मकर संक्रांति महापर्व की शुभकामनाए*
मकर संक्रांति का महापर्व भगवान सूर्य की साधना और आराधना का महापर्व है। ज्योतिष के अनुसार यदि कुंडली में यदि सूर्यदेव अकेले ही बलवान हों तो वे बाकी सात ग्रहों के दोष को दूर कर देते हैं ऐसे में मकर संक्राति के महापर्व पर भगवान सूर्य की साधना और उनसे संबंधित चीजों का दान अत्यंत ही कल्याणकारी माना गया है. मकर संक्रांति के पर्व पर तिल और तेल के साथ खिचड़ी के दान का भी बहुत महत्व है। इस दिन किया गया दान सौ गुना पुण्य फल प्रदान करता है।
मकर संक्रांति के दिन ही मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था और राजा भागीरथ के पीछे-पीछे कपिल मुनि के आश्रम से होती हुईं गंगा सागर में पहुंची थी।
शिव पुराण के अनुसार भगवान महादेव जी ने इस दिन भगवान विष्णु जी को आत्मज्ञान के बारे मैं बताया था।
इसके अतिरिक्त देवताओं के दिनों की गणना इस दिन से ही प्रारम्भ होती है। सूर्य देव जब दक्षिणायन में रहते है तो उस अवधि को देवताओं की रात्री व उतरायण के छ: माह को दिन कहा जाता है।
महाभारत के अनुसार भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का दिन ही चुना था।
आज मकर संक्रांति के दिन पुण्य,भगवान के नाम जप, दान, उपासना तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अनन्य महत्व है। मकर संक्रांति के दिन तीर्थ स्नान का भी बहुत अधिक महत्व है ।
मकर संक्रांति के अवसर पर सूर्योपासना के पश्चात गुड़, चावल और तिल का दान श्रेष्ठ माना गया है।
इस दिन व्यक्ति को यथासंभव किसी गरीब को अन्नदान, तिल व गुड का दान करना चाहिए। तिल या फिर तिल से बने लड्डू या फिर तिल के अन्य खाद्ध पदार्थ भी दान करना शुभ रहता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार कोई भी धर्म कार्य तभी फल देता है, जब वह पूर्ण आस्था व विश्वास के साथ किया जाता है। जितना सहजता सामर्थ्य से दान कर सकते हैं, उतना अवश्य करना चाहिए।
मकर संक्रांति का पुण्यकाल मुहूर्त सूर्य के संक्रांति समय से 16 घटी पहले और 16 घटी बाद का होता है।
इस वर्ष पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा और शाम को 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में आपको सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए और दान करनी चाहिए।
*पूर्णतः श्रेष्ठ महापुण्य काल मुहूर्त प्रातः 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगा और फिर दोपहर मैं 1 बजकर 32 मिनट से 3 बजकर 28 मिनट तक।*