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बढ़ते अंधेपन का प्रमुख कारण है-विटामिन ए की कमी

 

हाल ही में एक पैडेट्रीशियन ने मुझे एक बच्चे को देखने के लिए बुलाया था। वह बच्चा कुछ दिन पहले उस पैडेट्रीशियन के पास डायरिया के इलाज के लिए आया था। उसका पिछला रिकार्ड देखते ही मैं समझ गया था कि बच्चा  अवश्य ही विटामिन ए और अपर्याप्त पोषण से जूझ रहा है। बच्चे को देख कर मैं खुद को बेबस महसूस करने लगा क्यों कि विटामिन ए की कमी के कारण उसे केराटोमेलेशिया (कोर्निया का पिघलना) नामक बीमारी हो गई थी और वह सदा के लिए अपनी आखों की दृष्टि खो चुका था। आज के समय में विटामिन ए की कमी बच्चों में बढ़ते अंधेपन का एक बहुत बड़ा कारण है। साथ ही इससे कई अन्य बीमारियां जैसे डायरिया और मीसल्स आदि होने की भी अधिक संभावना रहती है, जिससे मौत का खतरा बढ़ जाता है। शरीर में विटामिन ए की पर्याप्त मात्रा नार्मल दृष्टि, हड्डियों का विकास, हैल्थी स्किन, पाचन के म्यूकस मेम्ब्रेन की सुरक्षा, श्वास प्रणाली और यूरेनरी टै्रक्ट को संक्रमित होने से बचाता है।
विटामिन ए की कमी 118 देशों में एक सार्वजनिक समस्या बन चुकी है खासकर दक्षिणी पूर्वी एशिया में, जहां इसका निशाना बन रहे हैं-छोटे छोटे बच्चे। हालांकि बहुत से लोग ये जानते हैं कि विटामिन ए की कमी से लोग अंधेपन की चपेट में आ सकते हैं। लेकिन बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि ऐसे बच्चे जिनमें विटामिन ए की कमी होती है उनमें अंधेपन की शुरुआत होने से पहले ही कई और बीमारियां जैसे मीसल्स, डायरिया और मलेरिया आदि से मौत का खतरा 25 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
विटामिन ए की कमी के लक्षण
इसका शुरुआती लक्षण है-रात में कम दिखना। बाकी अन्य लक्षण हैं-आंखों में बेहद सूखापन, आंखों में सिकुडन, बढ़ता धुंधलापन, कोर्निया में रूखापन आना। विटामिन ए की कमी के निरंतर बढने से आंखों के सफेद भाग के मेम्ब्रेन में सिल्वर-ग्रे रंग का सूखे से झाग का जमाव। सही इलाज न कराने पर कोर्निया का रूखापन बढ़ता ही जाता है जिससे कोर्नियल संक्रमण, रप्चर व कुछ ऐसे टिश्यू बदलाव होते हैं जिससे मरीज अक्सर अंधेपन का शिकार हो जाता है।
विटामिन ए की कमी के चिन्ह
रूखी स्किन और रूखे बाल।
साइनस, श्वास संबंधी, यूरेनरी और पाचन में संक्रमण।
वजन न बढना।
कोर्निया का हल्का होना(क्सेरोफ थाल्मिया)।
नर्वस डिसऑर्डर।
स्किन सोर्स।
रात में कम दिखना।
विश्व स्तर पर इसका मैनेजमेंट
विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्य है, पूरे विश्व में विटामिन ए की कमी और इसके दुष्प्रभाव को जड़ से उखाडना। अच्छे व स्वस्थ जीवन की नींव है-स्वस्थ बचपन, जिसके लिए विटामिन ए एक बेहद आवश्यक तत्व है।
मां का दूध
मां का दूध विटामिन ए का एक प्राकृतिक स्रोत होता है। विटामिन ए की कमी को खत्म करने के लिए सबसे बेहतर तरीका है कि बच्चों को मां का दूध पिलाया जाए।
विटामिन ए के स्रोत
बच्चों को विटामिन ए की भरपूर खुराक देने से उनका अतिजीवन बढ़ता है, अन्य बीमारियों का खतरा कम होता है, बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और हेल्थ सिस्टम व अस्पताल का दबाव भी कम हो जाता है। अब यह प्रमाणित किया जा चुका है कि छरू महीने से लेकर पांच साल तक के बच्चों को एक साल तक विटामिन ए के दो हाई डा$ेज सुरक्षित और कोस्ट इफेक्टिव हैं। विटामिन ए की कमी को समाप्त करने के लिए यह एक बेहतर नीति है। दूध पिलाने वाली माताओं को विटामिन ए की खुराक देना भी बच्चों के लिए बेहद आवश्यक है।
विटामिन ए दूध, लिवर, अंडे, मछली, लाल और नारंगी फल, हरी पत्तेदार सब्जियों आदि में पाया जाता है। जिन खाद्य पदार्थों में विशेष तौर पर विटामिन ए पाया जाता है, वे हैं-अखरोट, फिश लिवर, फिश लिवर आयल, लहसुन, पपीता, नारंगी, सीताफल, पालक, शकरकंदी आदि।
विटामिन ए की कमी को पूरा करने के लिए फूड फोर्टिफिकेशन भी एक बेहतर नीति है जिसे अब कई देशों में अपनाया जा रहा है और इसका भविष्य भी बेहद सुनहरा है। विश्व के कई भागों में, प्रधान खाद्य पदार्थ जैसे शक्कर, मैदा और बनावटी मक्खन को विटामिन ए और बाकी अन्य माइक्रोन्यूयूट्रिएंट्स के साथ फोर्टिफाइ किया जाता है। विटामिन ए की कमी के केसों में मरीज को ओरल या फिर इंजेक्टेबल विटामिन ए के डोज दिए जाते हैं।
पूरे विश्व में विटामिन ए की कमी बढ़ते अंधेपन का एक बहुत बड़ा कारण बन गया है खासकर विकासशील देशों में तो यह एक बहुत बड़ी समस्या है। भारत में ही इससे पीढित दो लाख बच्चे हैं। यह समस्या अक्सर तीन से छः साल के बच्चों को ज्यादा होती है। इसका बेहतर बचाव यही है कि व्यक्तिगत तौर पर इसकी रोकथाम की जाए। इस लिए हमेशा ध्यान रखिए और यह सुनिश्चित कीजिए कि आप का बच्चा खूब सारी हरी सब्जियां और फल खाए, रोजाना दूध पीए ताकि वह विटामिन ए की कमी से मीलों दूर रहे।

डा.महिपाल सचदेव

निदेशक
सेंटर फार साइट
नई दिल्ली

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