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कोरोना: असली संकट बीमारी जाने के बाद

जो सरकारें, मीडिया, बुद्धिजीवी, अनुसंधानकर्ता,ज्योतिषी, डॉक्टर व अन्य कोई भी यह दावा करे कि कोरोना वायरस का संकट बस ख़त्म होने जा रहा है वह सबसे बड़ा झूठा है। सच तो यह है की इस बीमारी का न कोई निश्चित लक्षण है, न दवा और न ही वैक्सीन। जो वायरस हज़ारों म्यूटेशन कर चुका हो उसकी कोई एक वैक्सीन हो ही नहीं सकती।
१) जो लोग यह सोच रहे हैं कि अगले कुछ महीनो में कोरोना वायरस अपने आप चला जाएगा, वे बड़ी ग़लतफ़हमी में हैं। क्या दुनिया से स्वाइन फ़्लू, टीवी, एड्स, डेंगू, चिकनगुनिया, सोर्स आदि बीमारी चली गयी? चेचक , पोलियो जेसी वर्षों बरस में गयी बीमारियाँ भी आज तक वैक्सीन के रूप में हमारा खून चूस रही हैं और हमारी या हमारी सरकार से मोटा माल वसूल ही लेती हैं। बहुराष्ट्रीय फ़ार्मा कम्पनियों ने अभी तो इस बीमारी का खेल खड़ा किया है व मोटा निवेश किया है । दुनिया सरि बीमारियों को छोड़ बस एक ही बीमारी का इलाज कर रही है और दवा व वैक्सीन विकसित करने में लगी हैं। अगले कुछ वर्ष इस निवेश को भुनाने का समय है और वो भी बड़ी क़ीमत पर।

२) वायरस व बेक्टीरिया फैला कर बीमारी पैदा करना व इससे बड़ा बाज़ार खड़ा कर अरबों खरबो डॉलर कमाना पश्चिमी देशी की कम्पनियों का पुराना खेल रहा है। फ़र्क़ बस इतना है कि पहले इसके अमेरिका व पश्चिमी यूरोप के देश साझेदार होते थे और अब चीन भी साझेदार है। पिछले दो दशकों में उसने इन फ़ार्मा कम्पनियों में शेयर बाज़ार के माध्यम से अपनी हिस्सेदारी भी ले ली है ।

३) बेशक चीन ने कोरोना वायरस का इस्तेमाल व्यापार के अघोषित नियमो के विरुद्ध दुनिया में अपने प्रभुत्व को स्थापित करने के लिए ज़ेविक हथियार के रूप में कर लिया किंतु इसके बाद भी इससे उभरी बीमारी का बाज़ार ख़त्म नहीं होता वरण वाह कई गुना बढ़ गया है। एक बार ज़ेविक हथियार का इस्तेमाल हो जाने के बाद कोई गारंटी नहीं कि चीन या अन्य देश इस हथियार का इस्तेमाल आगे फिर नही करेंगे। यानि कोरोना या इस जैसे अन्य ख़तरनाक वायरस आगे भी लोगों को लीलने व दुनिया में अपने वर्चस्व को स्थापित करने के लिए शक्तिशाली राष्ट्र बार बार इस्तेमाल कर सकते हैं।

४) पीपीई किट, सेनेटाईज़र, मास्क, वेंटिलेटर, ओक्सीजन सिलेंडर व कई गुना अस्पताल ,दवाइयाँ व मेडिकल उपकरण, ज़्यादा मेडिकल कॉलेज व पेरा मेडिकल स्टाफ़ के साथ ही इस बीमारी व ज़ेविक युद्ध ने दुनिया के सामने जो चुनोती पेश की है उसमें आइटी सेक्टर, इंटरनेट सेवाओं, आर्टिफ़िशल इंटेलीजेंस के साथ ही सैंन्य व युद्धक सामग्री का कई गुना बड़ा बाज़ार खड़ा कर दिया है। सीधे शब्दों में कह सकते है कि इस खेल के पीछे दुनिया भर की स्वास्थ्य सेवाओं, आइटी व हथियार बनाने से जुड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का हाथ है। इसके साथ ही अनेक देशों की सरकारें व इन तीनो क्षेत्रों से जुड़े लोग भी इस खेल में सहभागी हैं।

५) अंतिम व सबसे महत्वपूर्ण, कोरोना वायरस व कोविद -१९ का खेल जिस तरह से फैला उससे जितनी मौतें इस बीमारी से हो रही हैं उससे कई गुना ज़्यादा इस बीमारी के भय से हो रही हैं। हर मरने वाला लाखों रुपए का बिल बैठा रहा है। अपना या फिर सरकार का और सरकार भी जो खर्च कर रही है या करेगी वो भी आप ही से वसूले टैक्स से करेगी। बड़ी बात इस बीमारी से ठीक हो जाने वाली की है जो वास्तव में कभी शायद ही ठीक हों। विश स्वास्थ्य संगठन व अनेक मेडिकल अनुसंधान बता रहे हैं कि कोविद से ठीक होने वाले मरीज़ वर्षों तक अनेको अन्य बीमारियों से घिरे रहेंगे, कभी साँस की तो कभी मांसपेशियों में दर्द की तो कभी लंग्स की तो कभी कोई और। यह मुश्किल ही होगा कि वे सामान्य जीवन जी पाए और जब तक वे जीएँगे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा मेडिकल माफिया को भेंट चढ़ाते रहेंगे। जैसा कि डेंगू, चिकनगुनिया, स्वाइन फ़्लू, सार्स या अन्य फ़्लूजनित बीमारियों के मरीज़ ठीक होने के बाद भी अन्य परेशानियों के कारण करते रहते हैं। इस संबंध में एक महत्वपूर्ण रिसर्च का लिंक नीचे दिया गया है:

The Long-Term Health Impacts of Being Infected With the Coronavirus
https://elemental.medium.com/amp/p/d3a03f3cb6e8

सबक़ यही है कि हमेशा याद रखिए कि राजनीति समस्याओं को सुलझाने में रुचि नहीं रखती बल्कि उलझाने में रखती है और जिस समस्या से जीडीपी भी बढ़े , जनता भी डरी सहमी रहे और बोझ बनती जनसंख्या भी निबटती जाए , तो वो सोने पे सुहागा। लालच के बाज़ार के ग्राहक बनना तो आसान मगर बाज़ार कब किसे डस ले , किसे मालूम।

अनुज अग्रवाल
संपादक, डायलॉग इंडिया
www.dialogueindia.in

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