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कोरोना संकट और जिंदगी की जंग से घिरा मेरा परिवार

मानव जीवन व सभ्यता के लिए अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी के रूप में कोरोना ने हर मनुष्य के जीवन को हिलाकर रख दिया है। पिछले कुछ दिनों में इसके दुष्परिणाम मैंने स्वयं भोगे हैं व बहुत करीब से बड़े दर्दनाक अनुभवों से गुजरा हूं। आज जब उस दुष्चक्र से निकला हूं तो लगा आप सभी मित्रों से भी अपने अनुभव साझा कर लूं ताकि आप भी समय रहते जरूरी सावधानी बरत लें। मेरे साथ मेरे परिवार में पत्नी, दो बच्चों के साथ मेरे माता-पिता व ससुर जी भी रहते हैं। तीनों बुजुर्ग ही 80 वर्ष से ऊपर के।
मेरे पिताजी कुछ दिनों से गैस, सीने में दर्द व बेचैनी से परेशान थे। डॉक्टर की सलाह पर गैस से संबंधित दवाएं भी ले रहे थे। किंतु कोई राहत नहीं। पिछले सप्ताह दर्द कुछ अधिक ही बढ़ गया तो लगा चूंकि वे ह्रदय रोगी भी हैं, तो लगा ह्रदय चिकित्सक को भी दिखा लें। मैं अपने बड़े भाई के साथ उनको उनके पुराने विशेषज्ञ के पास नोएडा के एक बड़े अस्पताल ले गया। महामारी व लॉकडाउन के बीच यह सब सरल न था व डॉक्टर ने भी ऐसे माहौल में अस्पताल आना सही नहीं ठहराया। फिर भी जांच हुई और ह्रदय में कुछ भी गलत नहीं पाया। हम घर लौटे किंतु रात से ही उनकी तबीयत बिगडऩे लगी और अगले दो दिन में रह रह कर दर्द परेशान करने लगा। कुछ मित्र डॉक्टरों से फोन पर सलाह ली, उनको लगा मस्कुलर पेन है, उसी अनुरूप दवा ली मगर राहत नहीं। इसी बीच मेरे सहायक व ससुर जी के केयर टेकर को अपने घर से मेरे घर आते समय पुलिस पकड़ कर ले गयी। लॉकडाउन के उल्लंघन के आरोप में और तीन दिन की मशक्कत के बाद कुछ मित्रों की सहायता से उसको छुड़वाया और जब वो छुटा तो उसका इलाका कोरोना मरीज मिलने के कारण सील हो गया। यही कुछ बड़े भाई की सोसायटी में कोरोना मरीज मिलने के कारण हो गया और मैं बिल्कुल अकेला पड़ गया। पिताजी को बड़े बेटे की सहायता से पुन: अस्पताल ले गया। प्रारंभिक जांच व टेस्ट के बाद डॉक्टर ने कहा कि पिताजी को निमोनिया है तो मै घबरा गया, क्योंकि कोरोना संक्रमण से होने वाली बीमारी कोविड -19 भी तो निमोनिया जैसी होती है। बस उसका और बिगड़ा व घातक रूप। डॉक्टर ने सलाह दी कि पिताजी का कोरोना टेस्ट करवाओ तुरंत, हमारे अस्पताल में नहीं होता प्राइवेट लैब से करवा लो। देश बंद, कोई साथ नहीं, किसी को बुला नहीं सकते व बता भी नहीं सकते और इसके बीच यह डर कि अगर पिताजी कोरोना पॉजिटिव निकल गए तो क्या होगा? उनको ह्रदय, शुगर आदि रोग तो हैं ही। साथ ही हम बाकी 6 लोग जो उनके साथ घर मे ही रहते हैं उनसे संक्रमित तो नहीं हो गए होंगे। क्या होगा अगर ऐसा हुआ तो? क्या हम सबको भी टेस्ट करवाना होगा और क्वैरेंटाइन होना पड़ेगा। कैसे हो पाएगा यह सब? पिताजी को निमोनिया के इलाज की दवाइयां दिलाकर वापस घर लेकर आ गया व अलग कमरे में रखकर सबको उनसे दूर कर दिया। पूरा घर सेनेटाइज किया। मां की जो मन:स्थिति थी वह भी मैं समझ रहा था। किंतु मां बिना किसी भय के उनकी सेवा में लगी रहीं। कोरोना टेस्ट के लिए निजी लेब को फोन किया तो उन्होंने कई औपचारिकता बताई जो अगले 4 घंटे में पूरी की किंतु उनकी टीम तब भी नहीं आई सैम्पल लेने। अगले दिन सुबह 11 बजे तक हमने कई बार फोन किए मगर कोई न कोई बहाना बनाकर टीम नहीं भेजी गई। अंतत: मैंने उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की धमकी दी व स्वयं को मीडिया से जुड़ा बताते हुए सोशल मीडिया पर उनको बदनाम करने की धमकी दी तब जाकर अनेक औपचारिकताओं को दोहराने के बाद शाम को उनकी टीम आयी व सेंपल लिया। इसी बीच मैंने भारत सरकार के कोरोना हेल्पलाइन सेंटर पर बात की तो उन्होंने राज्य की हेल्पलाइन का नंबर दे दिया व राज्य ने जिले का मगर सहायता कुछ नहीं। हमारा पूरा परिवार बहुत तनाव में था। चूंकि मैंने अपने सभी बहन भाइयों व कुछ ईष्ट मित्रों को भी सूचित किया था तो वे भी परेशान थे किंतु न तो आ सकते थे और न ही मैं बुलाकर उनको खतरे में डाल सकता था। अंतत: अगले दिन यानि 17 अप्रैल की शाम को रिपोर्ट आई व पिताजी को कोरोना नहीं निकला तो जान में जान आयी। 18 को पुन: डॉक्टर ने चेकअप किया तो पाया कि निमोनिया भी 80 प्रतिशत से अधिक ठीक हो गया, तब जाकर राहत मिली व कई दिनों के बाद सही से सो पाया। ऐसे में जब बिजनेस ठप्प हो व भविष्य की संभावनाएं धूमिल हो उस पर ऐसी चुनौती, आप लोग समझ सकते हो क्या गुजरी होगी हम सब पर। आप सब सावधान रहें व अपना ख्याल रखें।
अनुज अग्रवाल

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