कौन हैं ‘अर्बन नक्सल्स’ और क्या चाहता है ये तंत्र ?
कम्युनिस्ट उग्रवाद – माओवाद !
दरअसल ‘अर्बन नक्सल्स’ (टर्म) सामान्य तौर पर उन कथित कम्युनिस्ट बुद्धिजीवियों वर्ग के लोगों के समूह के लिए प्रयोग किया जाता है जो देश भर में लोकतंत्र को हटाकर तानाशाही कम्युनिस्ट व्यवस्था स्थापित करने के षड्यंत्र में लगे हुए हैं, इस क्रम में इन अर्बन नक्सलियों द्वारा देश भर में अनेकों गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), मानवाधिकार समुहों, सामाजिक समुहों, मजदूर संगठनों, किसान संगठनों एवं छात्र संगठनों का गठन किया गया है जिनके माध्यम से देश विरोधी गतिविधियों को संचालित करना इनका मुख्य उद्देश्य है।
इस तंत्र में बाहर से साफ सुथरी छवि वाले वरिष्ठ मानव अधिकार कार्यकर्ताओं, नागरिक समूहों का नेतृत्व करने वाले लोग, छात्र नेता, किसान नेता, मजदूर संगठनों के नेता, बड़े शहरों के विश्वविद्यालयों में पढ़ाने वाले प्रोफेसरों, से लेकर सुदूर जंगलो में कथित रूप से जनकल्याण में लगे कार्यकर्ताओं की अच्छी खासी संख्या है जो मोटे तौर पर समाज में जाति, रंग, भाषा, एवं भगौलिक आधार पर पहले से वयाप्त खाई को गहरा करने एवं समाज को बांटने के लिए नवीन प्रपंच गढ़ते रहते हैं।
इस क्रम में इस तंत्र ने पिछले कुछेक वर्षो में किसान आंदोलन, सीएए (CAA) एनआरसी प्रदर्शन, जेएनयू में भारत विरोधी प्रदर्शन, शाहीन बाग प्रदर्शन, हाथरस में दुष्प्रचारित प्रदर्शन, सरदार सरोवर बांध परियोजना विरोधी प्रदर्शन, भीमा कोरेगांव हिंसा, अवार्ड वापसी प्रपंच, असहिष्णुता प्रपंच एवं हाल ही में अग्निपथ योजना संबंधित विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई एवं इसके संचालन में अग्रणी भूमिका निभाई है।
हालांकि यह केवल इनके देश विरोधी गतिविधियों का एक हिस्सा भर है और वृहद रूप से इनका दायरा भारतीय न्यायिक तंत्र से लेकर बॉलीवुड, खेल जगत और यहां तक कि कई राष्ट्रीय राजनीतिक दलों तक फैला हुआ है जिसके माध्यम से ये संविधान प्रदत्त लोकतांत्रिक अधिकारों की दुहाई देकर भारतीय लोकतांत्रिक व्यव्यस्था को ही उखाड़ फेंकने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं।
यह खतरा कितना बड़ा है इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि जहां एक ओर इनकी घुसपैठ प्रशासनिक व्यवस्था से लेकर राजनीतिक दलों तक है तो वहीं जंगलो में आतंक का खेल खेल रहे नक्सली/माओवादी इनकी औपचारिक सैन्य टुकड़ी के रूप में सक्रिय हैं जिनकी सभी गतिविधियों का संचालन इनके निर्देशानुसार ही किया जाता है।
भारत से लोकतांत्रिक व्यवस्था को उखाड़ फेंकने के इस कुकृत्य में देश भर में सक्रिय कट्टरपंथी इस्लामिक समुहों से अघोषित गठबंधन के साथ ही देश को कमजोर करने वाली बाहरी शक्तियों का भी इनको पुरजोर समर्थन मिलता रहता है जो भारी भरकम वित्तीय पोषण से लेकर इनके द्वारा गढ़े गए प्रपंचों को वैश्विक पटल पर मजबूती से स्थापित कर इसके माध्यम से भारत सरकार और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने का प्रयास करते रहते हैं।
अब ऐसे में वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा नक्सलवाद से लेकर इन अर्बन नक्सलियों द्वारा स्थापित किए गए विभिन्न देश विरोधी समुहों, संस्थाओं एवं इनके नेताओं पर हुई जबरदस्त कार्यवाई से बौखलाया अर्बन नक्सलियों का यह तंत्र, येन केन प्रकारेण वर्तमान सरकार को कमजोर करने की कवायद में जुटा है यही कारण है कि इसी तंत्र का भाग रही गुजरात आम आदमी पार्टी की संभावित मुख्यमंत्री उम्मीदवार मेधा पाटकर पर अप्रत्यक्ष निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को दीमक की तरह भीतर से खोखला करने पर आमादा इन अर्बन नक्सलियों के तंत्र से राज्यवासियों को सचेत रहने की आवश्यकता है।
जय जय भारत —