राजनीति में नारों का बड़ा महत्व है, जनता नारों को संक्षेप में पार्टी की नीति मानती है। चुनाव के दौरान जारी घोषणा पत्र इतना लंबा चौड़ा होता है कि जनता उसमें उल्लेखित बातों को याद नहीं रख पाती है जबकि नारे आसानी से लम्बे समय तक याद रहते हैं। सरकारें भी नारे गढ़ती हैं, डॉ रमन सरकार ने सबका साथ सबका विकास और क्रेडिबल छत्तीसगढ़ जैसे नारे गढ़े। सरकार के जाते ही नारे भी बदल जाते हैं, जैसे पुराने नारों के स्थान पर भूपेश बघेल की नई सरकार ने नारे दिए हैं गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ के ये चिन्हारी, नरवा-गरूवा-घुरूवा-बारी। अब सरकार के समक्ष चुनौती है अपने नारों को अमल में कैसे लाएं?
पहले गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की बात करें तो सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में विशेष प्रयास की आवश्यकता है। केवल कृषि आधारित आर्थिक उपक्रम से नया छत्तीसगढ़ नहीं गढ़ा जा सकता। कृषि पर प्रच्छन्न बेरोजगारी को दूर कर रोज़गार के नए अवसर तैयार करने होंगे। अब औद्यौगिकीकरण के मार्ग पर चले तो पुरानी सरकार की नीति पर काम करने पड़ेंगे। नया रास्ता वनोपज और ग्राम्य आधारित कुटीर उद्योग व हस्तकला आधारित उद्योग को बढ़ावा देना होगा।इस तरह की नई औद्योगिक नीति बनाने की इच्छा स्वयं मुख्यमंत्री ने की है, सवाल है कि नई नीति का स्वरूप क्या होगा?
प्रदेश में लगभग आधा क्षेत्रफल वनाच्छादित है जहां पर जनजातीय लोग रहते हैं वहीं आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है। गरीबी दूर करने के लिए बड़े अत्याधूनिक उद्योग कारगर नहीं होंगे क्योंकि ऐसे उद्योग पूंजी निवेश और उत्पादन की तुलना में रोज़गार के अवसर कम प्रदान करते हैं। अधिकाधिक रोज़गार देने के लिए मध्यम और लघु उद्योग पर अधिक जोर देना होगा। यहां समस्या उदारीकरण के दौर में कॉर्पोरेट बड़े उद्योगों से सामने लघु-मझौले इकाईयों का टिक पाने की है। ऐसी स्थिति में सरकार की नीति में मध्यम और लघु उद्योगों को विशेष संरक्षण देने का प्रावधान करना होगा। इन उद्योगों के उत्पादों के विपणन में शासकीय सहयोग मिले, इसके लिए लघु उद्योग विपणन निगम या सहकारी संस्था का गठन करना आवश्यक है। वनोपज आधारित उद्योगों पर विशेष जोर देने की बात तो होती है लेकिन उत्पादों के विपणन की व्यवस्था का अभाव किए कराए पर पानी फेर देता है।
प्रदेश सरकार को चाहिए कि केन्द्र की मुद्रा योजना और स्टार्ट अप- स्टैंड अप जैसी योजनाओं का अधिकाकधिक लाभ अनुसूचित जाति, जनजातीय, पिछड़ा वर्ग के युवाओं को दिलाकर एक प्राधिकरण या आयोग के माध्यम से उन्हें उनके उद्यम में प्रशिक्षण,वित्तीय, प्रबंधकीय, विपणन एवं अन्य संसाधनों की सहायता प्रदान करे। केवल एक छोर पर सहयोग कर देने मात्र से नए उद्यमी सफल नहीं हो सकते। मिशन मोड पर प्रदेश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देकर नए आर्थिक मॉडल के जरिए प्रदेश में रोज़गार देने और गरीबी उन्मुलन की दिशा में प्रयास करना आवश्यक है। यहां से नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने की प्रक्रिया प्रारंभ होगी।
शशांक शर्मा