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कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर पर छापा मारने पहुंची CBI अफसरों को पुलिस पकड़ के ले गई थाने

रोज वैली और सारदा चिटफंड स्कैम के सिलसिले में सीबीआई की टीम कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर पहुचीं. लेकिन सीबीआई को कमिश्नर के घर के अंदर नहीं जाना दिया गया । जानकारी के अनुसार सीएम ममता बनर्जी पुलिस कमिशनर के घर पहुंची है।

वहीं टीवी कैमरों में साफ नजर आ रहा है कि सीबीआई टीम के सामने कोलकता पुलिस गुस्से में नजर आई. इसे लेकर कोलकाता में हाईवोल्टेज ड्रामा शुरु हो चुका। इसी क्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता पुलिस कमिश्नर के घर पहुचीं. वहीं वह बैठक कर रही हैं।

जानकारी के अनुसार कोलकाता पुलिस सीबीआई अफसरों को गिरफ्तार कर के थाने ले गई है।

बता दें राजीव कुमार पश्चिम बंगाल काडर के 1989 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं। वह  सीबीआई की तरफ से जारी नोटिसों का जवाब नहीं दे रहे हैं. बता दें कि कुमार ने चिटफंट घोटालों की जांच करने वाली पश्चिम बंगाल पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का नेतृत्व किया था।

जानकारी के अनुसार अधिकारियों ने बताया कि बंगाली फिल्म निर्माता श्रीकांत मोहिता की गिरफ्तारी के बाद से ही कुमार को अपनी गिरफ्तारी का डर सता रहा है।  कुमार को 2016 में कोलकाता का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया था।

बता दें कि रोज वैली स्कैम 15,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का है और सारदा स्कैम करीब 2500 करोड़ रुपये का है। अधिकारियों के मुताबिक, दोनों ही मामलों में आरोपियों के कथित तौर पर सत्ताधारी टीएमसी से लिंक पाए गए हैं। इन दोनों ही चिटफंड घोटालों की जांच सीबीआई कर रही है।

अधिकारियों ने बताया कि इन चिटफंड कंपनियों ने आकर्षक ब्याज का लालच देकर निवेशकों को अपनी जाल में फंसाया। मैच्योरिटी के बाद जब जमाकर्ता अपना रिटर्न लेने पहुंचे तो कंपनियों ने पैसे देने से मना कर दिया। आखिरकार इन कंपनियों ने अपनी दुकानों और दफ्तरों को बंद कर दिया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में इन मामलों को जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया था।

कोलकता की घटना पर कुछ तथ्य,कुछ निष्कर्ष:-
1.सीबीआई केंद्र सरकार के निर्देश पर नहीं बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर शारदा चिटफंड घोटाले की जाँच कर रही है |

2.सीबीआई के बार-बार सम्मन दिए जाने के बावजूद पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार उपस्थित नहीं हो रहे थे |सीबीआई उन्हें चार बार सम्मन दे चुकी थी |

3.सीबीआई पुलिस कमिश्नर से शारदा चिटफंड घोटाले पर केवल पूछताछ करने गई थी|

निष्कर्ष:-
1.आप किसी सरकारी अधिकारी को ड्यूटी करने से कैसे रोक सकते हैं?
2.एक मुख्यमंत्री भ्र्ष्टाचार में संलिप्त किसी अधिकारी को बचाने के लिए सारे पुलिस महकमे के साथ स्वयं कैसे पूरी ताक़त झोंक सकती हैं ?
3.ममता कोलकाता में जो कर रही हैं उस तर्क के आधार पर तो केंद्र सरकार को अपने सभी विरोधियों के दिल्ली आने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए |क्या यह सही होगा?
4.यह देश की एकता-अखंडता एवं संघीय ढाँचे के लिए बड़ी चुनौती होगी|उनकी देखा-देखी और भी राज्य-सरकारें अराजकता का रास्ता चुन सकती हैं |
5.कोई भ्रष्ट है या ईमानदार इसे न्याय-प्रक्रिया या वैधानिक तरीकों से तय किया जाएगा या किसी व्यक्ति विशेष के प्रमाण-पत्र के आधार पर |

6.मोदी-विरोध में क्या आप इतनी अंधी हो जाएँगीं कि सारी संस्थाओं को ध्वस्त कर देंगीं |यह देश संविधान से चलेगा या आपकी मर्ज़ी से |न खाता न बही,जो ममता कहें वह सही,यह तर्क गले उतरने वाला नहीं |

7.आपके तर्क के आधार पर तो हर आरोपी को यह अधिकार है कि वह जांचकर्ताओं को ही बंधक बना ले|यदि पुलिस कमिश्नर और चुनी हुई मुख्यमंत्री का यह व्यवहार सही है तो आम आदमी का ग़लत कैसे?

दृष्टांत:- जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे,तब केंद्र की सारी एजेंसियाँ उनके विरुद्ध जाँच-पड़ताल कर रही थीं,क्या उन्होंने एक बार भी जाँच में रोड़ा अटकाया या अपनी ताक़त का बेजा इस्तेमाल किया ?जिन 23 दलों के नेता लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर कोलकाता में जुटे थे,क्या वे बताएँगे  कि ये लोकतांत्रिक तरीका है ?आप ईमानदार हैं तो क्यों डर रही हैं?आपकी छटपटाहट बता रही है कि दाल में जरूर कुछ काला है |मोदी हटाइए,लेकिन लोकतंत्र और संघीय ढाँचे का गला तो मत घोंटिए |

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