प्रयागराज में नमामि गंगे परियोजनाओं के लिए अनुदान समझौते पर हस्ताक्षर हुए। यह समझौता एक नगर, एक संचालक कार्यक्रम पर आधारित है। श्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में समझौते पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के श्री अखिल कुमार, उत्तर प्रदेश जल निगम के श्री अनिल कुमार श्रीवास्तव और प्रयागराज वाटर प्राइवेट लिमिटेड के श्री दिलीप पोरमल ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर श्री गडकरी ने कहा कि देश में जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, परन्तु कुशल जल प्रबंधन की आवश्यकता है। रेणुकाजी बांध परियोजना के समझौते पर हस्ताक्षर को ऐतिहासिक क्षण बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार यथाशीघ्र केबिनेट से इसकी मंजूरी प्राप्त करने का प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि यमुना नदी पर किसाऊ बहुउद्देशीय परियोनजा विकसित की गई है और जल्द ही समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि लखवार बहुउद्देशीय परियोजना के लिए छह राज्यों के बीच 28 अगस्त, 2018 को समझौते पर हस्ताक्षर हुए।
मुख्यमंत्रियों को धन्यवाद देते हुए श्री गडकरी ने कहा कि इन परियोजनओं से सभी राज्यों को लाभ होगा। इन परियोजनाओं से यमुना नदी में प्रवाह की स्थिति बेहतर होगी जो कि समय की मांग है।
केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल तथा डॉ. सत्यपाल सिंह और सचिव श्री यू.पी.सिंह भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
रेणुकाजी बांध परियोजना हिमाचल प्रदेश के सिरमोर जिले में यमुना की सहायक गिरि नदी पर निर्मित की जाएगी। इस परियोजना में 148 मीटर ऊंचा बांध बनाया जाएगा तथा इससे दिल्ली व अन्य बेसिन राज्यों को 23 क्यूसेक जल की आपूर्ति की जाएगी। उच्च प्रवाह के दौरान परियोजना से 40 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। बिजली परियोजना का निर्माण हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम द्वारा किया जाएगा। रेणुकाजी बांध की संग्रहण क्षमता 0.404 एमएएफ है और हिमाचल प्रदेश में इस बांध का डूब क्षेत्र 1508 हेक्टेयर है।
बांध निर्माण के पश्चात गिरि नदी के प्रवाह में 110 प्रतिशत की वृद्धि होगी और यह दिल्ली व अन्य बेसिन राज्यों के जल की जरूरत को पूरा करेगी।
रेणुकाजी बांध परियोजना का जांच कार्य 1976 में प्रारंभ हुआ था परंतु कुछ कारणवश निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया। 2015 के स्तर पर परियोजना की अनुमानित लागत 4596.76 करोड़ रुपये है जबकि सिंचाई/पेयजल घटक की लागत 4325.43 करोड़ रुपये है। ऊर्जा घटक की लागत 277.33 करोड़ रुपये है। सिंचाई/पेयजल घटक की 90 प्रतिशत लागत अर्थात् 3892.83 करोड़ रुपये केन्द्र सरकार के द्वारा वहन की जाएगी। शेष 432.54 करोड़ रुपये की राशि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली राज्य वहन करेंगे।
रेणुका जी बांध परियोजना यमुना और इसकी दो सहायक नदियों – टोंस और गिरि पर बनाए जाने वाले तीन संग्रह परियोजनाओं का हिस्सा है। यमुना नदी पर लखावर परियोजना तथा टोंस नदी पर किसाऊ परियोजना, अन्य दो परियोजनाएं है।
लखावर बहुउद्देशीय परियोजना की लागत और लाभ साझा करने के संदर्भ में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के मुख्यमंत्रियों के बीच श्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में 28 अगस्त, 2018 को समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण, नौवहन तथा सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में प्रयागराज में नामामि गंगे परियोजनाओं के लिए अनुदान समझौते पर हस्ताक्षर हुए।
प्रयागराज में ऊपरी गंगा/यमुना क्षेत्र (नैनी, फंफामउ तथा झूंसी) में कोई सीवर शोधन संयंत्र नहीं है। इस कारण गंगा और यमुना नदियां प्रदूषित होती है।
प्रयागराज में व्यापक सीवर नेटवर्क और सीवर संयंत्र सुविधाएं हैं लेकिन यह सभी अलग-अलग संचालकों के पास हैं। इसके लिए 908.16 करोड़ रुपये की लागत से सीवर प्रबंधन के लिए दो परियोजनाओं तथा वर्तमान के सीवर संयंत्रों के संचालन और रखरखाव हेतु दो परियोजनाओं की मंजूरी दी गई। तीन एसटीपी का निर्माण किया जाएगा जिसकी कुल क्षमता 72 एमएलडी (नैनी 42 एमएलडी, फंफामउ 14 एमएलडी और झूंसी 16 एमएलडी) होगी। सीवेज संयंत्रों के संचालन और रखरखाव का कार्य 15 वर्षों के लिए दिया जाएगा। यह दोनों परियोजनाएं एक नगर, एक संचालक के तहत हाइब्रिड एनयूटि आधारित पीपीपी मोड के तहत लागू की जाएंगी।
इन परियोजनाओं से 72 एमएलडी की नई क्षमता वाले संयंत्रों का निर्माण होगा, 80 एमएलडी का पुननिर्माण किया जाएगा तथा 254 एमएलडी के वर्तमान संयंत्रों व 10 सीवर पंपिंग स्टेशनों का संचालन और रखरखाव किया जाएगा।
एनएमसीजी के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्रा ने बताया कि प्रयागराज में छह परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इनमें गंगा नदी में प्रदूषण कम करने के लिए सीवर और गैर-सीवर परियोजनाएं शामिल हैं।
कुंभ 2019 के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 113 करोड़ रुपये की लागत से 25,500 शौचालयों तथा 20,000 प्रसाधन गृहों का निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त ठोस कचरा प्रबंधन के लिए 16,000 डस्टबिन लगाए गए हैं तथा 53 नालों के लिए जैविक समाधान लागू किया गया है।