Defence मैन्युफैक्चरिंग में Private players लाने का फायदा.
2001 में अटल जी की सरकार ने Defence मैन्युफैक्चरिंग में Private players के लिए 100% contribution के लिए खोल दिया था. कई कंपनिया शुरू हुई.. कई बड़ी कंपनियों ने Defence में हाथ डाला… लेकिन उसके बाद ज्यादा काम नहीं हुआ.
2016 में सरकार ने Defence में 49% FDI (automatic route) allow कर दी….49% से ऊपर भी allowed है अगर कोई नई टेक्नोलॉजी भारत में लाना चाहता हो. 2022 में यह 74% तक बढ़ा दिया गया है.
जब यह निर्णय लिए गए, तब विपक्ष ने हल्ला मचाया.. कि मोदी ने अपने दोस्तों को Defence sector बेच दिया
लेकिन Private प्लेयर और FDI आने से होने वाले फायदे किसी ने नहीं देखे.. ना सोचे….. क्यूंकि जब नेताओं को commision का मोटा पैसा मिल रहा हो, तब काहे का प्राइवेट sector और किस बात की FDI.
खैर… इन क़दमों से भारत में Defence मैन्युफैक्चरिंग का Ecosystem तैयार होने लगा है….हमारे यहाँ 100 से ज्यादा Defence Startups हैं… वहीं सैंकड़ो बड़ी कम्पनियाँ हैं जो हथियार बना रही हैं. अब तो कई ऐसे हथियार भी बन रहे हैं, जो पश्चिम के देशों में भी Under Development हैं.
भारत की ही एक कंपनी है सागर defence… इन्होने Indian Navy के लिए Swarm underwater drones बना दिए हैं… यह पानी में चलने वाले ड्रोन हैं… जो किसी भी Aircraft carrier या Submarine से उड़ान भर सकते हैं… आठ किलोमीटर की दूरी तक जा सकते हैं… और Critical mission पूरे कर सकते हैं.
यह Underwater Drones intelligence, surveillance and reconnaissance, mine-counter measures, anti-submarine warfare, hydrographic and oceanographic data acquisition… जैसे काम आसानी से कर सकते हैं.
ऐसे ड्रोन अभी गिनती के देशों के पास हैं.. और अब यह जल्दी ही हमारी Navy को मिल जाएंगे.
पहले Technology आने में दशको लगते थे… लेकिन अब हम दुनिया के साथ साथ चल पा रहे हैं….. यह है Private Sector और FDI की ताकत.
और हाँ… जो भी कंपनी सेना के लिए हथियार बना रही है… वो सिर्फ मोदी की दोस्त नहीं है… वो देश की दोस्त है… हमारी सेना की दोस्त है… हमें ख़ुशी है कि Defence sector में ऐसी कंपनियों को उनका समुचित स्थान मिल रहा है.
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