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सतत विकास की सार्थकता है स्वच्छता और स्वच्छ जल

विश्व जल दिवस बनाम सतत विकास लक्ष्य

डॉ. शंकर सुवन सिंह
जल, प्रकृति द्वारा मानवता के लिए एक अनमोल उपहार है। तभी तो कहा गया है प्यासे को
पानी पिलाना सबसे बड़ी मानवता है। जल को कई नामों से पुकारा जाता है जैसे पानी,
वारि, नीर, तोय, सलिल, अंबु, शम्बर आदि। जल एक रासायनिक पदार्थ है। जल का एक
अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना होता है। यही ऑक्सीजन
गैस प्राणवायु कहलाती है। प्राणवायु जीवन का प्रतीक है। जल का मुख्य घटक प्राणवायु ही
है। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। पानी मुख्यत: तीन रूपों में पाया जाता है ठोस
द्रव और गैस । आमतौर पर जल शब्द का प्रयोग द्रव अवस्था के लिए किया जाता है। जल
की ठोस अवस्था का नाम बर्फ है। जल की गैसीय अवस्था को भाप या वाष्प के रूप में जाना
जाता है। वैदिक संस्कृति में जल को आप और फ़ारसी भाषा में आब नाम से जाना जाता है।
ऋग्वेद में जल देवता को ‘आपो देवता’ या आपः देवता’ कहा गया है। ऋग्वेद का 7 वां मंडल
वरुण देवता को समर्पित है। वरुण देवता जल के देवता हैं। हिंदी में बहुत से फ़ारसी शब्दों का
इस्तेमाल होता है जैसे पंजाब (पाँच पानी/नदियाँ), गुलाब (पानी का गुल/फूल), आबोहवा
(पानी और हवा) तथा आबजौ (जौ का पानी) आदि। जल में फैट, प्रोटीन, कार्बोहइड्रेट आदि
नहीं पाया जाता है। अतएव जल में कैलोरी भी नहीं होती है। नल (टैप वाटर) के एक कप
(लगभग 250 मिलीलीटर) पानी में 7 मिलीग्राम कैल्शियम, 2 मिलीग्राम मैग्नीशियम, 9
मिलीग्राम सोडियम और 0.02 मिलीग्राम जिंक पाया जाता है। सामान्य बोतल बंद
(जेनेरिक बॉटल्ड वाटर) के एक कप (लगभग 250 मिलीलीटर) पानी में 24 मिलीग्राम
कैल्शियम, 5 मिलीग्राम मैग्नीशियम, 5 मिलीग्राम सोडियम पाया जाता है। ऋग्वेद
(18:82:6) में वर्णित है कि जल में सभी तत्वों का समावेश है। जल में सभी देवताओं का
वास है। जल से पूरी सृष्टि, सभी चर और अचर जगत पैदा हुआ है। यजुर्वेद (27: 25) में कहा
गया है कि सृष्टि का बीज, सबसे पहले पानी ही में पड़ा था और उससे अग्नि पैदा हुई। मानव
शरीर में लगभग 65-80 प्रतिशत पानी होता है। इससे साबित होता है कि मानव जीवन
बिना शुद्ध जल के संभव नहीं है। पृथ्वी का 71 प्रतिशत हिस्सा पानी से ढका हुआ है। 1.6
प्रतिशत पानी जमीन के नीचे पाया जाता है। पृथ्वी की सतह पर पाए जाने वाले पानी का

97 प्रतिशत सागरों और महासागरों में है, जो कि पीने के काम में नहीं आता है केवल 3
प्रतिशत पानी पीने लायक है। इसके बावजूद विश्व के विभिन्न भागों से जल की कमी और
दूषित जल की खबरें मिलना सामान्य बात है। पानी का रासायनिक संदूषण मुख्य रूप से
फ्लोराइड और आर्सेनिक के माध्यम से 1.16 मिलियन आवासों में मौजूद है। इसके अलावा,
भारत के 797 जिलों में से दो-तिहाई पानी की कमी से प्रभावित हैं, और पानी की सुरक्षा
और सुरक्षा के लिए योजना की मौजूदा कमी एक बड़ी चिंता है। भारत ने पूरे देश में खुले में
शौच को समाप्त करने में तेजी से प्रगति की है। भारत की कुल जनसँख्या 141.04 करोड़ है
जिसमे से खुले में शौच करने वालों की संख्या में अनुमानित 700 मिलियन लोगों की कमी
आई है। भारत सरकार ने यूनिसेफ जैसे भागीदारों की मदद से साल 2019 तक भारत को
‘खुले में शौच मुक्त’ बनाने की दिशा में एक अभूतपूर्व प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है। इस
लक्ष्य को प्राप्त करने और कई सतत विकास लक्ष्य (एस डी जी) को समर्थन देने के
लिए,सरकार ने वर्ष 2014 में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की। केरल पहला राज्य
बना, जिसे 100% खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया। सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और
केरल पहले तीन राज्य थे जिन्हें खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया था। पर्यावरण तथा
विकास पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा वर्ष 1992 में रियो डि जेनेरियो (ब्राजील)
में वैश्विक स्तर पर जल संरक्षण एवं संवर्धन हेतु विश्व जल दिवस मनाने सम्बंधित घोषणा
की गयी थी। तत्पश्चात 22 मार्च 1993 ई. को प्रथम विश्व जल दिवस मनाया गया था।
अतएव विश्व जल दिवस प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा
विश्व जल दिवस 2023 का प्रसंग/थीम है- परिवर्तन में तेजी (अक्सेलरेटिंग चेंज) इस
प्रसंग/थीम के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक स्तर पर लोगों को परिवर्तन का संवाहक
बनने का आह्वान किया गया है जिससे की हम सभी अपने जीवन में जल का समुचित
उपयोग करके जल संरक्षण के अभियान को गति प्रदान कर सकें। अतएव जल संरक्षण के
अभियान में तेजी लाने के लिए हम सभी को बदलाव का वाहक बनाना पड़ेगा। जल संरक्षण,
संवर्धन और उसके उचित प्रबंधन में सतत विकास लक्ष्य 6 अहम् भूमिका अदा करेगा। सतत
विकास लक्ष्य में कुल 17 लक्ष्य हैं जिसमे की छठवें लक्ष्य का उद्देश्य साफ़ पानी और
स्वच्छता है अर्थात सभी के लिए स्वच्छ पानी और स्वच्छता की उपलब्धता व उसका
टिकाऊ प्रबंधन सुनिश्चित करना है। स्वच्छ पानी, स्वच्छता और उसका प्रबंधन ही जल
संरक्षण को गति प्रदान करेगा। सतत विकास लक्ष्य 6 के लिए उन्मुख कार्य करने की
आवश्यकता है -1. सुरक्षित और अफोर्डेबल पेयजल (सस्ता पेयजल) 2. खुले में शौच को
समाप्त करना और स्वच्छता तक पहुंच प्रदान करना 3. पानी की गुणवत्ता में सुधार करना

  1. जल की बर्बादी को रोकना और उनका दोबारा इस्तेमाल सुनिश्चित करना, 5. जल-
    उपयोग दक्षता में वृद्धि करना और मीठे पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना 6. एकीकृत जल
    संसाधन प्रबंधन (आई डब्लू आर एम) को लागू करना, पानी से संबंधित पारिस्थितिक तंत्र
    की रक्षा करना और उसे बहाल करना। विश्व में अनुमानित 77.1 करोड़ लोगों के पास अभी
    भी एक बुनियादी स्तर की जल की उपलब्धता का अभाव है। वैश्विक सतत विकास रिपोर्ट
    2022 के अनुसार विश्व में भारत 163 देशों में से 121 वें स्थान पर था। वैश्विक सतत
    रिपोर्ट (एस डी जी इंडेक्स) 2022 में फिनलैंड सबसे ऊपर था, इसके बाद क्रमशः तीन
    नॉर्डिक देश-डेनमार्क, स्वीडन और नॉर्वे हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर भारत
    सरकार को अभी सतत विकास लक्ष्य को साधने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरुरत है।
    सतत विकास लक्ष्य 6 का सकारात्मक प्रभाव, सतत विकास लक्ष्य 3 पर पड़ेगा। सतत

विकास लक्ष्य 3 का उद्देश्य अच्छा स्वास्थ्य और जीवन स्तर है। कहने का तात्पर्य स्वच्छ जल
और स्वच्छता के द्वारा लोगो के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा और जीवन स्तर में सुधार
होगा। स्वच्छ जल स्वस्थ्य शरीर का द्योतक है। हम कह सकते हैं कि एस डी जी 6 पर कई
लक्ष्य निर्भर है। नीति आयोग के एसडीजी इंडिया इंडेक्स एंड डैशबोर्ड पर भारत का स्कोर
2018-19 में 57 और 2019-20 में 60 से बढ़कर 2020-21 में 66 हो गया था, जो सतत
विकास लक्ष्‍यों (एसडीजी) को हासिल करने की दिशा में उसकी प्रगति को दर्शाता है।
स्वच्छता प्रकृति को दूषित नहीं करती है। स्वच्छता प्रकृति को पोषित करती है। प्रकृति के
पोषण में जीवन है। प्रकृति का दूषित होना प्राकृतिक आपदाओं का कारण है। प्रकृति पृथ्वी
को जीवंत बनाती है। जल प्रदूषण सृष्टि के सभी जीवों के लिए अभिशाप है। जल से जीवन
है। जल ही एकमात्र ऐसा अवयव है जो जीवन को संचालित करता है। अतएव हम कह सकते
हैं कि स्वच्छता और स्वच्छ जल, सतत विकास की सार्थकता है। सतत विकास लक्ष्य विश्व
जल दिवस 2023 को मजबूती प्रदान करेगा।
लेखक
डॉ. शंकर सुवन सिंह
वरिष्ठ स्तम्भकार एवं शिक्षाविद

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