आनेवाले काल में यदि तीसरा महायुद्ध हुआ, तो उपलब्ध भौतिक साधनसामग्री और सैन्यबल के आधार पर उसे उत्तर देने में भारत सक्षम है, ऐसा मत ‘वर्ष 2021 : भारत और विश्व के समक्ष चुनौतियां’ इस चर्चा में सम्मिलति विशेषज्ञों ने व्यक्त किया । यह ऑनलाइन संवाद हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित किया गया था । इसमें नई देहली में सुरक्षा और विदेशनीति विशेषज्ञ श्री. अभिजित अय्यर–मित्रा, भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय सचिव श्री. अनिल धीर, अमेरिकी संशोधक तथा ‘पीगुरुज्’ जालस्थल के संपादक श्री. श्री अय्यर के साथ हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी सहभागी हुए थे । यह कार्यक्रम फेसबुक और यू–ट्यूब के माध्यम से 33,062 लोगों ने प्रत्यक्ष देखा ।
इस अवसर पर संरक्षण और विदेशनीति विशेषज्ञ श्री. अभिजित अय्यर–मित्रा बोले कि प्रत्यक्ष नहीं; परंतु अपरोक्ष रूप में चीन तीसरे महायुद्ध का कारण बन सकता है । चीन ने यदि भारत पर आक्रमण किया, तो पाकिस्तान भी भारत पर आक्रमण कर सकता है; परंतु पाकिस्तान के भारत पर आक्रमण करने पर चीन पाकिस्तान की सहायता के लिए नहीं आएगा । चीन स्वार्थी होने से वह कभी ‘उत्तर कोरिया’ जैसे अपने मित्र की सहायता के लिए भी कभी तत्परता से नहीं गया । चीन अपनी हानि कम से कम कैसे होगी, यह देखता है ।
‘पीगुरुज्’ जालस्थल के संपादक श्री. श्री अय्यर बोले, चीन विश्व के विविध तंत्रज्ञान की चोरी कर उसकी नकल (कॉपी) करता है । उसकी गुणात्मकता (दर्जा) अच्छी नहीं । विएतनाम के युद्ध में चीन को मैदान छोडकर भागना पडा है । प्रत्यक्ष में चीन ने कभी युद्ध जीते न होने से उसके शस्त्र और विमान युद्ध में कितने चलेंगे, यह प्रश्न ही है । प्रत्यक्ष युद्ध के स्थान पर अन्य तंत्रज्ञान और साधनों का उपयोग चीन द्वारा हो सकता है ।
भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय सचिव श्री. अनिल धीर बोले, ‘पूरे विश्व को पता है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री केवल नाम के लिए हैं । सभी कामकाज वहां की पाक सेना चलाती है । आनेवाले काल में पाकिस्तान की स्थिति और अधिक बिकट होने की संभावना है । भारत वर्ष 1962 का नहीं रहा, यह चीन को लद्दाख के प्रश्न से समझ आ गया होगा । इसलिए युद्ध के स्थान पर वह नेपाल और श्रीलंका को भारत से तोडने का प्रयत्न कर रहा है; परंतु वह संभव नहीं होगा; इसलिए कि भारत से सांस्कृतिक संबंध होने से नेपाल–भारत मैत्री अबाधित रहेगी ।
हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) पिंगळे बोले कि विश्व के विविध देशों में हो रहा आर्थिक वर्चस्ववाद, विस्तारवाद, स्वार्