क्या वाकई में आम आदमी पार्टी में विश्वास का संकट है या फिर यह उत्तर प्रदेश में हुए राजनीतिक नाटक का दोहराव है? राजनीति में कब क्या हो जाए, कब किसके संबंध किसके साथ बन जाएं और बिगड़ जाएं, कोई नहीं जानता? आन्दोलन से उपजी इस पार्टी ने अपना सुनहरा दौर बहुत देखा है और इस पार्टी को जनता ने भी हाथों हाथ लिया था. मगर एमसीडी चुनावों के बाद पार्टी में फूट दिख रही है. ये तो समय ही बताएगा कि विश्वास का विश्वास कितना असली और नकली है, मगर यदि यह फिर से छवि चमकाने या नाकामी से ध्यान भटकाने की कोशिश है या फिर विवादों के माध्यम से ही चर्चा में रहने का प्रयास है, तो यह राजनीति के लिए शुभ संकेत नहीं है.