इस अवसर पर अधिकारियों को संबोधित करते हुए श्री पीयूष गोयल ने कॉनकोर और जहाजरानी मंत्रालय को इस संयुक्त उपक्रम के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि रेलवे ने पिछले चार साल में कई नये सुधार किये हैं। सुधारों की श्रृंखला में यह एक और कदम है। उन्होंने कहा कि पुराने मॉडल के कोचों का निर्माण बंद कर दिया गया है और अब धीरे-धीरे पुराने कोचों की जगह लगाने के लिए केवल एलएचबी कोच ही बनाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य विशाल भारतीय रेल नेटवर्क का पूरी तरह से विद्युतीकरण करना है। श्री गोयल ने बताया कि सड़क और रेल मंत्रालय की संयुक्त कोशिशों की वजह से ही हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा बोगीबिल पुल का उद्घाटन करना संभव हो पाया। उन्होंने बताया कि हाल ही में शुरू हुई रेल युनिवर्सिटी परिवहन क्षेत्र के लिए 100 से अधिक छात्रों को तैयार करने में जुटी है। श्री गोयल ने बताया कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत तैयार ट्रेन-18 को जल्द ही नई दिल्ली वाराणसी रेल मार्ग पर रवाना किया जाएगा। कॉनकोर द्वारा आज शुरू की गई नई सेवा से किफायती तौर पर विभिन्न स्थानों पर समान भेजना काफी फायदेमंद होगा और इससे रेल मार्ग और सड़क पर भार भी कम होगा।
इस अवसर पर श्री नितिन गडकरी ने कहा कि भारत के परिवहन इतिहास में यह क्रांति का दिन है और मैं लॉजिस्टिक श्रृंखला में इस बदलाव को देखकर काफी खुश हूं। रेलवे और तटीय शिपिंग का यह जुड़ाव दोनों के लिए अच्छी स्थिति है,क्योंकि इससे रेलवे की माल ढुलाई क्षमता बढ़ेगी और स्टील, सीमेंट और अन्य सामानों को तटीय व्यापार के जरिये लाने-ले जाने की सुविधा और बढ़ेगी और इस तरह तटीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
कॉनकोर की 10 जनवरी, 2019 से शुरू हुई तटीय संचालन साप्ताहिक सेवा होगी, जो कांडला बंदरगाह से मेंगलौर बंदरगाह एवं कोच्चि बंदरगाह से होते हुए तूतीकोरिन बंदरगाह तक होगी।