डॉ. वेदप्रताप वैदिक
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नए साल के अपने पहले संदेश में ही पाकिस्तानी सरकार की मरम्मत कर दी। उन्होंने जितने तीखेपन से पाकिस्तान पर तेजाब उंडेला है, आज तक किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने नहीं उंडेला। ओबामा ने पाकिस्तान में घुसकर उसामा बिन लादेन को मार गिराया लेकिन उन्होंने ट्रंप की तरह कठोर शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। ट्रंप ने कहा कि पाकिस्तान का इतिहास ‘झूठ और धोखेबाजी’ का इतिहास रहा है। वह आतंकवाद का गढ़ बन गया है। अमेरिका ने 2001 से अब तक पाकिस्तान पर 33 बिलियन डाॅलर लुटाए हैं लेकिन पाकिस्तान ने अमेरिका के लिए पत्ता भी नहीं हिलाया।
कहने की जरुरत नहीं कि ट्रंप का यह कथन शुद्ध झूठ है। पाकिस्तान ने अमेरिका के लिए क्या नहीं किया ? उसने अमेरिका के हाथों अपनी संप्रभुता गिरवी रख दी। शीतयुद्ध के दौरान अमेरिकी हितों की रक्षा करने के खातिर उसने आप को उसका दुमछल्ला बना लिया। उसने सोवियत रुस, भारत और अफगानिस्तान का हर मोर्चे पर विरोध किया। अमेरिका ने पहले अफगान मुजाहिदीन और फिर तालिबान को हथियारों और डाॅलरों से लैस किया ताकि वे काबुल की सरकारों को गिरा सकें। अमेरिकी मोहरा बनकर पाकिस्तान ने अपने इन पड़ौसी देशों को कितना तंग किया, इसे अमेरिका से ज्यादा कौन जानता है। अब ट्रंप इसलिए खिसियाए हुए हैं कि पाकिस्तान इधर चीन की गोद में बैठ गया है और रुस के साथ हम-निवाला, हमप्याला हो रहा है। यदि पाकिस्तान से होकर चीनी सड़क बन गई तो एशिया में अमेरिका का दबदबा काफी फीका पड़ जाएगा। यों तो ट्रंप के बयान का अफगानिस्तान और भारत दोनों ने स्वागत किया है लेकिन पाक की तरफदारी में चीन ने अपने तरकश के सारे तीर खाली कर दिए हैं। इसके अलावा ट्रंप इस तथ्य से भी घबराए हुए हैं कि अफगानिस्तान में उनकी फौजें कुछ खास नहीं कर पा रही हैं, क्योंकि तालिबान छापमारों का आश्रय-स्थल पाकिस्तान बना हुआ है। ट्रंप की बौखलाहट पर भारत को मुग्ध होने की जरुरत नहीं है। ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जानेवाली मदद को जो रोका है, वह भारत के कारण नहीं रोका है बल्कि अपनी परेशानियों की वजह से रोका है। इसके अलावा ट्रंप पर उतना ही भरोसा किया जा सकता है, जितना बालू की दीवार का किया जाता है। वे पल में तोला, पल में माशा होते रहते हैं।