मौलिक भारत के राष्ट्रीय संगठन मंत्री के.विकास गुप्ता की आरटीआई का जबाब न देने के कारण उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग ने नोयडा प्राधिकरण पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। विकास जी ने माया- मुलायम-अखिलेश के कार्यकाल में यादव सिंह व अन्यों के चीफ प्रोजेक्ट इंजीनियर बनने में किन मापदंडो को आधार बनाया गया था, यह जानकारी मांगी थी। चूंकि सपा बसपा के काल मे गौतमबुद्ध नगर के तीनों प्राधिकरण लखनऊ के मुख्यमंत्री कार्यालय से चलाए जाते थे और हर नियुकि, ठेकों,जमीन व फ्लैटों के आबंटन व भुगतान में सत्ता दल के नेता,मंत्री व प्राधिकरण में बैठे उनके कठपुतली नोकरशाह व इंजीनियर भारी बंदरबांट करते थे इसलिए नियम कायदे कानूनों को ताक पर रखकर खुली लूट के खेल खेले जाते थे। ऐसे में जानकारी देकर प्राधिकरण के अधिकारी अपने हाथों अपने गले मे फंदा डालने से बच रहे थे। अब जबकि योगी आदित्यनाथ की सरकार सख्ती दिख रही है तो सूचना आयोग ने भी पहली बार प्राधिकरण पर इतना बड़ा जुर्माना लगाया है यद्धपि प्राधिकरण शायद ही किसी आरटीआई के जबाब देता हो। अब मौलिक भारत को शीघ्र ही सही जानकारी मिलने की उम्मीद है जिसके बाद नियुक्तियों में कई जा रही गड़बड़ी सामने आने की उम्मीद है। मौलिक भारत इस जानकारी के मिलने के बाद दोषियों के विरुद कार्यवाही हेतू उचित मंच पर जाएगा।
इन प्राधिकरणों पन्द्रह बर्षों की लूट का हिसाब बनाया जाए तो यह 50 लाख करोड़ से ऊपर की ही बैठेगी।अब योगी सरकार आने के बाद स्थितियों में बदलाब आया है व गौतमबुद्ध नगर के तीनो प्राधिकरणों व गाज़ियाबाद के जीडीए की सीएजी व सीबीआई से जांच के साथ ही आंतरिक ऑडिट भी हो रहा है, फर्जी आबंटन रद्द हो रहे है, ई टेडरिंग लागू की गई है, बिल्डरों के खिलाफ कार्यवाही हो रही है व अवैध निर्माण तोड़े जा रहे हैं व अधिकारियों के तबादले भी शुरू हो गए हैं। मगर मोटी मछलियों पर यानि नेताओ, नोकशाहो, बड़े बिल्डरों व धन लूटकर विदेश भागने वालों पर कोई बड़ी कार्यवाही नहीं हुई है। जितना योगी सरकार व सुप्रीम कोर्ट सक्रिय हुए हैं उससे 10 गुना अधिक सक्रियता जरूरी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वादा किया था कि 100 दिन के अंदर 1लाख लोगों को मकान दिलवा देँगे मगर 15 हज़ार लोगो को ही पिछले डेढ़ बर्षो में मकान मिल पाया है और कई लाख लाइन में लगे है मगर लुटेरे बिल्डरों ने हाथ खड़ाकर दिया है या भाग खड़े हुए हैं। रेरा की बेबसाइट पर भी शिकायतों की भरमार है। दुःखद है सरकार ने इस संबंध में कोई समग्र नीति अभी तक नहीं बनाई है। नोयडा के तीनों प्राधिकरणों में न ही कोई नगर निगम है और न ही जबाबदेही व पारदर्शिता। लाखों लोग मारे मारे फिर रहे है जिनके जीवन की गाढ़ी कमाई बिल्डर हड़प चुके हैं मगर दो चार को छोड़ किसी पर कोई बड़ी कार्यवाही नहीं हुई क्योंकि हर बिल्डर के प्रोजेक्ट में नेताओ व नोकशाहो व न्यायाधीशो तक कि पत्ती डली हुई है। गाज़ियाबाद व गौतम बुद्ध नगर व्यापक अराजकता, अनियंत्रित ट्रैफिक,बड़े कूड़े के ढेरों व अतिक्रमण का शिकार है व जनता में व्यापक आक्रोश है। जनता को न्याय दिलाने के लिए एक बड़े आंदोलन की जरूरत है और इस आंदोलन के नेतृत्व के लिए मौलिक भारत को आगे आना होगा।
अनुज अग्रवाल
महासचिव, मौलिक भारत
www.maulikbharat.co.in