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कृष्णानंद रॉय हत्याकांड : ये कैसा न्याय?

बहुचर्चित कृष्णानंद राय हत्याकांड में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी समेत 5 आरोपियों को दिल्ली की एक अदालत द्वारा बरी किया जाना उत्तर प्रदेश पूर्वांचल में व्यापक चर्चा का विषय है। हालांकि इसके बारे में कुछ लोग सोशल मीडिया पर गलत जानकारी देकर भ्रम पैदा कर रहे हैं। उनका गुस्सा सही है, लेकिन प्रतिक्रियाओ से साफ लग रहा है कि इनमें से किसी ने मुकदमे पर नजर नहीं रखी और न ही कोई सीबीआई के वकील से कभी मिला।
हालांकि आम लोगों को पता था कि कृष्णानंद राय की हत्या में अंसारी का हाथ था। गाजीपुर की मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट से तत्कालीन भाजपा विधायक राय को 29 नवंबर 2005 को उस समय गोलियों से भून दिया गया था, जब वह सियारी नाम के गांव में एक क्रिकेट टूर्नमेंट का उद्घाटन करके लौट रहे थे। उनके समेत गाड़ी में सवा 7 लोगों की मौत हुई थी। हत्या का आरोप मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी पर लगा था। मुन्ना बजरंगी की कुछ साल पहले जेल में हत्या हो गई थी। न्यायालय ने अंसारी के साथ मृत मुन्ना बजरंगी को भी बरी कर दिया। न्यायालय का कहना है कि इनके खिलाफ सीबीआई आरोप प्रमाणित करने योग्य साक्ष्य पेश नहीं कर पाई।
क्यों हुआ ऐसा? इस फैसले के साथ कृष्णानंद राय के परिजनों की तरफ से पैरवी करने वाले वकील तथा रिश्तेदार रामआधार राय का बयान भी मीडिया में चल रहा है। वे कह रहे हैं कि दो गवाहों की हत्या के साथ कई गवाहों के मुकर जाने का मुख्तार और अफजाल अंसारी को फायदा मिला। रामाधार राय कह रहे हैं कि इस मामले में जो अहम गवाह थे, उन्होंने अपनी गवाही पूरी नहीं की और वह अपनी गवाही से भाग गए। इसलिए मुकदमे में मुख्तार अंसारी समेत सभी आरोपी बरी हो गए। उनके अनुसार गाजीपुर की जमानिया तहसील के संजीव राय और मुन्ना राय अहमदाबाद में थे, जिन्होंने अपनी गवाही नहीं दी। इसके साथ ही उस दिन हत्याकांड में शशिकांत राय नाम के एक घायल, जो कि उस गाड़ी में ही थे औरं जिंदा बच गए थे। वह एक महत्वपूर्ण गवाह थे लेकिन उनकी हत्या हो गई। दूसरे, जहां घटनाक्रम हुआ था, वहां खेत में मनोज गौड़ नाम का व्यक्ति काम कर रहा था। वह गवाह था। उसकी भी हत्या हो गई।
तीसरे,  मुख्तार अंसारी की फैजाबाद के जेल में माफिया डॉन रहे अभय सिंह से भी बातचीत का एक ऑडियो क्लिप वॉइस टेस्टिंग की अर्जी वादी मुकदमा की तरफ से डाली गई थी, लेकिन न्यायालय ने इसेे खारिज कर दिया। इसके बाद साक्ष्यों के आधार पर यह मुकदमा कमजोर हो गया था।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिनदहाड़े बीच सड़कर पर जिसकी गाड़ी को घेरकर गोलियों से भून दिया गया उसकी हत्या का कोई अपराधी निकला ही नही। किंतु पूर्वांचल का यही इतिहास है। गैंगवार में लोग बलि चढ़ते रहे लेकिन किसी को आजतक सजा नहीं मिली।
ममले के लिए किसी को दोषी ठहराने या गाली देने वाले लोग इस प्रश्न पर विचार करंे कि आखिर इतनी हत्यायें हुईं और किसी को सजा नहीं मिली। जो सोशल मीडिया पर विषवमन कर रहे हैं वे चाहे सब साथ मिलकर मामले को उच्च न्यायालय ले जा सकते हैं।
अवधेश कुमार

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