माननीय प्रधानमंत्री जी, सादर प्रणाम !
आम जनता को आपसे बहुत आशाएं हैं और खुशी की बात यह है कि आपके नेतृत्व में 2014 से अब तक जिस प्रकार से भ्रष्टाचार-मुक्त चहुमुखी विकास हुआ है उससे आम जनता विशेषकर युवाओं का विश्वास और अधिक बढ़ा है!
जैसा कि आप जानते हैं कि वर्तमान समय में लगभग 122 करोड़ भारतीयों के पास आधार है, लगभग 20% अर्थात 25 करोड़ नागरिक (विशेष रूप से बच्चे) बिना आधार के हैं तथा लगभग चार करोड़ बंगलादेशी और एक करोड़ रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं! इससे स्पस्ट है कि हमारे देश की कुल जनसँख्या 125 या 130 करोड़ नहीं बल्कि लगभग 152 करोड़ है और हम चीन से बहुत आगे निकल चुके हैं ! हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की मात्र 2% है, पीने योग्य पानी मात्र 4% है और जनसँख्या दुनिया की 20% है! यदि चीन से तुलना करें तो हमारा क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है और जनसँख्या वृद्धि की दर चीन की तीन गुना है ! चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे पैदा होते हैं और भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे पैदा होते हैं!
आप भी इस बात से जरुर सहमत होंगे कि भारत की 50% समस्याओं का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है ! जल जंगल और जमीन की समस्या, रोटी कपड़ा और मकान की समस्या, गरीबी और बेरोजगारी की समस्या, भुखमरी और कुपोषण की समस्या तथा वायु,जल और ध्वनि प्रदूषण की समस्या का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है ! टेम्पो बस और रेल में भीड़, थाना तहसील और जेल में भीड़ तथा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भीड़ का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है! चोरी डकैती और झपटमारी, घरेलू हिंसा और महिलाओं पर शारीरिक-मानसिक अत्याचार तथा अलगाववाद, कट्टरवाद और पत्थरबाजी का मूल कारण भी जनसँख्या विस्फोट है! चोर, लुटेरे, झपटमार, जहरखुरानी करने वालों, बलात्कारियों और भाड़े के हत्यारों पर सर्वे करने से पता चला कि 80% से अधिक अपराधी ऐसे हैं जिनके माँ-बाप ने हम दो-हमारे दो नियम का पालन नहीं किया!
संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देशानुसार हम सब प्रत्येक वर्ष 25 नवंबर को महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाते हैं लेकिन महिलाओं पर हिंसा बढ़ती जा रही है और इसका मुख्य कारण जनसँख्या विस्फोट है! बेटी पैदा होने के बाद महिलाओं पर शारीरीक और मानसिक अत्याचार किया जाता है, जबकि बेटी पैदा होगी या बेटा, यह महिला नहीं बल्कि पुरुष पर निर्भर है! कुछ लोग तो 3-4 बेटीयां पैदा होने के बाद पहली पत्नी को छोड़ देते हैं और दूसरा विवाह कर लेते हैं ! बेटियों को बराबरी का दर्जा मिले, बेटियों का स्वास्थ्य ठीक रहे, बेटियां सम्मान सहित जिंदगी जीयें तथा बेटियां खूब पढ़ें और आगे बढ़ें, इसके लिए चीन की तर्ज पर एक प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना बहुत जरूरी है!
अंतराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की दयनीय स्थिति का मुख्य कारण भी जनसँख्या विस्फोट है! ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हम 103वें स्थान पर, आत्महत्या के मामले में 43वें स्थान पर, साक्षरता दर में 168वें स्थान पर, वर्ल्ड हैपिनेस इंडेक्स में 133वें स्थान पर, ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में 130वें स्थान पर, सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स में 93वें स्थान पर, यूथ डेवलपमेंट इंडेक्स में 134वें स्थान पर, होमलेस इंडेक्स में 8वें स्थान पर, लिंग असमानता में 125वें स्थान पर, पर कैपिटा जीडीपी में 139वें स्थान पर, न्यूनतम वेतन में 124वें स्थान पर, रोजगार दर में 42वें स्थान पर, क्वालिटी ऑफ़ लाइफ इंडेक्स में 43वें स्थान पर, फाइनेंसियल डेवलपमेंट इंडेक्स में 51वें स्थान पर, करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में 81वें स्थान पर, रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स में 66वें स्थान पर और एनवायरनमेंट परफॉरमेंस इंडेक्स में 177वें स्थान पर हैं लेकिन जमीन से पानी निकालने के मामले में हम दुनिया में पहले स्थान पर हैं, जबकि हमारे पास दुनिया का मात्र 4% पानी है!
प्रत्येक वर्ष हम लोग 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाते हैं और प्रदूषण नियंत्रण को लेकर पिछले 4 साल में बहुत से प्रयास भी किये गये हैं लेकिन जनसँख्या विस्फोट के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है! चीन की तर्ज पर एक कठोर जनसँख्या नियंत्रण कानून के बिना स्वच्छ भारत अभियान और स्वस्थ भारत अभियान का सफल होना भी मुश्किल है !
एक कठोर और प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून के बिना बेटी पढाओ-बेटी बचाओ अभियान तो सफल हो सकता है लेकिन विवाह के बाद बेटियों पर होने वाले अत्याचार को नहीं रोका जा सकता है! 3-4 बेटीयां पैदा होने के बाद महिलाओं पर शारीरीक और मानसिक अत्याचार किया जाता है, जबकि बेटी पैदा होगी या बेटा, यह महिला नहीं बल्कि पुरुष पर निर्भर है! बेटियों को बराबरी का दर्जा मिले, बेटियों का स्वास्थ्य ठीक रहे, बेटियां सम्मान सहित जिंदगी जीयें, बेटियां पढ़ें, बेटियां आगे बढ़ें और बेटियां सुरक्षित भी रहें, इसके लिए आगामी संसद सत्र में ही जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना बहुत जरूरी है!
टैक्स देने वाले लोग हम दो-हमारे दो नियम का पालन करते हैं लेकिन मुफ्त में रोटी कपड़ा मकान लेने वाले जनसँख्या विस्फोट कर रहे हैं! हजारो साल पहले भगवान राम ने हम दो-हमारे दो नियम की शुरुआत किया था और आम जनता को संदेश देने के लिए लक्षमण, भरत और शत्रुघन सहित स्वयं हम दो-हमारे दो नियम का पालन किया था, जबकि उस समय जनसँख्या की समस्या इतनी खतरनाक नहीं थी! वर्तमान समय में जनसँख्या विस्फोट बम विस्फोट से भी अधिक खतरनाक है इसलिए चीन की तर्ज पर एक प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून लागू किये बिना रामराज्य अर्थात स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, साक्षर भारत, संपन्न भारत, समृद्ध भारत, सबल भारत, सशक्त भारत, सुरक्षित भारत, समावेशी भारत, स्वावलंबी भारत, स्वाभिमानी भारत, संवेदनशील भारत तथा भ्रष्टाचार और अपराध-मुक्त भारत का निर्माण मुश्किल ही नहीं नामुंकिन है!
उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही अटल जी द्वारा बनाये गए संविधान समीक्षा आयोग (वेंकटचलैया आयोग) ने 2 वर्ष तक विचार-विमर्श के बाद संविधान में आर्टिकल 47A जोड़ने और जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था जिसे आजतक लागू नहीं किया गया! अबतक 123 बार संविधान में संशोधन हो चुका है, 2 बार सुप्रीमकोर्ट का फैसला भी बदला जा चुका है, सैकड़ों नए कानून बनाये गए लेकिन देश के लिए सबसे ज्यादा जरुरी जनसँख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया, जबकि हम दो-हमारे दो कानून से देश की 50% समस्याओं का समाधान हो जाएगा !
अटल जी द्वारा बनाया गया संविधान समीक्षा आयोग भारत का सबसे प्रतिष्ठित आयोग है! सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वेंकटचलैया इसके अध्यक्ष तथा जस्टिस सरकारिया, जस्टिस जीवन रेड्डी और जस्टिस पुन्नैया इसके सदस्य थे! पूर्व अटॉर्नी जनरल केशव परासरन, सोली सोराब जी और लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप इसके सदस्य थे! पूर्व लोकसभा अध्यक्ष संगमा जी और सांसद सुमित्रा जी भी इस आयोग में थे! वरिष्ट पत्रकार और स्टेट्समैन के संपादक सीआर ईरानी और अमेरिका में भारत के राजदूत आबिद हुसैन साहब भी इस आयोग के सदस्य थे!
20 फरवरी 2000 को बनाये गए इस आयोग ने 2 वर्ष तक कड़ी मेहनत और विचार-विमर्श के बाद 31 मार्च 2002 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौपा था ! इसी आयोग की सिफारिस पर मनरेगा लागू हुआ, राईट टू एजुकेशन, राईट टू इनफार्मेशन और राईट टू फूड लागू हुआ लेकिन जनसँख्या नियंत्रण कानून पर संसद में चर्चा भी नहीं हुयी ! इस आयोग ने मौलिक कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए भी महत्वपूर्ण सुझाव दिया था जिसे आजतक लागू नहीं किया गया ! आयोग द्वारा चुनाव सुधार और न्यायिक सुधार के लिए दिए गए सुझाव भी आजतक पेंडिंग हैं !
आदरणीय प्रधानमंत्री जी,
यदि 2004 में भाजपा की सरकार बनती तो अटलजी द्वारा बनाये गए संविधान समीक्षा आयोग की सिफारिसों पर संसद में बहस जरुर होती और जनसँख्या नियंत्रण कानून भी बनाया जाता लेकिन वोटबैंक राजनीती के कारण कांग्रेस ने आयोग के सभी सुझावों पर संसद में चर्चा करने की बजाय चुनिंदा सुझावों को ही लागू किया! इसलिए मैं आपसे विनम्रता पूर्वक निवेदन करता हूँ कि आमजनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए आगामी संसद सत्र में संविधान समीक्षा आयोग के सुझावों को संसद के पटल पर रखने और इस पर विस्तृत चर्चा करने के लिए आवश्यक निर्देश दें! मेरे विचार में अटल जी को यह सबसे अच्छी श्रद्धांजलि होगी! धन्यवाद और आभार!
अश्विनी उपाध्याय