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गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम) में 2,500 करोड़ से ज्यादा का घोटाला हो सकता है।

गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम) में 2,500 करोड़ से ज्यादा का घोटाला हो सकता है।

उस वक्त ‘मौलिक भारत ट्रस्ट’ वित्त मंत्रालय को इस बारे में पत्र भी लिखा था।

22 April

  नई दिल्ली : ‘केंद्र सरकार के ई पोर्टल GeM (गवर्नमेंट  ई-मार्केट) में क्या करोड़ों का घोटाला हुआ है’ यह बात भले ही पत्रकारों से कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कही लेकिन इंडिया टुडे की रिपोर्ट की माने तो बीजेपी के ही 7 सांसदों ने वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर बताया है कि सरकार के ई-पोर्टल के जरिये करोड़ों के घोटाले की आशंका है। इंडिया संवाद  ने 19 अक्टूबर 2016 को अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया था। इन सांसदों में केन्द्रीय मंत्री फगन सिंह कुलस्ते, अशोक नेटे, कौशल किशोर, आलोक संजर, हरीश द्विवेदी, राजेश द्विवेदी, अर्जुनलाल मीणा और अजय निषाद का नाम हैं।

इंडिया संवाद की रिपोर्ट में सामने आया कि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम) में 2,500 करोड़ से ज्यादा का घोटाला हो सकता है। उस वक्त ‘मौलिक भारत ट्रस्ट’ वित्त मंत्रालय को इस बारे में पत्र भी लिखा था। मौलिक भारत ट्रस्ट के महासचिव श्री अनुज कुमार अग्रवाल द्वारा 15 अक्टूबर 2016 को लिखित इस पत्र की एक प्रति डीजीएस एंड डी के महानिदेशक (पीपी) श्री बिनय कुमार को भी भेजी गयी है। आरोप है कि पोर्टल के माध्यम से पायलट प्रोजेक्ट स्तर पर ही 2500 करोड रूपये की खरीद जीएफआर रूल्स तथा मुख्य सतर्कता आयोग के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए की गयी है।

सामान को कहाँ से खरीदा जा रहा था

मौलिक भारत के अनुसार ‘गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस’ के माध्यम से जो खरीददारी की जा रही है उसमें सामान सप्लाई करने वाले की सत्यता का पता लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है। ‘गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस’ की टर्म एंड कंडीशन्स की धारा 21 के अनुसार विक्रेता की सत्यता की जांच, वाजिब कीमत आदि सभी बातों की जांच की जिम्मेदारी सामान खरीदने वाले सरकारी विभागों की है।
यह सर्वविदित तथ्य है कि सरकारी सामान की खरीददारी के मामले में प्रायः सभी सरकारी विभागों के पास विशेषज्ञता का अभाव है। इसीलिए डीजीएस एंड डी जैसे विशेषज्ञ विभाग की स्थापना की गयी थी। किन्तु डीजीएस एंड डी ‘गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस’ के माध्यम से सामान खरीदते समय यह कहकर पूरी व्यवस्था के पारदर्शी होने का दावा नहीं कर सकता कि सामान सत्यापित संस्थाओं से ही खरीदा जा रहा है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट की माने तो उसने अपनी पड़ताल पाया कि 32 इंच की सोनी ब्राविया एलईडी केएलवी टीवी की कीमत जेम पर 30500 थी जबकि इसकी कीमत अमेजन पर इसकी कीमत 23 हजार रूपये है। इस तरह एचपी का 240जी5 विद विंडोज की कीमत जेम पर 45500 था वहीँ एमेजन पर इसकी कीमत 32999 थी। इसी तरह कई सामान थे जो सस्ते मिल सकते थे लेकिन उन्हें महंगे में खरीदा गया।

क्या है GeM

केंद्र सरकार ने हालही में अपने मंत्रालयों को पारदर्शी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जिसके तहत उसने गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम) नामक एक पोर्टल की शुआत की है। सरकार का कहना था है कि इस पोर्टल के जरिये मंत्रालयों में इस्तेमाल होने वाली स्टेशनरी सहित अन्य वस्तुओं की खरीदारी की जा सकेगी। इसके लिए सालाना 10 हजार करोड़ का बजट भी रखा गया था लेकिन इस ‘मास्टर प्रोजेक्ट’ के प्रारंभ होते ही इस पर भ्रष्टाचार के आरोपों लगने लगे हैं।

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