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योगीराज में सुधार की ओर बढ़ती कानून व्यवस्था

योगीराज में सुधार की ओर बढ़ती कानून व्यवस्था
मृत्युंजय दीक्षित
वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार आने के बाद प्रदेश की कानून और व्यवस्था लगातार सुधर रही है । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में कानून व्यवस्था में सुधार लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और पुलिस प्रशासन तथा सरकारी मशीनरी को भी लगातार चेतावनी देते रहते हैं, कई आपराधिक मामालें में वह स्वतः संज्ञान लेकर कड़ी कार्यवाही करने का आदेश भी जारी करते हैं। प्रदेश के अपराधियों व भू -माफिया पर बेधड़क बुलडोजर चल रहा है और कुख्यात अपराधियों का एनकाउंटर हो रहा है जिसका परिणाम है कि आज प्रदेश के कई नामी- गिरामी माफिया व अपराधी जेल कि सलाखों के पीछे हैं और कुछ स्वयं आत्मसमर्पण करने के लिए गले में तख्ती टांगकर थानों में पहुंच रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार के दौरान कानून व्यवस्था को एक बड़ा मुददा बनाया था और लगातार कहते थे कि प्रदेश के सभी अपराधी या तो सुधर जाएं या फिर प्रदेश छोड़कर चले जाएं आज उसी का परिणाम है कि प्रदेश के अपराधी दूसरे राज्यों में शरण लेने के लिए भाग जाते हैं वहीं यूपी पुलिस भी अब इतनी फुर्तीली हो गयी है कि वह अपराधी को चाहे जहां छिपा हो पकड़कर अवश्य ला रही है, अभी माफिया डान मुख्तार अंसारी को जिस प्रकार पंजाब से लाया गया वह पूरे देश ने देखा।
2022 के विधानसभा चुनावों में भी कानून व्यवस्था एक बड़ा मुददा बना और प्रदेश की नारी शक्ति ने प्रदेश में बन रहे सुरक्षित वातावरण को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी को ही वोट किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सतत प्रयासों का ही परिणाम है कि राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि उत्तर प्रदेश लगभग दंगा मुक्त हो गया है। एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार देश में साप्रंदायिक हिंसा के 378 मामले दर्ज हुए लेकिन उप्र में केवल एक ही ऐसा मामला हुआ है जो योगीराज की सबसे बड़ी सफलता है।
सभी राज्यों में कुल अपराधों में उत्तर प्रदेश का स्थान 23वां है। वर्ष 2019 की तुलना में बच्चे के विरूद्ध हुए अपराधों में 11.11 प्रतिशत की कमी हुई है। महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में 6.2 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन अभी महिलाओ व दलितो के प्रति जो अपराध हो रहा है उसे रोकने के लिए समाज व समााजक संगठनों को भी अपनी भूमिका निभानी होगी । प्रदेश की कानून व्यवस्था में सुधार होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि अपराधियों को सजा दिलाने में प्रदेश सरकार तत्पर है व तीव्र गति से काम रही है ।
महिला संबंधी अपराधों में 7713 आरोपितों को सजा सुनिष्चित कराकर यूपी देश में सबसे आगे है। साइबर क्राइम आज एक बहुत बड़ा क्राइम बन गया है लेकिन पुलिस ने 292 साइबर अपराधियों को सजा दिलाकर यहां भी अपना पहला स्थान कायम रखा है। विभिन्न अपराधों में गिरफ्तार कुल 11,2800 आरोपितों को सजा दिलाकर प्रदेश पहले स्थान पर है। अपराधियों की गिरफ्तारी में 443304 आरोपितों की गिरफ्तारी कर यूपी दसरे स्थान पर है। शस्त्रों को जब्त करने में भी यूपी प्रथम है। संपत्ति की बरामदगी के मामले में यूपी का चौथा स्थान है। यूपी पुलिस ने 129.4 करोड़ की संपत्ति बरामद की है। कड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में देश के मुकाबले प्रदेश में महिलाओं पर एसिड अटैक की न्यूनतम 22 व फिरौती के लिए अपहरण की न्यूनतम दो घटनाएं हुई हैं। 28 राज्यों व आठ संघ षासित राज्यों में उत्तर प्रदेश का स्थान 36वां है।
अपराध नियंत्रण के लिए प्रदेश सरकार एक के बाद एक कई कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री ने यूपी 112 को तीन हजार करोड़ रूपए की योजना से नया स्वरूप देने का निर्णय लिया है। अब किसी अपराध की सूचना पर पुलिस का रिस्पांस टाइम पांच मिनट का कर दिया गया है और अब यह हाईवे से लेकर दूर दराज के गांवों तक भी पहुंचेगी।
यद्यपि विगत सरकारों की तुलना में प्रदेश में अपराध कम हुआ है लेकिन कई क्षेत्र अभी भी बहुत चिंताजनक है। रिपोर्ट के अनुसार दलितों के प्रति अपराध अभी भी हो रहे हैं तथा महिला अपराधों के प्रति नवाबों का शहर कहा जाने वाला लखनऊ अभी भी एक खतरनाक जंक्शन बना हुआ है। प्रदेश सरकार ने स्कूल- कालेज जाने वाली छात्राओं व बच्चियों की सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो स्क्वाएड का गठन किया है जिसके कारण छेड़छाड़ की घटनाओं में कुछ कमी तो आई है लेकिन यह पूरी तरह से समाप्त नहीं हो पा रही है। स्कूल -कॉलेज जाने वाली युवतियों व बच्चियों की सुरक्षा के लिए यदि अभिभावक तथा प्रबंधन तंत्र भी सतर्क रहकर प्रशासन का सहयोग करे तो यह और भी कम हो जायेगा।
प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराधों में अपेक्षित कमी न आ पाने का एक बड़ा कारण प्रदेश की बड़ी आबादी भी है, आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराधों के 40 फीसदी मामलों में समय से जांच नहीं हो पा रही है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार इस तरह के मामलों में जांच 60 दिन के भीतर पूरी हो जानी चाहिए। इसलिए जिन मामलों में समय से चार्जशीट पूरी नहीं हो पा रही है उनमें संबंधित अफसरों की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि(एसीआर) में दर्ज करने का केंद्र सरकार ने सुझाव दिया है। केंद्र ने समय से जांच का प्रतिशत 90 तक करने का सुझाव दिया है।
पिछले दिनों मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने कानून व्यवस्था के मामले में योगी सरकार की सराहना करते हुए कहा था कि अब यूपी में सरकार संरक्षित संगठित अपराधों में भारी कमी आ रही है। जिसके कारण निवेशक भी उप्र में निवेश करने के लिए आकर्षित हो रहे हैं।
आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि यूपी में योगीराज आने के बाद बिगड़ी हुई कानून और व्यवस्था बहाल हुई है और यूपी ने एक मिसाल कायम की है। प्रदेश में सभी धर्मो के पर्व व त्यौहार शांति पूर्वक संपन्न हो रहे हैं। रामनवमी के अवसर पर जहां राजस्थान, पश्चिम बंगाल , झारखंड, गुजरात, दिल्ली और मध्य प्रदेश में हिंसक घटनांए हुई वहीं यूपी में वातावरण बहुत शांत रहा। अयोध्या में 30 लाख से अधिक भक्तों की भीड़ जुटी । अभी सावन के पवित्र माह में कुछ अराजक तत्वों ने कांवड़ियों पर किसी न किसी बहाने हमले कर उन्हें उत्तेजित करने का असफल प्रयास किया किन्तु इस दौरान पुलिस प्रशासन की सतर्कता के करण अराजक तत्वों को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेजा गया है। सरकार व पुलिस प्रशासन जीरो टालरेंस की नीति पर चल रहा है ।
योगीराज में ही प्रदेश में रह रहे सभी धार्मिक केंद्रों से लाउडस्पीकर हटवाये गये । प्रदेश में भू माफिया पर नकेल कसी जा रही है। प्रदेशभर में अवैध निर्माणों का पता लगाकर उन्हें कानून के दायरे में लाकर उनका ध्वस्तीकरण किया जा रहा है। योगी सरकार हर उस अवैध काम पर लगाम कस रही है जिसके कारण अपराध होते हैं । अब प्रदेश सरकार ने युवाओं को नशे से बचाने के लिए एक बडा अभियान प्रारंभ किया है। इसके अंतर्गत नशीले पदार्थों के तस्करों के खिलाफ भी एक गहन अभियान शुरू किया गया है । प्रदेश में अवैध बूचड़खाने की आड़ में भी अपराध होते थे जिन पर लगाम लग चुकी है और अब गौवंशीय पशुओं की तस्करी करने वाले लोग भी जेल जा रहे हैं तथा उनकी संपत्तियां जब्त हो रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस के आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान एक भी हिंसक घटना नहीं हुईं । उप्र के लिए सबसे बड़ी गर्व की यह बात रही कि जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने श्रीरामजन्मभूमि विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया उस दिन भी प्रदेश में एक भी आपराधिक वारदार नहीं हुई थी।
योगीराज में अब ऐसे -ऐसे अपराधी जेल की सलाखों के पीछे खड़े हैं जिन्हाने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन ऐसा भी आएगा कि उनकी जमानत भी नहीं हो पाएगी। पिछली सरकारों इन अपराधियों की हनक चलती थी । अब प्रदेश में बदलाव आ रहा है माफिया मुख्तार अंसारी, आजम खां, अतीक अहमद और गायत्री प्रजापति जैसे लोग जमानत के लिए नाक रगड़ रहे हैं । इनकी करोड़ों की संपत्ति कुर्क हो चुकी है। मुख्तार का बेटा अब्बास अंसारी भगोड़ा घोषित किया जा चुका है।
विरोधी दलों के जो नेता राष्ट्रीय आंकड़ों के आधार पर प्रदेश सरकार व भाजपा पर झूठ बोलने का आरोप लगा रहे हैं उनको अपनी सरकारों का हाल देखना चाहिए जब किसी पीड़ित व्यक्ति को थाने जाने पर किस प्रकार से अपमानित कर भगा दिया जाता था। सपा और बसपा की सरकारों में अपराधियों व आतंकवादियों का महिमामंडन किया जाता था और उन्हें सरकारी संरक्षण प्रदान किया जाता था। सपा और बसपा की सरकारों में इतना अधिक मुस्लिम तुष्टिकरण होता था कि आतंकवादियो तक को रिहा करवाने का असफल प्रयास किया गया लेकिन अब वह आतंकी जेल की सलाखों के पीछे ही रहेंगे क्योंकि कई आतंकवादियों को सजा मिल चुकी है और कुछ को मिलने जा रही है।
सबसे दुर्भाग्य की बात यह है आज प्रदेश में घटित होने वाली अधिकांश आपराधिक वारदातों में शामिल अपराधियों की संलिप्तता सपा और बसपा जैसे दलों की ही रहती है। जिसकी चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा सत्र के दौरान एक बयान भी दिया था कि, प्रदेश में घट रही घटनाओं में समाजवादी कनेक्शन ही क्यों सामने आ रहा है? वास्तव में इन दलों को बदलाव और विकास रास नहीं आ रहा है और ये मात्र राजनैतिक स्वार्थों के वशीभूत होकर एक झूठा अभियान चलाने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रेषक- मृत्युंजय दीक्षित

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