डॉ. वेदप्रताप वैदिक
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मियाॅ नवाज शरीफ को पहले फौज ने बेदखल कर दिया था और अब अदालत ने कर दिया। पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के पांचों जजों ने सर्वसम्मति से नवाज़ को अयोग्य ठहराया है। उन पर यह मुकदमा ‘पनामा पेपर्स’ को लेकर चला था। उनके बेटे और बेटियों की विदेशों में बेहिसाब संपत्तियों का ठीक-ठीक हिसाब वे नहीं दे सके। पाकिस्तान की अदालतों की तारीफ करनी होगी कि वे परवेज़ मुशर्रफ जैसे सेनापति और नवाज शरीफ जैसे अत्यंत लोकप्रिय नेता को भी नहीं बख्शतीं। मुशर्रफ के खिलाफ जजों और वकीलों ने जबर्दस्त आंदोलन चलाया था। नवाज़ शरीफ तो पाकिस्तान में सबसे ज्यादा वोट पानेवाले नेता रहे हैं। उनकी खूबी यह भी है कि अपने पहले तख्ता-पलट के कई वर्षों बाद जब वे पाकिस्तान लौटे तो वे फिर चुनाव जीत गए। मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान में भ्रष्टाचार कोई बड़ा मुद्दा है। भारत में भी बोफोर्स के बावजूद कांग्रेस फिर लौट आई थी। लालूजी जेल की हवा खाने के बाद भी अपनी पार्टी को बिहार में जिता लाए। अब नवाज यदि जीवन भर के लिए चुनाव लड़ने से वंचित कर दिए गए हैं तो भी वे पाकिस्तान के सबसे ताकतवर नेता बने रह सकते हैं। अब जो भी प्रधानमंत्री की कुर्सी में बैठेगा, वह उनकी मर्जी से ही बैठेगा लेकिन अब पाकिस्तान की फौज को खुलकर खेलने का मौका मिलेगा, क्योंकि अब नया प्रधानमंत्री अपनी कुर्सी पर अपने दम-खम से नहीं बैठेगा। यों भी पाकिस्तान की भारतनीति फौज ही तय करती है, इसलिए भारत को ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। इसमें शक नहीं कि नवाज शरीफ और सरताज अजीज भारत से अच्छे संबंध बनाने की इच्छा रखते थे लेकिन अब पाकिस्तान की सरकार का शेष समय आतंरिक उलझनों को सुलझाने में ही खर्च होगा। इमरान खान और बिलावल भुट्टो की कोशिश होगी कि वे नवाज की मुस्लिम-लीग के तंबू को उखाड़ दें लेकिन पंजाब के लोग उनसे कितने प्रभावित होते हैं, यह अभी देखना है। नवाज अब प्रधानमंत्री नहीं होंगे लेकिन उनकी इच्छा के बिना भी आज कौन प्रधानमंत्री होगा।