कागज तक ही सीमित रहना, बुद्धिजीवी वर्ग व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता, इनके प्रति समाज का संवेदनहीन होना एवं गरीबी, शिक्षा व जागरुकता का अभाव है। सार्वभौमिक बाल दिवस पर बच्चों के अधिकार, ...
छात्रों की किसे चिन्ता है ?

छात्रों की किसे चिन्ता है ?

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पिछले दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्र संघ के चुनाव भारी विवादों के बीच संम्पन्न हुए है। छात्र समुदाय दो खेमों में बटा हुआ था। एक तरफ भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और दूसरी तरफ वामपंथी, कांग्रेस और बाकी के दल थे। टक्कर कांटे की थी। वातावरण उत्तेजना से भरा हुआ था और मतगणना को लेकर दोनो जगह काफी विवाद हुआ। विश्वविद्यालय के चुनाव आयोग पर आरोप-प्रत्यारोपों का दौर चला। छात्र राजनीति में उत्तेजना,हिंसा और हुडदंग कोई नई बात नहीं है। पर चिन्ता की बात यह है कि राष्ट्रीय राजनैतिक दलों ने जबसे विश्वविद्यालयों की राजनीति में खुलकर दखल देना शुरू किया है तब से धनबल और सत्ताबल का खुलकर प्रयोग छात्र संघ के चुनावों में होने लगा है, जिससे छात्रों के बीच अनावश्यक उत्तेजना और विद्वेष फैलता है। अगर समर्थन देने वाले राष्ट्रीय राजनैतिक दल इन छात्रों के भविष्...
राहुल गांधी की मानसरोवर यात्रा का पूरा सच?

राहुल गांधी की मानसरोवर यात्रा का पूरा सच?

Today News, विश्लेषण
ये वाकई शर्म की बात है कि एक शख्स जो 48 साल का है उसे इस बात को साबित करना पड़ रहा है कि वो किस धर्म का है. समस्या है कि वो गुजरात में मंदिर मंदिर में जाकर सिर झुकाता है.. पूजा करता है. कर्णाटक में हिंदू धार्मिक पोशाकों में आरती और वंदना करता है. वो हर ऐसी जगह जाता है जिससे उसके हिंदू का सबूत माना जा सकता है. इतना ही नहीं, उसके प्रवक्ता उसे कभी जेनऊधारी बताते हैं. कभी शिवभक्त घोषित करते हैं तो कभी 'शुद्ध बाह्मण' डीएनए का वाहक बताते हैं. इतना ही नहीं, 48 साल के इस शख्स को खुद को हिंदू साबित करने के लिए कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाना पड़ता है. और तो और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि वो जहां जाते हैं वहां मीडिया का कैमरा साथ ले जाते हैं. फोटो और वीडियो शेयर टीवी अखबार और सोशल मीडिया पर शेयर किया जाता है. पैसे पर प्रचार प्रसार करने वाले इसे हर फोन तक पहुंचाते हैं लेकिन दुर्भाग्य देखिए.... इतना ...
क्या गूगल पर लगाम लगा पाएंगे ट्रम्प?

क्या गूगल पर लगाम लगा पाएंगे ट्रम्प?

Today News, विश्लेषण
क्या यह संभव है कि दुनिया की नजर में विश्व का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति भी कभी बेबस और लाचार हो सकता है? क्या हम कभी अपनी कल्पना में भी ऐसा सोच सकते हैं कि एक व्यक्ति जो विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के सर्वोच्च पद पर आसीन है, उसके साथ उस देश का सम्पूर्ण सरकारी तंत्र है और विश्व की आधुनिकतम तकनीक से युक्त फौज है, उस व्यक्ति के खिलाफ भी कभी कुछ गलत प्रचारित किया जा सकता है? शायद नहीं? या फिर शायद हाँ? आज जब अमेरिका के राष्ट्रपति गूगल फेसबुक और ट्विटर पर अपने अपने प्लैटफोर्म से जनता के सामने अपने खिलाफ लगातार और बार बार फेक न्यूज़ परोसने का इल्जाम लगाते हैं, आज जब "डोनाल्ड ट्रंप" जैसी शख़सियत कहती  है कि गूगल पर  "ट्रंप न्यूज़" सर्च करने पर उनके खिलाफ सिर्फ बुरी और नकारात्मक खबरें ही पढ़ने को मिलती हैं, आज जब इंटरनेट पर  "इडियट"  सर्च करने पर  ट्रँप,चाय वाला,फेंकू, सर्च करने पर नरेन्द्र मोदी औ...
कब हम कायदे से भरना सीखेंगे अपनी आयकर रिटर्न

कब हम कायदे से भरना सीखेंगे अपनी आयकर रिटर्न

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पिछली 31 अगस्त को साल 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न भरने की बढ़ी हुई समय सीमा समाप्त हो गई। सरकार ने इस समय सीमा को एक माह के लिए बढ़ाया था। शुरूआती जानकारी से साफ है कि आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 70 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई है। इस बार 5.42 करोड़ लोगों ने 31 अगस्त तक अपनी आयकर रिटर्न भरी। यह देश की विकास यात्रा के लिए एक सुखद समाचार है। वैसे सबसे अधिक आयकर रिटर्न भरने वालों में नौकरीपेशा लोग ही हैं। आयकर रिटर्न भरने के अंतिम दिन सुनामी सी आ गई। उस दिन लगभग 35 लाख लोगों ने अपना आयकर रिटर्न भरा। यह भी कोई सही स्थिति तो नहीं मानी जा सकती। देखा जाए तो जिम्मेदार नागरिकों को आयकर रिटर्न भरने में इतना वक्त नहीं लगाना चाहिए। उन्हें यह काम वक्त रहते ही कर लेना चाहिए।आपको अपने आसपास अनेक लोग मिलेंगे जो आयकर भरने के स्तर पर बेहद आलसी और गैर-जिम्मेदराना रवैया अपनात...
क्या “सिम्प्लिसिटीबी” शोध से टीबी उपचार सरल बनेगा?

क्या “सिम्प्लिसिटीबी” शोध से टीबी उपचार सरल बनेगा?

Today News, TOP STORIES, विश्लेषण
विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम वैश्विक ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) रिपोर्ट के अनुसार, टीबी दवा प्रतिरोधकता (ड्रग रेजिस्टेंस) अत्यंत चिंताजनक रूप से बढ़ोतरी पर है । यदि किसी दवा से रोगी को प्रतिरोधकता उत्पन्न हो जाए तो वह दवा रोगी के उपचार के लिए निष्फल रहेगी। टीबी के इलाज के लिए प्रभावकारी दवाएँ सीमित हैं। यदि सभी टीबी दवाओं से प्रतिरोधकता उत्पन्न हो जाए तो टीबी लाइलाज तक हो सकती है। हर साल टीबी के 6 लाख नए रोगी टीबी की सबसे प्रभावकारी दवा 'रिफ़ेमपिसिन' से प्रतिरोधक हो जाते हैं और इनमें से 4.9 लाख लोगों को एमडीआर-टीबी होती है (एमडीआर-टीबी यानि कि 'रिफ़ेमपिसिन' और 'आइसोनीयजिड' दोनों दवाओं से प्रतिरोधकता)। दवाएं असरकारी होंगी तभी तो पक्का इलाज होगा! टीबी का पक्का इलाज तो है यदि ऐसी दवाओं से इलाज हो जिनसे प्रतिरोधकता नहीं उत्पन्न हुई हो. स्वास्थ्य अधिकार कार्यकर्ता और सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ स...
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आरक्षण आस या फांस भारत की एकता और अखंडता को बरकरार रखने के क्रम में विभाजनकारी ताकतों से देश को बचाये रखना एक बड़ी चुनौती है। विदेशी ताकतों के द्वारा लगातार भारत को कमजोर करने और विभाजित करने का षड्यंत्र होता रहा है। भारत की सीमाओं पर पाकिस्तान और चीन लगातार देश को अस्थिर करने की कोशिश करते हैं तो बांग्लादेश सीमा से घुसपैठ एक बड़ा सरदर्द बन गया है। असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के बाद लाखों की संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठियों की सरकारी पुष्टि हो चुकी है। रोहिंग्या का विषय अभी तक सुलझा नहीं है। विपक्षी दल गठबंधन की आड़ में राष्ट्रविरोधी ताकतों को प्रश्रय देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। 2014 की प्रचंड जीत के बाद जिस तरह राज्यों में मोदी का जादू फैलता गया और उसके द्वारा हिन्दू वोट बैंक एकजुट होता गया, उसके बाद षड्यंत्रकारी ताकतों के द्वारा मोदी विरोध के नए नए पैंतरे खेले जाने लगे। ...