एकत्रित होकर धार्मिक , साम्प्रदायिक सोैहार्द का विकास करते है। सिंगापुर में भी इस दिन राजपत्रित सार्वजनिक अवकाश रहता है। यहां अल्पसंख्यक भारतीय तमिल समुदाय द्वारा विशेष रूप से सजावट , करके प्रदर्शनी , परेड और संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है।
आस्ट्रेलिया के मेलबर्न में भारतीय मूल के निवासियो द्वारा 2006 से ‘ सेलिब्रेट इण्डिया इंकापोरेशन ’ केे तत्वाधान में फेडरेशन स्कवायर पर आयेाजित किया गया । नृत्य ,संगीत पारम्परिक कला शिल्प का यह उत्सव यारा नदी पर भव्य आतिशबाजी के साथ लगभग एक सप्ताह तक चलता है। फिजी में 19 वी शताब्दी के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप से आयातित गिरमिटिया मजदूरों केे द्वारा इसे मनाया जाता है, तथा न्यूजीलेैण्ड में दक्षिण एशियाई प्रवासी लोगो का बड़ा समूह दीवाली मनाता है।
ब्रिटेन में बसे भारतीय ‘ दीया ’ नामक विशेष प्रकार की मोमबत्ती और दीये जलाकर तथा मिठाई बांटकर इस त्योहार को मनाते है। ब्रिटेन में स्थित स्वामीनारायण मंदिर में विशेष प्रकार का आयेाजन होता है। यहाॅ 2009 के बाद से प्रतिवर्ष ब्रिटिश प्रधानमंत्री के निवास स्थान डाउनिंग स्ट्रीट पर मनाया जा रहा है। वर्ष 2013 में ब्रिटिश प्रधान मंत्री डेविड कैमरन और उनकी पत्नी ने इसमें भाग लिया । संयुक्त राज्य अमेंरिका में 2003 मे व्हाइट हाउस में पहली बार मनाया गया । 2009 में राष्ट्रपति बराक ओबामा इस उत्सव में शामिल हुए । सिंगापुर में सरकार के साथ ‘ हिन्दू बस्ती बोर्ड ’ इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयेाजन करता है।
भारत में यह त्योहार लगभग सभी प्रान्तो में सभी वर्ग के लोगो द्वारा अत्यंत उल्लास , उमंग और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है । हर प्रांत व क्षे़त्र में दीवाली भिन्न -भिन्न कारणो व तरीको से मनायी जाती है। हिन्दू धर्म में यह पर्व पांच दिनो तक चलता रहता है। खूब साफ- सफाई की जाती है।
जैन और सिख मतावलम्बी भी इस त्योहार को बड़े धूम धाम से मनाते हेै, । जैनियो के अनुसार इसी दिन चौबीसवें तीर्थंकर महाबीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति या उनके प्रथम शिष्य गणधर को कैवल्य की प्राप्ति हुई थी। सिखो के लिये यह इसलिये महत्वपूर्ण है ,क्योकि इसी दिन अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मंन्दिर का शिलान्यास हुआ था, तथा 1619 दीवाली के दिन छठे गुरू हरगोविन्द सिंह को कारागार से मुक्त किया गया था। इतिहास पर दृष्टि डाले तो मुगल शासक अकबर , जहाॅगीर , शाहआलम द्वितीय के शासन में दीवाली बहुत ही उत्साह पूर्वक मनाया जाता था। अकबर के शासन काल मे दौलत खाने के सामने 40 गज ऊँचे बाॅस पर एक बडा़ आकाशदीप दीवाली के दिन सजाया जाता था। शाह आलम द्वितीय के समय सम्पूर्ण शाही महल दीयो से प्रकाशित किया जाता था।तथा लालकिले मेें आयोजित कार्यक्रमो में हिन्दू और मुस्लिम समान रूप से शामिल होते थे।