जम्मू–कश्मीर से धारा 370 और 35 ए हटाते ही पाकिस्तान अपना आपा खो बैठा है। वैसे पाकिस्तान तो पूरी दुनिया में भारत के खिलाफ वातावरण बनाने की जीतोड़लेकिन असफल कोशिश तो कर ही रहा है । लेकिन, उसे कहीं से भी कोई ठोस समर्थन या सफलता नहीं मिल रहा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके कम से कम दो अन्य मंत्री शेख राशिद और एफ. हुसैन भारत को परमाणु युद्ध की भी बेशर्मी से धमकियां भीदिये जा रहे हैं। जरा देख लीजिए कि जिस देश का अवाम खाने के लिए भी दाने–दाने को मोहताज है, वहां के लीडर परमाणु जंग छेड़ने को लेकर कितने उत्साहित हैं।इससे साफ है कि वे अपने पड़ोसी मुल्क के तो क्या, अपने मुल्क के अवाम के भी सगे नहीं है। पर हैरानी इस बात की भी है कि पाकिस्तान की भारत पर परमाणु बमसे हमला करने की बार–बार दी जा रही धमकियों पर विश्व बिरादरी भी अबतक चुप है। अमेरिका, जापान, रूस और यूरोप के तमाम देश भी पाकिस्तान को लताड़ नहीं रहेहैं। एक धूर्त देश अपनी घटिया हरकतों पर उतरा हुआ है और सारी दुनिया निर्विकार भाव से उसकी हरकतों को निहार भर रही है।
कायदे से तो पाकिस्तान की युद्ध की धमकियों के विरोध में दुनिया के शक्तिशाली देशों को उस पर अबतक कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगा देने चाहिए थे, ताकि उसे उसकीऔकात का अंदाजा लग जाए। इस बीच, कश्मीर का भारत से एक तरह से एकीकरण करने की प्रक्रिया को अमली जामा पहनाने के बाद भारत सरकार का रवैया बेहदसंतुलित और संयम भरा रहा है। किसी भी भारतीय नेता ने पाकिस्तान के बड़बोलेपन पर जवाब तक देना उचित नहीं समझा। एक तरह से भारत ने मान लिया किउसके लिए अब पाकिस्तान की उछल कूद का कोई खास मतलब नहीं है। भारत की यह सोच भी सही है। पाकिस्तान ने अपने जन्म के बाद से ही अबतक हर अवसरपर भारत को दगा ही तो दिया है।
पाकिस्तान ने और अब इमरान खान ने भी कभी पड़ोसी देश का धर्म नहीं निभाया। जाहिर है कि अब भारत अपने ही अंग रहे और अब नये पड़ोसी बने पाकिस्तानसे वार्ता को लेकर भी कोई उत्साह नहीं दिखाता। इमरान खान ने सारे भारत को अबतक घोर निराश किया है। उन्हें सारे भारत की जनता ने एक सफल क्रिकेटर केरूप में अपार प्रेम और स्नेह दिया। जब इमरान ने अपनी मां के नाम पर लाहौर में एक कैंसर अस्पताल खोला तो भारत के बहुत सारीखास हस्तियों ने भी दिलखोलकर उन्हें धन दिया। पर इमरान ने भारत को कभी प्रेम नहीं किया। उन्होंने पुलवामा हमले में मारे गए जवानों के परिवारों के प्रति एक शब्द भी सहानुभूति काजाहिर तक नहीं किया। जरा खुद ही देख लीजिए कि किस तरह के शख्स हैं इमरान खान। अब भारत ने अपने एक शुद्ध आतंरिक मामले के तहत कश्मीर पर एकफैसला लिया है तो वे सड़कछाप अंदाज में भारत को कोस रहे हैं। वे अपनी भाषा की मर्यादा तक भूल गए हैं। उनके मंत्री अब शुद्ध गाली–गलौच की जुबान बोलने लगेहैं। कहना न होगा कि भारत में रहने वाले इमरान खान के करोड़ों फैंस उनसे कितने निराश और क्रुद्ध हैं। इमरान भूल गए कि कोई अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी देश की सीमाओं में बंधा नहीं होता । उसे विश्व नागरिक का अघोषित दर्जा मिला होता है। इसी नाते इमरान को भारत के क्रिकेट के फैंस चाहते थे। जिस भारत ने उन्हें अपना मानाऔर सम्मान दिया, उसे वे तबाह करने की बातें कर रहे हैं। वे सच में बेहद निर्मम और बेशर्म इंसान हैं। वे बेहद सस्ते किसमके इंसान हैं।
इमरान खान ने न केवल भारत को बल्कि अपने पाकिस्तान की अवाम को भी निराश ही किया है। उनके नेतृत्व में पाकिस्तान तो हर दिन गर्त में ही चला जा रहा है।मंहगाई ने पाकिस्तानियों की कमर तोड़ कर रख दी है। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया पूरी तरह धूल में मिल चुका है। पर वे कश्मीर के बहाने वे अपने देश केमूल सवालों से जनता का ध्यान जानबूझकर भटका रहे हैं।
इमरान खान ने अपने मुल्क को झूठा भरोसा दिया था कि पाकिस्तान को अरब सागर में कच्चे तेल के भंडार मिलने वाले है। पर उनके दावे पूरी तरह खोखले निकले। वेतो दावा कर रहे थे तेल के भंडार मिलने से पाकिस्तान की किस्मत खुल जाएगी। वे झूठे दावे करने में माहिर हैं। वे पाकिस्तान सेना के इशारों पर ही चलते हैं।उन्होंने सेना चीफ कमर जावेद बाजवा को तीन साल का एक्सटेंशन देकर साबित कर दिया है कि वे सेना के सहारे ही सरकार चला रहे हैं। इमरान खान का पूरी तरहदोहरा चरित्र है। वे और उनकी सरकार कश्मीरी मुसलमानों को भरमाकर घड़ियाली आंसू बहा रहे है। पर वे बांग्लादेश में तिल–तिल करके जिंदगी बसर कर रहे बिहारीमुसलमानों को अपने देश में तो कभी नहीं लेते। ये सब के सब पाकिस्तान के नागरिक हैं। ये दशकों से बांग्लादेश की राजधानी ढाका के आसपास नारकीय जीवनगुजार रहे हैं।
इन्हें बांग्लादेश सरकार भी दोयम दर्जे का नागरिक मानती है क्योंकि, इन्होंने 1971 में स्वतंत्रता संग्राम के समय पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर ईस्ट पाकिस्तान(अब बांग्लादेश) की जनता का कत्लेआम करने में पाक–सेना का साथ दिया था । इमरान चीन के मुसलमानों के हितों पर भी कभी नहीं बोलते। मुसलमानों पर चीनसरकार भी बर्बरतापूर्वक जुल्म कर रही है। चीन में लाखों मुसलमानों को डराया–धमकाया जा रहा है । मारा–पीटा जाता है तथा भूखा भी रखा जाता है।
यह सब कुछ इसलिए हो रहा है ताकि चीनी मुसलमान कम्युनिस्ट विचारधारा को स्वीकार कर लें। यानी वे अपनी सुविधा के अनुसार मुसलामानों के रहनुमा बनने कीकोशिश करते हैं। बहरहाल अब कश्मीर मसले पर इमरान खान को चीन का भरोसा है। उनके कुछ साथी यह भी कह रहे हैं कि भारत से जंग होने पर चीन पाक केसाथ खड़ा होगा। अब इन्हें कौन बताए कि भारत–चीन संबंध निरंतर मजबूत हो रहे हैं। दोनों देशों के बीच दो–तरफा व्यापारिक संबंध 100 करोड़ डॉलर के करीब पहुंचनेवाला है। ऐसे में चीन अपने व्यापारिक हितों को ठुकराकर भिखमंगे पाकिस्तान के साथ खड़ा होगा यह सोचना भी मूर्खता है।
एक अंतिम बात और। इन दिनों पाकिस्तान इसलिए भी सहमा हुआ क्योंकि उसे तो कश्मीर के मसले पर सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरत (यूएईआ), बहरीन समेतकिसी भी प्रमुख इस्लामी देश का साथ नहीं मिल रहा। यूएई ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान देकर पाकिस्तान को कहीं का नहीं छोड़ा है।अब उसे समझ में आ ही नहीं रहा है कि वो इस स्थिति से कैसे बाहर निकले।
आर.के.सिन्हा
(लेखक राज्य राज्य सभा सदस्य हैं)