कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल
ब्रिटेन के दौरे पर गए राहुल गांधी ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में भारत विरोधी बयानों की झड़ी लगा दी। वे वहीं नहीं रुके बल्कि – उन्होंने अपनी हर प्रेस कान्फ्रेंस / कार्यक्रम में भारत की संवैधानिक संस्थाओं व भारत विरोधी हमले करते रहे।और भारत की न्यायपालिका का अपमान करते हुए उसे कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने विदेश में भारत के संवैधानिक संस्थानों पर भी हमला बोला। और चीन का गुणगान करते हुए वे चीन के प्रति प्यार ज़ाहिर करते हुए नज़र आए। जबकि इसके पूर्व भी उन्होंने अपना चीनी प्रेम दिखलाते हुए — भारत व चीनी सेना के मध्य हुए गलवान संघर्ष में भी उन्होंने भारतीय सेना पर प्रश्नचिन्ह उठाए थे। तो वहीं भारत को राज्यों के संघ के रूप में बताते हुए ‘राज्यों को बार्गेनिंग के अधिकार’ पर बातें की। जो भारत के संवैधानिक ढाँचे की बिल्कुल विरोधी बाते हैं। वे प्रेस कांफ्रेंस में भारत के लोकतन्त्र को मरा हुआ घोषित करने से नहीं चूके। और अपने एजेंडे को चलाते हुए उन्होंने कहा कि – भारत में लोकतंत्र की बहाली के अमेरिकी और यूरोप को आगे आना चाहिए। उन्होंने ब्रिटेन में भारत की संसद की अवमानना करते हुए भारत में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता खत्म होने की मुनादी कर दी। मीडिया से लेकर न्यायपालिका, जनादेश, संसद सबको उन्होंने अपमानित किया।
कुलमिलाकर राहुल गांधी का यह ब्रिटेन दौरा – भारत की सम्प्रभुता के विरोध का सुनियोजित इवेंट्स बनकर सामने आया। राहुल गांधी जिस देश की न्यायपालिका पर हमला बोल रहे हैं। उसी देश की न्यायपालिका ने उन्हें — नेशनल हेराल्ड के आर्थिक मामले में धोखाधड़ी पर दर्ज मुकदमे की बेल दी है। वे भारत की जिस संसद की विदेश में अवमानना कर रहे हैं, उसी संसद में वे घण्टों मुद्दाविहीन नौटंकियां दिखाते रहते हैं। कभी आंख मारते हैं। तो कभी स्पीकर के चेम्बर पर जाते हुए जोकर की तरह नजर आते हैं। जिस देश में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता खत्म होने की बात कर रहे हैं — ये उसी देश की खूबसूरती है कि देश तो देश विदेश में भी भारत के विरुद्ध हमला करने वाले बयानों पर भी,यह देश कोई कानूनी कार्यवाही नहीं कर रहा है। राहुल गांधी क्या यह भूल जाते हैं कि – भारत की वर्तमान नरेन्द्र मोदी सरकार को इस देश की जनता ने चुनाव में भारी जनमत देकर सत्ता पर बैठाया है। क्या यह देश की वही जनता नहीं है जिसने राहुल गांधी को अमेठी से हार का और वायनाड से जीत का मजा चखाया है। भारत के लोकतन्त्र को मरा घोषित करते हुए क्या राहुल गांधी की आत्मा नहीं काँपी? वे जिस देश के लोकतन्त्र को मरा हुआ घोषित कर रहे हैं, उस देश ने उन्हें इतनी बड़ी पहचान दी कि — राहुल गांधी विदेश में भारत की सम्प्रभुता पर भी हमला करते हुए भी हँस रहे हैं। क्या राहुल गांधी को याद नहीं है कि – उनकी दादी इंदिरा गांधी ने सन् 1975 में लोकतंत्र की हत्या करते हुए ‘आपातकाल’ की जंजीरों में देश को जकड़ दिया था। उन्हें कोई याद दिलाए कि – लोकतन्त्र की हत्या आपातकाल की अमानुषिक बर्बरताओं में हुई थी।
राहुल गांधी जिस अमेरिका और यूरोपीय देशों से भारत के लोकतन्त्र की बहाली की बात कर रहे हैं – क्या सचमुच में उनके यहां लोकतन्त्र है? ट्रम्प की हार के बाद कैपिटल हिल के नज़ारे और ब्रिटेन में अस्थिर सरकारें – बेमौसम बदलते प्रधानमंत्री किस लोकतन्त्र की बानगी दे रहे हैं? क्या राहुल गांधी की चुनावी हार की खीझें उनकी देशविरोधी सनक में बदल गई हैं? जिसके कारण वे ऐसा कर रहे हैं।
देश को पूँछना चाहिए कि —नकली गांधी खानदान के शहजादे को भारत के लोकतन्त्र व जनमत का विदेश में अपमान करने का अधिकार किसने दिया है? देश की जनता ने चुनाव में — कांग्रेस और नकली गांधी खानदान को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया है। हर चुनाव में कांग्रेस रसातल में डूबती जा रही है। लेकिन अपने देशद्रोही -भारत विरोधी एजेंडे से क्यों बाज नहीं आ रही है ? ये वही राहुल गांधी हैं जो भारत की सेना पर सवाल उठाते हैं। सर्जिकल स्ट्राइक का सेना से सबूत मांगते हैं। भारतीय सेना का अपमान करते हैं। संसद में बहस करने की बजाय आँख मारते हुए नजर आते हैं। और हर उस चीज में अव्वल रहते हैं जिसका इशारा इनकी टूलकिट गैंग करती है। क्या राहुल गांधी मिशनरियों के एजेंट हैं ? जो भारत विरोधी अभियान की सुपारी लिए हुए हैं?
क्या राहुल गांधी और भारत को बदनाम करने वाले सभी विदेशी षड्यंत्रकारी आपस में मिले हुए हैं? और उसी भारत विरोधी टूलकिट के हिसाब से एजेंडा चला रहे हैं? क्या राहुल गांधी को नरेन्द्र मोदी विरोध और राष्ट्र विरोध का अंतर नहीं पता है? राहुल गांधी ऐसे में देश के प्रधानमंत्री बनेंगे? क्या कांग्रेस के शहजादे का यही अभियान है ? भारत विरोधी जार्ज सोरोस की भाषा बोलने वाले — राहुल गांधी भारत के खिलाफ विदेशी शक्तियों को इकठ्ठा होने के लिए कह रहे हैं। क्या यह सरासर राष्ट्र द्रोह नहीं है ?
सोचिए! यदि गलती से भी ये विक्षिप्त और मिशनरी प्लांटेड राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री बनते तो क्या होता? इनकी डिग्रियों का असली नाम ‘राॅल विंची ‘ही है। तो वहीं दोहरी नागरिकता के आरोप ही इन पर समय समय पर लगते रहे हैं। नेशनल हेराल्ड मामले में बेल पर चल ही रहे हैं। क्या आपको नहीं लगता है कि — राहुल गांधी का नार्को टेस्ट होना चाहिए ? ताकि देश जान तो सके कि – इन्होंने देश के लोकतन्त्र को खत्म करने के लिए , भारत विरोध के लिए कौन सी टूलकिट बनाई है?
वहीं पाकिस्तानी मूल के कमाल मुनीर और राहुल गांधी का कनेक्शन भी कई प्रश्न चिन्ह उठाता है। कैंब्रिज में राहुल गांधी का पूरा प्रोग्राम डॉ. कमाल मुनीर ने आयोजित किया था। डॉ. कमाल मुनीर पाकिस्तानी मूल के हैं । साथ ही वे कैंब्रिज के असिस्टेंट प्रो वीसी भी है। उन्होंने राहुल गांधी को कार्यक्रम का बुलावा भेजा था और पूरा कार्यक्रम आयोजित किया । डॉ. कमाल मुनीर कश्मीर को पाकिस्तान के मिलाने के पक्ष में रहते हैं । उन्होंने भारत विरोधी कई खतरनाक ट्वीट भी किए हैं । कमाल मुनीर हिंदुओं पर आपत्तिजनक हमले करने वाले बयानों के लिए जाने जाते हैं । और इन कमाल मुनीर को पाकिस्तानी सरकार ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशा’ पाकिस्तान से भी सम्मानित किया है। डॉक्टर कमाल मुनीर लाहौर के रहने वाले हैं। राहुल गांधी और कमाल मुनीर के इस कनेक्शन से — आसानी से समझा जा सकता है कि – देश की सम्प्रभुता व अखण्डता की सुपारी देने वाले राहुल गांधी देश से गद्दारी कर रहे हैं या नहीं?
पहले जार्ज सोरोस का भारत की लोकतान्त्रिक सरकार को गिराने का षड्यंत्रकारी बयान, और उसके बाद राहुल का कैम्ब्रिज में भारत विरोधी भाषण। प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत विरोधी बयानों की ताबड़तोड़ फेहरिस्त। और जार्ज सोरोस कमाल मुनीर , टूलकिट के अनुसार राहुल की कठपुतली चाल ; क्या सबकुछ स्पष्ट नहीं कह रही है? क्या कैम्ब्रिज में कोई चुनावी सभा चल रही थी, जो राहुल गांधी भारत विरोधी बयान देकर – अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर — भारत का अपमान कर रहे थे। क्या राहुल गांधी का उद्देश्य अब भारत विरोध हो चुका है। क्या राहुल गांधी अन्तर्राष्ट्रीय गैंग के इशारों में नाच रहे हैं ? और सुनियोजित ढंग से भारत विरोधी बयान देकर, भारत की जनता, भारत की संवैधानिक प्रणाली, भारत के लोकतन्त्र और जनादेश का विदेश में अपमान कर रहे हैं। क्या देश की जनता राहुल गांधी के इन अक्षम्य अपराधों को क्षमा कर सकेगी ?
~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल