Shadow

क्यों पत्थर होती जा रही हैं हमारी करूणा एवं संवेदनाएं?

क्यों पत्थर होती जा रही हैं हमारी करूणा एवं संवेदनाएं?
 ललित गर्ग 

केरल के पथानामथिट्टा में अमीर बनने की चाहत में तांत्रिक के कहने पर दो महिलाओं की बलि देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। मामले में नरभक्षण का भी संदेह जताया जा रहा है। संदेह है कि आरोपियों ने महिलाओं के लाश के टुकड़े पकाकर खाए। यह खौफनाक एवं डरावना घटनाक्रम एक शत प्रतिशत शिक्षित प्रांत के लिये लज्जाजनक होने के साथ-साथ नये भारत, सशक्त भारत पर नये सिरे से चिन्तन करने की जरूरत को व्यक्त करते हुए अनेक ज्वलंत प्रश्न खड़े करता है। निश्चित ही इस क्रूर घटनाक्रम से देश कांप उठा है। देश में धर्म के नाम पर बिखरी विसंगतियों एवं असुविधाजनक स्थितियों पर नियंत्रित करने की जरूरत है। ऐसे अनेक तांत्रिक एवं धर्म के ठेकेदार समृद्धि, सत्ता एवं सुख देने के नाम पर भोले-भाले लोगों को न केवल ठगते हैं, बल्कि उनसे आपराधिक कृत्य भी करवाते हैं। इनदिनों सोशल मीडिया पर अश्लील, कामूक एवं वासना को भड़काते हुए लोगों का फंसाने का षडयंत्र भी जोर-शोर से चल रहा है। पुरुष महिला के नाम पर फेक आईडी बनाकर लोगों को ठगने, डराने एवं पैसा वसूलने में जुटे हैं। प्रश्न है कि राष्ट्र ऐसी मूल्यहीनता एवं चरित्रहीनता को कब तक जीता रहेगा?
केरल की ताजा घटना में यही सब घटनाक्रम क्रूरता की चरम पराकाष्ठा है। तांत्रिकों से जुड़े ऐसे अनेक क्रूर प्रसंग सामने आते रहते हैं। तब लगता है मानो मनुष्य के मन से करुणा, दया, संवेदना सूख गई है।  केरला पुलिस के अनुसार, हत्याएं घर की खराब आर्थिक स्थिति को खत्म करने के लिए की गईं है। लेकिन इसमें यौन विकृति का मामला भी सामने आया है। इस मामले में आरोपियों के नाम भगवल सिंह, उसकी पत्नी लैला और तांत्रिक मोहम्मद शफी शामिल हैं। भगवल की पत्नी लैला पेशे से मसाज थेरेपिस्ट है। पुलिस के सूत्रों के अनुसार, भगवल सिंह और उसकी पत्नी लैला ने पूछताछ के दौरान बताया कि उन्होंने मृतकों का मांस खाया था। रोजलिन जून में और पदमा सितंबर में लापता हो गई थी। पुलिस ने यह भी बताया, पदमा की तलाश के दौरान दोनों की हत्या किए जाने के बारे में पता चला। वहीं, महिलाओं के फोन को ट्रेस करते हुए मोहम्मद शफी के बारे में पता चला। आरोपी शफी ने पूछताछ के दौरान अपना गुनाह कबूल करते हुए बताया कि उसने महिलाओं को अगवा किया था। शफी ने दंपति को सोशल मीडिया के माध्यम से ललचाया था। शफी फेसबुक पर श्रीदेवी नाम प्रोफाइल बनाए हुए था।  दंपति अपनी समस्याओं को लेकर श्रीदेवी वाली प्रोफाइल के संपर्क में आए। उनसे रशीद नाम के शख्स से मिलने के लिए कहा गया। तांत्रिक शफी ही रशीद था। वहीं  उसने दंपति को बताया कि, समस्याओं से निजात दिलाने के लिए उन्हें मानव बलि देनी पड़ेगी। इसके बाद नरबलि के लिए महिलाओं को खोजा गया।  तांत्रिक शफी यौन विकृत था। नरबलि के तौर पर रोजलिन और पदमा को बांधकर उनकी हत्या की गई और उनके ब्रेस्ट को चाकू से काटा गया। जानकारी के अनुसार, एक महिला के शव को 56 टुकड़ों में काटा गया।  
आरोपी शफी ने रोजलिन को अश्लील फिल्म में काम करने के लिए 10 लाख रुपये का ऑफर दिया था। साथ ही पदमा को सेक्स वर्कर बनने के लिए 15 हजार रुपये की पेशकश की थी। आरोपी ने रोजलिन को शूटिंग के बहाने बेड पर लिटाकर बांध दिया और उसकी चाकू से हत्या की। आरोपी यही नहीं रुका उसने शव के टुकड़े भी दिए। वहीं, पदमा ने जब पेमेंट मांगा तो आरोपियों ने उसका गला रस्सी से बांध दिया। जिसकी वजह से वह बेहोश हो गई, बाद में आरोपियों ने उसके भी चाकू से टुकड़े कर दिए।  कई रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि, आरोपी ने मृतकों के गुप्तांगों में चाकू डाला था। यही नहीं, तांत्रिक प्रयोग के तहत मृतकों के खून को दीवारों और फर्श पर छिड़का गया, साथ ही मृतकों के उनके शव के टुकड़े पकाकर भी खाया गया। आरोपियों ने हत्या करने बाद महिलाओं के शव के टुकड़ों को जमीन में दफना दिया था। अदालत ने तीनों आरोपियों को 26 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा दिया है।
लॉटरी टिकट बेचने वाली पी पद्मा कदवंतरा की और रोजिल कलाडी की रहने वाली थीं, दोनों पीड़ित महिलाओं की उम्र 50 वर्ष बताई जा रही है। मुख्य आरोपी शफी पहले भी कई आपराधिक मामलों में शामिल था और उस पर दो साल पहले कोलेनचेरी पथानामथिट्टा में 75 वर्षीय एक महिला का यौन उत्पीड़न करने का आरोप था। आरोपी शफी एक ब्लैक मैजिशियन या तांत्रिक बताया जा रहा है, जिसने 8 महीने पहले अखबार में एक विज्ञापन निकाला था, जिसे पढ़कर भगवल सिंह और उनकी पत्नी ने उससे कॉन्टेक्ट किया। आरोपी शफी ने विज्ञापन के जरिए खुद को एक रिचुअल करने वाला बताया, जिससे लोग अमीर बन सकें। आरोपी ब्लैक मैजिशियन के फंदे में दोनों पति पत्नी फंस गए और धीरे-धीरे वे शफी के करीब होते गए। एक समय पर आरोपी ब्लैक मैजिशियन मोहम्मद शफी ने उन्हें नरबलि करने के लिए कहा और यकीन दिलाया कि इससे उनके सभी वित्तीय मुद्दे सुलझ जाएंगे और ऐसा करना उनके जीवन में समृद्धि लाएगा।
समूचे राष्ट्र को स्तब्ध करने वाला यह काफी जटिल मामला है, जिसमें कई परतें हैं, कुछ खुली हैं और कुछ खुलनी बाकी है। मगर फिर भी जो तथ्य सामने आए हैं, वे न केवल शर्मनाक हैं, बल्कि दुनिया का गुरु बनने की ओर अग्रसर राष्ट्र पर एक बदनुमा दाग है। तथाकथित तांत्रिक आम जनता को किस तरह गुमराह एवं भ्रमित करते हैं, उन्हें अपनी झांसे में फंसाते हैं, यह केवल केरल में ही नहीं समूचे देश में फैला धर्म का एक घिनौना एवं डरावना सच है। तीनों आरोपियों ने मिलकर दो महिलाओं की बलि दी और लाश के टुकड़े-टुकड़े करके जमीन के नीचे गाड़ दिए। कुछ समय बाद कपल ने दिन नहीं बदलने एवं समृद्धि न आने की शिकायत की तो तांत्रिक ने वही अनुष्ठान दोहराने की जरूरत बताई। एक बार फिर एक अन्य महिला को धोखे से इनके पास लाया और उसकी भी वही गति की। मगर इस बार गुमशुदगी की शिकायत पर पुलिस सक्रिय हो गई और तीनों गिरफ्त में आ गए। सवाल है, क्या यह इन तीनों का इकलौता कृत्य है या ऐसे और भी लोगों की गरीबी दूर करने का प्रयास यह तांत्रिक कर चुका है? क्रूरता की इस घटना की पीड़ा को समूचा देश चुभन की तरह महसूस कर रहा है, क्रूरता को जघन्य कृत्य गिना जाता है, लोगों की रूह कांप उठती है। पर आज आज यही क्रूरता, हिंसा एवं पीड़ा धनपति बनने का तांत्रिक जरिया बनता जा रहा है। आखिर क्यों नहीं पसीजती हमारी मानसिकता? क्यों नहीं कांपता हमारी दिल? क्यों पत्थर होती जा रही है हमारी करूणा एवं संवेदनाएं? कहां गयी इंसानियत?
देश में ऐसे अनेक तांत्रिक बेखौफ, कानून की परवाह किये बना अनेक लोगों की धनपति बनने की आकांक्षाओं, जाने अनजाने छोटे-मोटे या बड़े फायदों के लिए गैरकानूनी तरीके से लोगों को फंसाते रहते हैं। विडम्बना तो देखिये इन आपराधिक एवं अमानवीय घटनाओं को अंजाम देने के लिये सार्वजनिक तौर पर विज्ञापन भी किया जाता है। सिद्ध एवं चमत्कारी परिणामों के लिये धार्मिक एवं तांत्रिक  अनुष्ठानों को महिमामंडित भी किया जाता है कि गरीबी दूर करने, प्रेम संबंधों को सफल करने, कैरियर में सफलता के लिये, सत्ता प्राप्ति के लिये इनके परिणाम अचूक है। चिन्ता की बात तो यह है कि इन तांत्रिकों के जाल में अनपढ़ एवं भोले-भाले लोग ही नहीं आते, बल्कि पढ़े-लिखे भी जल्दी आ जाते हैं, हत्या जैसे कृत्य करने से भी नहीं हिचकते। ऐसे विज्ञापनों को छापना गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए। ऐसे विज्ञापन कितने घातक हो सकते हैं, इस प्रकरण से साफ है। इस तरह की घटनाएं हमारी जीवनशैली को संवेदनहीन बना रही हैं। जरूरत है जीवमात्र की पीड़ा को हम अपनी पीड़ा समझते हुए ऐसे अमानवीय कृत्यों के नियंत्रण के लिये जनचेतना को जगाये।
प्रेषकः

(ललित गर्ग)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *