नेपाल की गंडकी की नदी से अयोध्या धाम में पहुंचे देव शिला पर लोहे के छेनी और हथौड़ी नहीं चलेगी !? क्योंकि देवशिला 7 हार्नेस की है, और लोहे में 5 हार्नेस पाए जाते हैं.
पूरे भारतवर्ष के साधु-संत, महंत और राम भक्तों के बीच इस बार की चर्चा काफी तेज है कि इसी देव शिला से भगवान राम समेत चारों भाइयों की प्रतिमाएं बनाई जाएंगी परंतु इस शिला पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने, मूर्ति निर्माण के दावों को ही खारिज करते हुए विराम लगा दिया है ! सैकड़ों वर्षों व हजारों बलिदानों के बाद आखिरकार श्रीराम भक्तों का सपना साकार होने जा रहा है. रामनगरी में जन-जन के आराध्य प्रभु श्रीराम का भव्य और दिव्य मंदिर निर्माण हो रहा है… ठीक 11 महीने बाद राम लला अपने गर्भ गृह में विराजमान हो जाएंगे. लेकिन किस स्वरूप में इसका किसी कोई कुछ नहीं पता है ! हालांकि पिछले कुछ दिनों से नेपाल से आए दो विशालकाय देव-शीला को लेकर देशभर में काफी चर्चाएं हो रही हैं.. पूरे भारतवर्ष से श्रद्धालु अयोध्या पहुंच कर देव शीलाओं की पूजा-अर्चना कर रहे हैं. लेकिन राम भक्त जिसे “शालिग्राम शिला” मानकर पूज रहे हैं, असल में वो शालिग्राम नहीं देव शिला है. दरअसल यह दावा मैं नहीं शीला पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने किया है और पूरा मामला क्या है चलिए जानते हैं.
बात यह है कि… नेपाल के गंडकी नदी से जो दो विशालकाय शिला अयोध्या लाए गए हैं !! जिसे अयोध्या के रामसेवकपुरम में रखा गया है. जिसमें एक शिला ’26 टन वजनी’ और दूसरा सिला 14 टन की है. साधु-संत, महंत और राम भक्तों के बीच इस बार की चर्चा काफी तेज है कि इसी शिला से भगवान राम समेत चारों भाइयों की प्रतिमाएं बनाई जाएंगी ! यही कारण है कि मूर्ति निर्माण से पहले ही, शिला की ‘पूजा-अर्चना’ शुरू हो गई है. परंतु इस शिला पर शोध करने वाले ‘वैज्ञानिकों ने’ मूर्ति निर्माण के दावों को खारिज करते हुए विराम लगा दिया है !? भूगर्भीय वैज्ञानिक डॉ.कुलराज चालीसे ने बताया कि, वह कई महीनों से इस विशालकाय शिला पर रिसर्च कर रहे हैं ! ऐसे में अयोध्या लाई गई शिला काफी अनमोल है ! इस देव शीला पर लोहे के औजार से नक्काशी नहीं की जा सकती है ! परंतू इस शिला पर “नक्काशी” करने के लिए, हीरा काटने वाले औजार का प्रयोग करना पड़ेगा.. साथ ही यह बताया गया है कि माता जानकी जी की नगरी से भगवान राम के “स्वरूप” निर्माण के लिए लाई गई देवशिला 7 हार्नेस की है. इसीलिए इस पर लोहे की छेनी से नक्काशी नहीं की जा सकती है !? क्योंकि लोहे में 5 हार्नेस पाए जाते हैं.
प्रभु श्रीराम जी की मूर्ति बनाने के पहले चरण की ‘ज़िम्मेदारी’ संभालने वाले ‘चित्रकार’ वासुदेव कामथ जो एक अंतर्रराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार हैं, जिन्हें “स्केच और पोर्ट्रेट” बनाने में विशेष ख्याति प्राप्त है !! इसके अलावा मूर्तिकार पद्मविभूषण सुदर्शन साहू, पुरातत्ववेत्ता मनइया वाडीगेर तकनीक विशेषज्ञ हैं, और मंदिर बनाने वाले “वास्तुकार” भी मूर्ति के निर्धारण में अहम भूमिका निभाएंगे. रामलला की मूर्ति ऐसी होगी, जिसमें मंदिर के वास्तु की दृष्टि से समन्वय होगा !! और हर रामनवमी के दिन “रामलला के ललाट” पर, भगवान सूर्य देव की पहली किरणें पड़ेंगी !! रामलला की मूर्ति 5 से साढ़े 5 फीट की बाल स्वरूप की होगी…
सियावर रामचंद्र जी की जय