Shadow

the end of your ambition

आप की महत्वाकांक्षा का अंत

गुजरात प्रदेश के विधानसभा चुनाव आप पार्टी के मुखिया श्री अरविन्द केजरीवाल जी को दर्पण दिखाने के लिए पर्याप्त होने चाहिए। उनकी महत्वाकांक्षा देश में मोदी जी के समकक्ष अपना स्थान बनाने की थी। इस चुनाव के पश्चात सम्भवतया उनको अपनी वास्तविक स्थिति का अहसास हो जाना चाहिए। उन्हें इसका भी संज्ञान हो जाना चाहिए कि मोदी जी आज माउंट एवरेस्ट के समान भारतीय राजनीति के सर्वोच्च शिखर पर पहुँच चुके हैं, अतः उनके समकक्ष स्वयं को स्थापित करने की कल्पना करना भी केजरीवाल जी के लिए आज की परिस्थिति में कदापि सम्भव नहंी है।

केजरीवाल जी को यह समझना नितान्त आवश्यक है कि दिल्ली के नगर निगम के चुनावों की जीत और पंजाब विधानसभा चुनाव की जीत मात्र ही मोदी जी को हराना कदापि नहीं है, क्योकि पंजाब में सरकार कांग्रेस की थी और वहाँ पर कांग्रेस की छवि आपसी कलह के कारण अत्यधिक धूमिल हो चुकी थी। आप पार्टी की जीत का मुख्य पहलू यह था कि किसान आन्दोलन के समय केजरीवाल जी ने वहाँ के किसानों को अत्यधिक सहायता पहुँचायी थी, अतः उन्होंने पंजाब के चुनावों में केजरीवाल जी का सहानुभूतिवश खुलकर समर्थन किया था। 

इससे पूर्व केजरीवाल जी ने भाजपा के विरूद्ध उत्तराखण्ड, गोवा, हिमाचल प्रदेश में भी अपनी पूर्ण शक्ति का प्रदर्शन किया था, परन्तु उन्हें इन राज्यों में क्रमशः 3.5 प्रतिशत, 6.8 प्रतिशत एवं 1.1 प्रतिशत ही जनता का समर्थन प्राप्त हुआ। इन चुनावी परिणामों से उनको यह समझ लेना चाहिए था कि अभी भारत की जनता का समर्थन उनके पक्ष में नहीं है। अभी वे मात्र अन्य विपक्षियों की वोट काटकर भाजपा को ही लाभ पहुँचा रहें हैं, भाजपा को हराने की स्थिति में तो दूर-दूर तक नहीं है। इसी प्रकार गुजरात प्रदेश में भी उन्होंने केवल कांग्रेस को हानि पहुँचाने का कार्य किया और अपनी पार्टी के लिए मात्र 5 विधायक जिताकर प्रदेश में सम्मानजनक स्तर तक भी नहीं पहुँचा पाए।

दिल्ली के चुनाव परिणाम भी यह दर्शाते हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय भी आप पार्टी को अपेक्षानुसार सहयोग नहीं कर रहा है, क्योकि दिल्ली चुनावों में 18 मुस्लिम बाहुल्य सीटों में से मात्र 5 सीटों पर ही आप पार्टी को विजयश्री प्राप्त हुई। इसी प्रकार गुजरात में 17 अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र में से आप पार्टी ने मात्र 1 सीट पर ही विजय प्राप्त की। इससे यह स्पष्ट होता है कि आप पार्टी अभी इतनी अधिक लोकप्रिय पार्टी नहीं बनी है। जनता को केवल निःशुल्क बिजली का प्रलोभन देकर उनको जीत प्राप्त नहीं हो सकती। आज का वोटर यह भलीं-भाति समझता है कि यदि उनकों कुछ भी निःशुल्क दिया जा रहा है तो उसके प्रत्युत्तर में उनसे कर की धनराशि के रूप में वापिस ले लिया जाएगा। इस वस्तुस्थिति को भली-भांति संज्ञान में रखते हुए केजरीवाल जी को जो कुछ भी अभी तक प्राप्त हुआ है उसी में संतोष प्राप्त करना श्रेयस्कर होगा।                                                                      

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *