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अब बारी सोनिया व चिदंबरम की ? 

 

सोनिया व चिदंबरम बाप बेटों पर आई इन एक्स मीडिया मामले में तो आरोपों की रकम थोड़ी सी ही है। इससे ज्यादा खेल तो कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के आरोपों में सामने आए हैं कि कैसे अपने अधिकारों की सीमा से बाहर जा सोनिया के ईशारों पर तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने हज़ारों करोड़ के एयरसेल मैक्सिस सहित सात अन्य विदेशी निवेश के प्रस्तावों को मोटा कमीशन लेकर देश में निवेश को मंजूरी दी। आरोप है कि यह निवेश हवाला के जरिए बाहर भेजे गए कालेधन को सफेद करने का खेल था। सात निजी कम्पनियों को 16 मई 2014 को विदेशों से सोना व हीरे के आयात की अनुमति में भी बड़ी टैक्स चोरी की बात रविशंकर प्रसाद ने उजागर की, जिसमें चिदंबरम ने मोटी दलाली ली। मगर चिदंबरम बाप-बेटे के इससे भी अधिक विस्फोटक घोटालों का खुलासा श्री अय्यर की पुस्तक ‘सी कम्पनी’ में किया गया है, जिसका विमोचन कल सुब्रमण्यम स्वामी ने किया है। पहले वाणिज्य और फिर वित्त मंत्रालय को बंधक बना सोनिया की साझेदारी में पी चिदंबरम ने अपने बेटे के माध्यम से सिंडीकेट बनाकर हवाला, मॉरीशस रूट, पी नोट्स, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज आदि को मोहरा बना हज़ारों लाखों करोड़ बनाए और यह सब उन्होंने सिलसिलेवार ढंग से किया है। कुछ और बड़े घोटालों जिनका अंजाम चिदंबरम द्वारा दिया गया जैसे हज़ारों करोड़ के जाली नोट, अनधिकृत नोट व एक ही नम्बर के दो दो नोट देश में जारी कर अनलिमिटेड कमाना आदि का जिक्र इस किताब में नहीं है, हां, यह विस्फोटक खुलासा जरूर है कि बेंगलुरू की 1/6 रियल इस्टेट का मालिक चिदंबरम सिंडीकेट है।

लोकसभा चुनावों के पूर्व राजनीति के इस खेल में चिदंबरम बाप बेटे के ऊपर एक के बाद एक लगातार खुलासों, आरोपों व कार्यवाही के खेल से यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार इन बाप बेटों के कंधे पर बंदूक रखकर जो निशाना साध रही है उसका असली शिकार गांधी परिवार है और मनमोहन सिंह व प्रणव मुखर्जी सहित अनेक कांग्रेसी नेताओं की बलि इस खेल में चढऩी ही है। कमजोर हो चुकी कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील ठोकने की मोदी सरकार की यह कोशिश कितना परवान चढ़ती है यह तो समय ही बताएगा मगर जनता के लिए मुस्कराने व मजे लेने का अच्छा समय है और मोदी जी के लिए 2019 के लोकसभा चुनावों में जीत सुनिश्चित करने की सोची समझी रणनीति।

 

चिदंबरम की हो पूरी जांच

 

यूपीए सरकार के गृह और वित्त मंत्री रहते पी चिदंबरम ने षड्यंत्रों, घोटालों और लूट की एक श्रृंखला ही खड़ी कर दी थी। हमारी पत्रिका डायलॉग इंडिया के अनेक अंकों, मेरे मित्र संदीप देव की पुस्तक ‘साजिश की कहानी, तथ्यों की जुबानी’ में और सुब्रमण्यम स्वामी के आरोपों को मिलाकर अगर देखा जाये तो सोनिया गांधी का वरदहस्त यह व्यक्ति इतने कुकर्म करने के बाद भी खुला घूम रहा है, यह शर्म की बात है।

  1. सन 2009 के लोकसभा चुनावों में चिदम्बरम की जीत एक बड़ा फर्जीवाड़ा थी जिसके खिलाफ न्यायालय में आजतक वाद लंबित है, क्यों?
  2. इशरत जहां की आतंकवादी पहचान छुपाने और मोदी-शाह को लपेटने में किया गया इस शख्स का षड्यंत्र सामने आ ही चुका है, इसकी जांच में विलंब क्यों?
  3. गृह मंत्रालय के अपने अंतिम दिनों में चिदंबरम ने अपने कुकर्मों वाली हज़ारों फाइलों को जलवाया था और प्रचारित किया गया था के शार्ट सर्किट से आग लग गयी थी, इसकी जांच क्यों नहीं की गयी?
  4. 15 से 20 हज़ार करोड़ के नकली नोट तकनीकी गलती के नाम पर इस व्यक्ति के वित्त मंत्री रहते छप कर बाजार में क्यों डाल दिए गए, इस मामले की गहन जांच जरुरी है?
  5. इस व्यक्ति के वित्त मंत्री रहते बैंकों द्वारा फर्जी कागजों के आधार पर जो 12 लाख करोड़ के ऋण बांटे गए और उनकी वापसी नहीं हुई उसकी जांच क्यों नहीं की जा रही?
  6. टूजी घोटाले में संलिप्तता और नीरा राडिया टेप में लगे आरोपों एयर मैक्सिम डील, एनडीटीवी में हवाला के माध्यम से निवेश, वासन आईकेयर में निवेश, पत्नी और बेटे को मंत्री रहते खरबों रुपयों का फायदा पहुंचाना, उनके विदेशों में अवैध निवेश आदि आदि में अब तक जांच और कार्यवाही क्यों नहीं?
  7. अपने कार्यकाल में उजागर घोटालों पर कार्यवाही की जगह टालमटोल का रवैया क्यों?
  8. नक्सली आंदोलन को कुचलने और आतंकी गुटों से निबटने में ढिलाई क्यों?

इसके अलावा भी सैंकड़ों आरोप हैं, जिनकी गहन जांच और कार्यवाही जरुरी है। क्या प्रधानमंत्री जी ध्यान देंगे?

रविशंकर प्रसाद का आरोप- चिदंबरम ने कई कंपनियों के लिए खोले लाभ के दरवाजे

पीएनबी धोखाधड़ी मामले में कांग्रेस सहित विपक्ष के हमलों का सामना कर रही बीजेपी ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को फिर से निशाने पर लिया। बीजेपी ने कहा कि निहित स्वार्थ के दबाव में चिदंबरम ने कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए 80/20 गोल्ड स्कीम में नीतिगत बदलाव किया।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, इस मामले में जो तथ्य हमारे सामने हैं, उससे स्पष्ट होता है कि 2014 के लोकसभा चुनाव परिणाम आने से एक दिन पहले 15 मई को सुपरसोनिक गति से चिदंबरम ने दस्तखत किये और 9 डेस्क से होते हुए यह आगे बढ़ा और आरबीआई ने भी इस पर हामी भर दी।

प्रसाद ने कहा कि उनका स्पष्ट रूप से कहना है कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल में पसंदीदा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिये यह नीतिगत बदलाव किया गया। उल्लेखनीय है कि इस मामले में गीतांजलि ज्वैलर्स सवालों के घेरे में है। प्रसाद ने कहा, 15 मई 2014 को पी चिदंबरम ने नई नीति की घोषणा की जिसमें स्टार ट्रेड ऑपरेटर्स को प्रीमियम ट्रेडिंग हाउस से जोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि एक परिपत्र के माध्यम से मई 2014 में एक इतना बड़ा दरवाजा खोल दिया गया।

किसके दबाव में चिदंबरम ने किया ये फैसला

बीजेपी नेता ने कहा कि इन ट्रेडिंग हाउसेज को भारत के किसी भी बंदरगाह से 2,000 किलोग्राम तक सोना आयात करने की मंजूरी मिल गई और इस दौरान न तो कोई नियंत्रण था और न ही कोई सत्यापन किया गया और यह एक रैकेट की तरह काम कर रहा था।

प्रसाद ने कहा कि अगस्त 2013 से दो साल पहले तक जिन्होंने हिन्दुस्तान के किसी पोत से अधिकतम सोना आयात किया है, उनके लिये खिड़की खोल दी गई। यह गंभीर अनियमितता का मामला है जो कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिये की गई।

केंद्रीय विधि मंत्री ने सवाल किया, मैं सवाल पूछना चाहता हूं कि चिंदबरम जैसे सुलझे हुए व्यक्ति, अनुभवी नेता, गृह और वित्त मंत्रालय को संभालने का अनुभव रखने और संविधान के ज्ञाता व्यक्ति ने किस दबाव में यह फैसला किया। क्या इसकी कोई कीमत थी, या कोई दबाव था? देश इस सवाल का जवाब जानना चाहता है। उन्होंने कहा कि चिदंबरम देश के मंत्री रहे हैं और देश में राजनीति में मर्यादा और लोक-लाज होता है, ऐसे में चुनाव परिणाम से एक दिन पहले ऐसा नीतिगत फैसला कैसे लिया गया।

आरबीआई पर किसका था दबाव

 

उन्होंने कहा कि वह आरबीआई के तब के प्रशासन से भी पूछना चाहते हैं कि उन पर किसका दबाव था। उन्होंने कहा कि आदर्श चुनाव आचार संहिता भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पर भी लागू होती है और 80/20 गोल्ड स्कीम नीतिगत बदलाव का मामला था। क्या आरबीआई इंतजार नहीं कर सकती थी?

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान पी चिदंबरम ने अपनी पसंदीदा कंपनियों के लिए दरवाजे खोले। और यही वजह रही कि जिन कंपनियों को 80/20 योजना में शामिल होने की अनुमति नहीं थी उन्हें भी इसमें भाग लेने की मंजूरी मिल गई। इस बारे में कई दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए प्रसाद ने कहा कि इस बारे में अपने बयान के लिये क्या कांग्रेस नेता आनंद शर्मा माफी मांगेगे?

उल्लेखनीय है कि तत्कालीन संप्रग सरकार के आखिरी दिनों में 80:20 स्कीम के तहत निजी कंपनियों को सोना आयात की अनुमति देने को लेकर बीजेपी के निशाने पर चल रहे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का बचाव करते हुए कांग्रेस ने चिदंबरम के खिलाफ बीजेपी के आरोपों को झूठा और बेबुनियाद करार दिया है।

कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा था कि हजारों करोड़ के पीएनबी घोटाले से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए सरकार और बीजेपी चिदंबरम पर झूठे आरोप लगा रही है। आनंद शर्मा के अनुसार, चिदंबरम के खिलाफ कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के आरोप तथ्यों से परे हैं। बेबुनियाद आरोप लगाकर प्रसाद पीएनबी घोटाले को लेकर सरकार की जवाबदेही से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।

कार्ति के साथ पी चिदंबरम को भी घेरने में जुटी भाजपा, गोल्ड स्कीम को लेकर साधा निशाना

पीएनबी घोटाले और राफेल डील को लेकर जहां कांग्रेस केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को निशाना बना रही है, वहीं भाजपा ने भी कांग्रेस को घेरने की तैयारी कर ली है। इसी कड़ी में भाजपा ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व यूपीए सरकार के वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को आड़े हाथ लिया है।

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केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चिदंबरम पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि चिदंबरम ने निहित स्वार्थ के चलते कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए 80 / 20 गोल्ड स्कीम में नीतिगत परिवर्तन किए थे। इसके लिए रविशंकर ने कुछ दस्तावेज और तथ्य भी पेश किए।

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रविशंकर ने कहा, इस केस में जो प्रमाण सामने हैं, उससे साफ जाहिर होता है कि 2014 के लोकसभा चुनाव रिजल्ट से ठीक एक दिन पहले 15 मई को सुपरसोनिक रफ्तार से चिदंबरम ने दस्तखत किए और 9 डेस्क से होते हुए यह आगे बढ़ा और आरबीआई ने भी इस पर मुहर लगा दी।

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उन्होंने कहा कि इससे साफ होता है कि पूर्व वित्त मंत्री के कार्यकाल में पसंदीदा कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए नीतिगत बदलाव किए गए। इस मामले में गीतांजलि ज्वैलर्स भी सवालों के घेरे में हैं।

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प्रसाद ने आगे कहा कि 15 मई 2014 को चिदंबरम ने नई नीति का ऐलान किया, जिसमें स्टार ट्रेड ऑपरेटर्स को प्रीमियम ट्रेडिंग हाउस से जोड़ा गया। उन्होंने कहा कि एक परिपत्र के जरिए मई 2014 में एक इतना बड़ा दरवाजा खोल दिया गया।

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भाजपा नेता ने कहा कि इन ट्रेडिंग हाउसेज को भारत के किसी भी बंदरगाह से 2,000 किलोग्राम तक गोल्ड इम्पोर्ट करने की मंजूरी मिल थी। इस दौरान न तो कोई रेगूलेशन था और न ही कोई सत्यापन किया गया और यह एक रैकेट की तरह वर्क कर रहा था।

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प्रसाद ने कहा कि अगस्त 2013 से 2 साल पहले तक जिन्होंने भारत के किसी पोत से ज्यादातर गोल्ड इम्पोर्ट किया है, उनके लिए खिड़की खोल दी गई। यह पूरी तरह से गंभीर अनियमितता का केस है, जो कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया।

केंद्रीय कानून मंत्री ने सवाल किया, मैं पूछना चाहता हूं कि चिदंबरम जैसे अनुभवि नेता, गृह और वित्त मंत्रालय को संभालने का अनुभव रखने वाले ज्ञाता व्यक्ति ने किस दबाव में यह फैसला किया। क्या इसकी कोई कीमत लगाई गई थी, या कोई दबाव था? देश इस सवाल का उत्तर जानना चाहता है।

 

कीर्ति को मिली बेल

आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्ति को देश से बाहर यात्रा ना करने की हिदायत दी है कोर्ट ने उन्हें आदेश दिया है कि वह गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश न करें। कार्ति अपने बैंक खातों को बंद भी नहीं कर सकते हैं। 16 मार्च को कार्ति चिदंबरम की जमानत याचिका पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायाधीश एस.पी गर्ग ने अभियोजन पक्ष के साथ-साथ बचाव पक्ष के वकील की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

कार्ति चिदंबरम के वकील ने अदालत के समक्ष दलील दी थी कि उनके मुवक्किल ने जांच के दौरान पूरा सहयोग किया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने यह कहते हुए कार्ति को जमानत देने का विरोध किया था कि उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया और मामले के गवाहों को प्रभावित किया। हालांकि, एजेंसी ने गवाहों के नाम नहीं बताए। सीबीआई ने कहा था कि कार्ति को जमानत दी गई तो वह साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। आपको बता दें कि सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम को 28 फरवरी को ब्रिटेन से लौटते ही चेन्नई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था।

कार्ति चिदंबरम ने उनके पिता पी. चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते हुए पीटर व इंद्राणी मुखर्जी के स्वामित्व वाली आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपये की विदेशी निवेश की मंजूरी दिलवाई। पीटर व इंद्राणी अभी हत्या के मामले में जेल में हैं। सीबीआई ने इस संबंध में इंद्राणी मुखर्जी का बयान रिकार्ड किया है जिसमें मुखर्जी ने एफआईपीबी मंजूरी के लिए कार्ति द्वारा घूस स्वीकारने का आरोप लगाया है।

आईएनएक्स मीडिया केस : कार्ति की जमानत पर सुनवाई से जज ने खुद को किया अलग

पीठ ने कहा,उच्च न्यायालयों में इसे लेकर कुछ भ्रम है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे को (निदेशालय के गिरफ्तार करने के अधिकार) वृहद पीठ को सौंप दिया है लेकिन यह दूसरी अदालतों के लिये बाध्यकारी नहीं होगा। न्यायालय ने यह टिप्पणी उस समय की जब केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस मुद्दे पर दिल्ली और बंबई सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों के आदेशों का हवाला दिया। शीर्ष अदालत को जब यह सूचित किया गया कि उच्च न्यायालय ने धन शोधन के मामले में गिरफ्तारी से कार्ति चिदम्बरम को प्राप्त संरक्षण की अवधि 22 मार्च तक बढ़ा दी है तो पीठ ने कहा कि वह वहां लंबित सारे मामले अपने पास मंगा रही है और इन पर 26 मार्च को बहस सुनेगी।

 

आईएनएक्स मीडिया केस : 24 मार्च तक तिहाड़ में कार्ति, नहीं मिलेगा अलग कमरा

 

पीठ ने उच्च न्यायालय में लंबित मामले अपने यहां मंगाने का निर्देश देते हुए कहा कि कार्ति को दिया गया अंतरिम संरक्षण 26 मार्च तक प्रभावी रहेगा। सीबीआई द्वारा आईएनएक्स मीडिया प्रकरण के सिलसिले में दर्ज मामले में कार्ति चिदम्बरम इस समय जेल में है। कार्ति ने उच्च न्यायालय में दायर याचिका में धन शोधन रोकथाम कानून की धारा-19 के तहत गिरफ्तार करने के प्रवर्तन निदेशालय के अधिकार को निरस्त करने का अनुरोध किया है। इसके अलावा उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज रिपोर्ट और इसके आधार पर की जा रही जांच भी निरस्त करने का अनुरोध किया है।

 

अनुज अग्रवाल

 

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