माननीय मुख्यमंत्री जी
राजस्थान सरकार
जयपुर
महोदय,
अर्द्ध न्यायिक निकायों में न्यायिक विलम्ब पर नियंत्रण
देश में जनता को सस्ता और शीघ्र न्याय प्रदान करने के लिये विभिन्न ट्रिबुनल का गठन किया गया है किंतु इस उद्देश्य की प्राप्ति में वे भी समान रूप से विफल हैं । न्याय में विलम्ब को रोकने के लिये सिविल प्रक्रिया सन्हिता के आदेश 17 में भी प्रवधान है कि किसी भी पक्षकार को सम्पूर्ण सुनवाई में 3 से अधिक अवसर नहीं दिये जायेंगे।किंतु इसका खुल्ला और निर्बाध उल्लंघन हो रहा है । यदि इस प्रावधान की भावनात्मक अनुपालना की जाये तो शायद ही किसी प्रकरण के निस्तारण में 2 वर्ष से अधिक समय लग सकेगा। राजस्व मंडल राजस्थान,अजमेर की दिनांक 15.3.19 की सुनवाई की एक सूची देखें तो ज्ञात होता है कि इसमें 1 वर्ष पुराना मात्र 1, 3 वर्ष पुराने 4, 5 वर्ष पुराने 1, 10 वर्ष पुराना 1 और 10 वर्ष से अधिक पुराने 53 मामले सुनवाई हेतु सूचीबद्ध थे। यह चिंताजनक स्थिति है और इसमें तुरंत सुधार की आवश्यकता है।योजनाबद्ध सुनवाई से यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि कोई भी मामला निस्तारण में 2 वर्ष से अधिक समय नहीं ले। स्मरण रहे विलम्ब भी भ्रष्टाचार की जननी है।
पीठासीन अधिकारी को यह बहाना नहीं बनाना चाहिये कि वकील सहयोग नहीं करते क्योंकि न्याय- प्रशासन न्यायाधीश का कर्त्तव्य है न कि वकीलों का। अतेव अब यह सुनिश्चित किया जाये कि भविष्यमें किसी भी मामले में सिविल प्रक्रिया सन्हिता के आदेश 17 के अनुसार ही स्थगन दिया जायेगा , अन्यथा नहीं ।
मुझे विश्वास है कि आप इस सुझाव को उपयोगी पायेंगे और लागू करने के लिये अपना सक्रिय ध्यान देंगे । इस प्रसंग में आप द्वारा की गयी कार्यवाही से मुझे अवगत करवायें तो बडी प्रसन्नता होगी।
जय भारत …..
भवनिष्ठ दिनांक 17 .03.19
मनीराम शर्मा