कम्पनियों के मकड़जाल में भारत सही दुनिया के तमाम देश व इस लोकतंत्र की चक्रव्यूह में विश्व के सभी लोकतांत्रिक देश पिस रहे हैं पर उनके बनाए हुए इस चक्रव्यूह को भेदने करने का किसी के पास ताकत नहीं रह गई है विश्व भर में इनके बनाए हुए सारे सिस्टम पूरी दुनिया को रेगुलेट करने का एक साधन बन करके रह गया है कंपनियों के भरोसे मीडिया जो जनमानस को रेगुलेशंस करती है और मीडिया पर भरोसा करने के लिए ये education system उनको तैयार करता है मानसिक गुलामी के लिएभारत की कोई कंपनी विश्व की किसी बड़ी कंपनी को खरीदती है तो ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है।
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आपको क्या लगता है ? गर्व करना चाहिए या नहीं ?
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अब आपको याद होगा कि टाटा स्टील ने यूरोप की सब से बड़ी स्टील कंपनी कोरस खरीदी थी 14 बिलियन डॉलर में (14.2 अरब डॉलर)।
तब ये सौदा विश्व के दस सबसे “अच्छे सौदों” में से एक था टाइम्स मैगजीन , फ़ोर्ब्स , मूडी , आदि आदि , और मैं “गर्व से ….” “वाह दद्दा वाह”।
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2008 की बात है। कंपनी घाटे में गयी तो फ्री में Thyssenkrupp को दे दी। सब खर्चे मिला कर एक लाख करोड़ से ऊपर हो गया था सब डूब गए। 54 हजार करोड़ बैंक का भी।
अब ये विश्व के दस सबसे “बेकार सौदों” में से एक है , टाइम्स मैगजीन , फ़ोर्ब्स , मूडी , आदि आदि , और मैं “दुख से 36” “ओह दद्दा ओह”।
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कोई पूछने वाला नहीं, कोई हिसाब मांगने वाला नहीं।
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ऐसे बहुत से सोदे हुए हैं जिस में करोड़ों/अरबों रुपया बाहर गया है।
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ये लोग जब बाहर कंपनी खरीदते है तो भारत के बैंक से लोन लेते हैं , जब कोई बाहर वाला आता है तो वो भारत के बैंक से लोन लेता है। मतलब दोनों हालातो में भारत को ही उल्लू बनाओ।
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कल संसद में मोदी जी ने बताया की बैंकों ने 60 साल में 18 लाख करोड़ के कर्ज दिए 2008 तक, कांग्रेस के 6 साल में यह 52 लाख करोड़ रुपए हो गए।
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बैंकों का NPA “31 मार्च 2014” को 2.50 लाख करोड़ था वो ही “31 मार्च 2018” को 10.25 लाख करोड़ हो गया।
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एक केस टाटा का ऊपर लिखा ही है एक लाख करोड़ से ऊपर का है तो ऐसे लोन बाटे जाते हैं विदेशो यूरोप अमेरिका के खर्चे पुरे करने के लिए। ये कांग्रेस के राज में भी था ये बीजेपी के राज में भी है। बैंक का पैसा किस का है ये मेरे को नहीं पता लेकिन टैक्स के रूप में जो पैसा मैं दे रहा हूँ उसके बदले में विषाक्त भोजन , घटिया सामान , घटिया सड़कें , हॉस्पिटल , स्कूल मिल रहा है।
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अभी कुछ दिन पहले एक पोस्ट लिखी थी बीज माफिया कंपनी पर की कैसे दुनिया की 8-10 माफिया कम्पनी ने कृषि पर अपना अधिकार कर लिया और हम को GM बीज दे रहे हैं और खेतो में पेस्टीसाइड के नाम पर जहर दे रहे हैं। कंपनी अमीर होती जा रही है किसान मरते जा रहे हैं लास्ट खेती बरबाद और गेहू चावल दाल मसाले विदेशों से आयात करो वो भी सब से घटिया वाला।.
तब कुछ कंपनी के नाम भी लिखे थे Dupont , Monsanto , Bayer , Lemken इन के साथ एक कंपनी और लिखी थी :-
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“Advanta Seeds ये दुबई की कंपनी है ये तो हद्द हो गयी दुबई वाले बीज खाद दवाई दे रहे हैं दुनिया को !!! वैसे ये भारत की ही कंपनी है । दुबई से काम करती है।“
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ये कंपनी भारत की है दुबई से बिजनस करती है टैक्स वगैरह या किसी तरह के कोर्ट केस से बचने के लिए बैठी होगी दुबई। भारत में इस की मदर कंपनी है “UPL” लिमिटेड।
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अब ये अमेरिका के “एरिस्टा लाइफसाइंस इंक” और उसकी सहायक इकाइयों के खरीदने वाली है।
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वैसे मेरे को लगता है ये “UPL” “एरिस्टा” की ही कंपनी है अब ये नाटक कर रहे हैं। खैर मेरा वहम है ये।
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ये “अमेरिकी एरिस्टा” “भारत की UPL” के मुकाबले बहुत बड़ी कंपनी है। और जिस धंदे में ये हैं वो घाटे का धंधा नहीं होता। एरिस्टा को मार्च 2018 को 42.4 करोड़ डॉलर का शुद्ध मुनाफा हुआ था।
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अब UPL इसको 4.2 अरब डॉलर के नकद सौदे में खरीद रही है। नकद सौदा क्या होता है मेरे को नहीं मालूम।
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4.2 अरब डॉलर मतलब 4.2 बिलियन डॉलर , मतलब 28 हज़ार 900 करोड़ ! अब इतना पैसा तो केवल बैंक के पास होगा। विदेशी बैंक आपको पैसा क्यूँ देगी कुछ तो गारंटी रखनी पड़ेगी नीरव मोदी जैसे। जापान का मित्सुबिशी बैंक बड़ा इंटरेस्ट ले रहा है लोन देने के लिए। वैसे ये अमेरिका की “एरिस्टा लाइफसाइंस इंक” जापान की कंपनी है जो न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर है UPL आबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथारिटी के साथ मिल कर सौदा कर रहा है।
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अब UPL विश्व की पांचवीं सब से बड़ी केमिकल कंपनी हो जाएगी। अब ये सब से बड़ा सफल विदेशी अधिग्रहण होगा। कुछ दिन में आएगा ये विश्व के दस सबसे “अच्छे सौदों” में से एक है टाइम्स मैगजीन , फ़ोर्ब्स , मूडी , आदि आदि। और मैं “गर्व से ,,” “वाह दद्दा वाह”।
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इस से आगे आप समझ लो लोन कहाँ से आएगा ?
पैसा भी हमारा , जमीन भी हमारी , किसान भी हमारे , और खाने को मिलता है जहरीला भोजन , मिलता है कैंसर जैसी हजारो बीमारियाँ , किसान आत्महत्या करता है जमीन बंजर होती है। 5 अरब डॉलर का कारोबार मुनाफा 100 करोड़ डालर ???????????
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2024 में कोंग्रेस का PM बोलेगा की 2014 तक 52 लाख करोड़ के कर्ज दिए गए थे और 2014 से 24 तक 150 लाख करोड़ के कर्ज दे दिए गए।
बैंकों का NPA “31 मार्च 2014” को 2.50 लाख करोड़ था वो ही “31 मार्च 2018” को 10.25 लाख करोड़ हो गया। “31 मार्च 2024” को 50 लाख करोड़ हो जायेगा।