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योगी आदित्यनाथ होने का अर्थ

तड़…..तड़…..तड़…..तड़…….तड़……
और आठ पुलिस वालों को एक भुनगे से अपराधी ने मार दिया। खैर पुलिस ने जोगी जी के अभयदान के तहत कानून का कागज़ी अनुपालन किया और भुनगे विकास दुबे को निपटा दिया फ़र्ज़ी एनकाउंटर में। मेरे हिसाब से 200 परसेंट ठीक किया।

अब खेल शुरू होता है जोगी बाबा की बखिया उधेड़ने का। *जोगी बाबा से उनके विरोधी तो विरोधी अपने दल के विधायक,मंत्री,नेता भी त्रस्त हैं लेकिन वही जो गड़बड़झाला नहीं कर पा रहे हैं।* अब इन लोगों ने *ब्राह्मण राजपूतों* के बीच मीडिया में खूब वैमनस्य करवाया। खूब नूरां कुश्ती चली पर आखिरकार सब टांय टांय फिस्स। जोगी बाबा अपने कार्य मे लगे हुए हैं बेधड़क। किसी अपराधी की मज़ाल नहीं हो रही है कुछ करने की। *हज़ारों अपराधियों का एनकाउंटर हुआ,उनमें कत्ल 100-200 ही हुए लेकिन “गोरखपुरिया इस्टाइल” में बाकी अपराधियों के दोनों घुटनों या कम से कम एक घुटने को पीछे से गोली मार कर स्थाई तौर पर विकलांग कर दिया गया और जीवन पर्यंत ये महात्मा लोग लँगड़े घोड़े बने रहेंगे।*

*थोड़ा पृष्ठभूमि व शक्ति जाने गोरक्षपीठ व गोरक्षपीठाधीश्वर की!*
*बाबा गोरखनाथ* को महायोगी व रुद्रांश माना गया है व उनकी पूजा स्तुति भी होती है बिना किसी ढकोसला या पाखंड के।

*नाथ सम्प्रदाय के प्रवर्तक* थे बाबा गोरखनाथ के गुरु *योगी मत्स्येंद्रनाथ* जिन्हें अपभ्रंश में मछेन्द्रनाथ भी कहा जाता है। नाथ सम्प्रदाय पूर्णतः *”आध्यात्मिक योग” पर आधारित है अर्थात इसमें “शारीरिक योग के अलावा अपनी आंतरिक शक्तियों का केन्द्रीयकरण(Meditation) कर स्वयं को अपार ब्रह्म के सम्मुख समर्पण करना मुख्य ध्येय होता है।”*

नाथ सम्प्रदाय में गुरुदीक्षा तो कोई भी प्राप्त कर सकता है परन्तु *योगी सन्यासी के रूप में दीक्षित होने के लिए* बड़े ही कठोर परीक्षणों से गुजरना पड़ता है। *सबसे बड़ा परीक्षण ब्रह्मचर्य व कठोर सामान्य रहन सहन का होता है दीक्षित होने के लिए।* दीक्षा परीक्षण में उत्तीर्ण होने के बाद प्रार्थी को दीक्षित किया जाता है और *चिमटा,कमण्डल,कुंडल,गले में काले उन की सेली और सिंग की नादी(इसे “सिंगी सेली” कहते हैं)* पहनाया जाता है। किसी भी नाथ सम्प्रदाय के संन्यासी के शरीर पर ये अवश्य होगा।असली कठोर व दुःसाध्य प्रशिक्षण और परीक्षण अब शुरू होता है। दीक्षित संन्यासी को पूर्णरूपेण ब्रह्मचर्य के लिए स्वयं को प्रस्तुत करना पड़ता है।उसे योग साधना(ये रामदेव जी का प्राणायाम नहीं होता केवल) अर्थात स्वयं को समाधिस्थ अवस्था में पहुंचाने के लिए निरन्तर साधना में रहना होता है। *नाथ सम्प्रदाय का संन्यासी होना मतलब आपको अस्त्र,शस्त्र व शास्त्र ज्ञान के सामान्य प्रशिक्षण से गुजरना ही होगा।* आप जब इन सब कलाओं में प्रशिक्षित हो जाते हैं तब आप सनातन धर्म,हिंदुत्व व योग साधना के प्रचार व प्रसार के लिए भ्रमण पर भेज दिए जाते हैं।

योगी मत्स्येंद्रनाथ ने अपने सबसे योग्य शिष्य बाबा गोरखनाथ को अपना उत्तराधिकारी बना दिया था। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार बाबा गोरखनाथ का कालखण्ड 11वीं से 12 शताब्दी में माना जाता है।बाबा गोरखनाथ ने पूरे भारत में योग व धर्म के प्रचार के लिए भ्रमण किया और जगह जगह साधना मठों की स्थापना किया। अंततोगत्वा वर्तमान *गोरखनाथ मन्दिर परिसर को ही उन्होंने अपनी तपःस्थली बनाया। कालांतर में पूरे भारत व विश्व के नाथ सम्प्रदाय के मठों के नियम नियंता व नियंत्रण व सम्पत्तियों का मुख्यालय गोरक्षपीठ, गोरखपुर हो गया* और नाथ सम्प्रदाय ही नहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश व पश्चिमी उत्तरी बिहार व सम्पूर्ण नेपाल के लिए बाबा गोरखनाथ परमपूज्यनीय हैं व गोरक्षपीठ महती तीर्थस्थल।बाबा ने स्वयं समाधि लिया था ऐसी मान्यता व आस्था दोनों है सनातन समुदाय में।

*बाबा गोरखनाथ* के बाद किसी भी योगी को उनकी पदवी नहीं दी गयी बल्कि उनके *प्रतिनिधि के तौर पर सर्वोच्च सन्त को परीक्षण के बाद पहले उत्तराधिकारी घोषित कर प्रशिक्षित किया जाता है और उसके गुरु के समाधिस्थ होने के बाद उत्तराधिकारी को महंत के पद पर अभिषेकित किया जाता है।*
गोरक्षपीठ के कुछ विख्यात महंत हैं-
इस मंदिर के प्रथम महंत श्री वरद्नाथ जी महाराज कहे जाते हैं, जो गुरु गोरखनाथ जी के शिष्य थे। तत्पश्चात परमेश्वर नाथ एवं *गोरखनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करने वालों में प्रमुख बुद्ध नाथ जी (1708-1723 ई),* बाबा रामचंद्र नाथ जी, महंत पियार नाथ जी, बाबा बालक नाथ जी, योगी मनसा नाथ जी, संतोष नाथ जी महाराज, मेहर नाथ जी महाराज, दिलावर नाथ जी, बाबा सुन्दर नाथ जी, सिद्ध पुरुष योगिराज गंभीर नाथ जी, बाबा ब्रह्म नाथ जी महाराज।

*नाथ सम्प्रदाय* का प्रभुत्व कभी मिटा नहीं।हालांकि *मठ को एक बार सल्तनत काल व दूसरे बार चोर औरंगजेब द्वारा ध्वस्त कराया गया परन्तु वहां मस्जिद न बनने पाई कभी भी।उसका कारण था नाथ सम्प्रदाय के संन्यासियों का उग्र रूप में आ जाना।संन्यासियों की उग्रता व जन उबाल के चलते म्लेच्छों की मज़ाल न हुई ध्वस्त पीठ पर मस्जिद बनाने की।*

ब्रह्मलीलालीन प्रातः स्मरणीय *महंत श्री दिग्विजय नाथ जी महाराज जब महंत पद पर प्रतिष्ठापित हुए तो उन्होंने सनातन धर्म को पुनःप्रतिष्ठित करने का व्रत ले लिया। करमचंद गांधी के रवैये से वे खिन्न रहते थे। गांधी व नेहरू के खिलाफ उन्होंने हमेशा विष उगला। इन दोनों को सनातन धर्म का हत्यारा तक कहा। महराज दिग्विजय नाथ जी के ही नेतृत्व में 22/23 दिसम्बर 1949 की रात को जन्मभूमि पर रामलला को विराजित किया गया और नेहरू हाथ मलते रह गए। उनके पश्चात उनके उत्तराधिकारी बने पूज्यनीय महराज अवैद्यनाथ जी और रामजन्मभूमि न्यास के आजीवन अध्यक्ष रहे। 90 के दशक के शुरुआती वर्षों में महंत योगी आदित्यनाथ उत्तराधिकारी घोषित हुए गोरक्षपीठ के।*

एक युवा संन्यासी गोरक्षपीठ का उत्तराधिकारी घोषित हुआ व शस्त्र व शास्त्रों के कठिन प्रशिक्षण में सन्निद्ध हो गया। तीन चार सालों के बाद युवा उत्तराधिकारी जब पीठ पर प्रस्तुत हुआ तो अपने गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त कर दीप्तमय खड्ग बन चुका था।

पूर्वांचल में ये काल कांग्रेस के सूर्यास्त व बसपा व सपा जैसी शक्तियों के उभार का कालखण्ड था। इधर बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने के बाद भाजपा भी एक महती स्थान बना चुकी थी। परन्तु *लाख हाथ पैर पटकने के बाद भी गोरखपुर में मठ के आगे किसी की एक न पहले चली थी न चल रही थी।*

मान्यवर, जब योगी आदित्यनाथ जी महाराज अपना प्रशिक्षण समाप्त कर आये तो,उन्हें मठ के दैनिन्दिन प्रशानिक कार्यों को देखने की जिम्मेवारी दे दी गयी।ये भावी महंत के प्रशिक्षण का सबसे महत्वपूर्ण प्रशिक्षण था। ये उत्तर प्रदेश में *मुलायम, माया दौर* था जिनका क्रम प्रतिक्रम सिर्फ सत्ता में अपने आपको बनाये रखने की प्रवृति ने प्रदेश की शिक्षा,उद्योग सबको चौपट करके रख दिया। *मुस्लिम* दोनों के लिए ऐसे वोट बैंक बन गए थे कि मुस्लिम अपराधियों व माफियाओं के सरमाये में रहना हिंदुओं की मजबूरी होती जा रही थी।

*चूंकि मठ प्रत्यक्ष रूप से हिंदुओ के हितों की रक्षा के लिए हर तरीके अपनाने को तत्पर रहता है* इसलिए नाक से पानी ऊपर होता देख मठ के उत्तराधिकारी व सांसद *बाबा योगी आदित्यनाथ ने “हिन्दू युवा वाहिनी” का गठन किया।* इस संगठन के कोप और प्रकोप से बचना म्लेच्छ अपराधियों व माफियाओं के लिए नामुमकिन था। आज जेल में बंद *मुख्तार अंसारी* नाम के माफिया ने एक बार *मऊ में योगीजी पर गोली चलवाया था और आज तक उसकी मज़ाल न हुई गोरखपुर में कदम रखने की*। वैसे गोरखपुर के *लोग जानते हैं क्या परिणाम होता है मठ से सीधे युद्ध करने का और यहां दुःसाहस मठ के उत्तराधिकारी को ही मारने की हो गयी।सोचिये जब औरंगजेब जैसा आतंकवादी मन्दिर ध्वस्त करने के बाद भी पीठ पर मस्जिद न बना पाया तो उसके ये जारज सन्तान मठ के सामने भुनगे से ज्यादा कुछ नहीं हैं।*

खैर,मठ जैसे पहले सशक्त था वैसे ही आज भी है और आगे भी रहेगा। इसका कारण मठ का कठोर ब्रह्मचर्य पालन और ब्रह्मचर्य की अवहेलना असाध्य व अक्षम्य अपराध की श्रेणी में आता है। *आपने आजतक नाथ सम्प्रदाय के किसी संन्यासी के विषय में शायद ही कुछ सुना हो या वैसा कोई वीडियो क्लिप देखा हो जो आज के तथाकथित व्यभिचारी महात्माओं के दिखते रहते हैं।*

तो मेरे ख्याल से आप को मठ,महंत व मठ की क्रियाशीलता के विषय में भान हो गया होगा।मठ की शक्ति किंवदन्ती नहीं है आप खुद जाकर देख और महसूस कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि, *रामलला की जन्मभूमि का आज निर्माण हो रहा है उसके मूल में गोरक्षपीठ व पूजनीय महंतों को प्रथम श्रेय जाता है।* पूरे भारतवर्ष में गोरक्षपीठ एकमात्र मठ या पीठ है जो सनातन धर्म की रक्षा में प्रतिपल आबद्ध है और पूर्ण उग्रता के साथ। हम जैसे हिंदुत्ववादी सनातनियों के लिए इसीलिए तीर्थ है और मठ से प्रसारित सूचना आदेश है। एक और बात बताता चलूँ, *मठ के शैक्षणिक संस्थान,मेडिकल,इंजीनियरिंग, डिग्री कालेज,विद्यालय,पॉलिटेक्निक, हस्पताल और सब किफायती। मठ के तमाम अनुषांगिक संगठन वृहत स्तर पर पूरे देश में सेवा कर रहे हैं।मठ का पढा,निकला व्यक्ति आपको कामचोर नहीं कर्मठ ही मिलेगा।*

अब आते हैं मूल विषय पर। *2017 विधानसभा* के चुनाव सम्पन्न हुए उत्तर प्रदेश में। योगी जी एवं केशव जी मौर्य मुख्य प्रचारक थे और शाह जी इनके सुपरवाइजर। प्रचंड व अकल्पनीय बहुमत मिला भाजपा को। *सपा,बसपा,कांग्रेस सब धूल धूसरित हो गए।जातियों का मिथक टूट गया उत्तर प्रदेश में। सभी हिन्दू ध्रुवीकृत हो गए मुसलमानी कराए हिन्दू नेताओं के खिलाफ।* इन दलों के मुखियाओं को कूल किनारा सुझाई देना बंद हो गया और ये सिद्ध हो गया 2019 के लोकसभा चुनावों के परिणाम से जब ये सब दल दलदल की तरह खोह में समा गए और अबतक सदमाग्रस्त व लकवाग्रस्त हैं।

जोगी जी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।अब भैया एक संन्यासी जब मुख्यमंत्री बना तो क्या किया उसने पहला कार्य? अपने संन्यस्त जीवन के हिसाब से *मुख्यमंत्री आवास के अपने कमरे से वातानुकूलित यंत्रों व आभिजात्य फर्नीचर को बाहर किया।* फिर गाज गिरी बूचड़खानों पर।60 फीसद गुंडे माफिया बिना किसी बात के ही भूमिगत हो गए। नौकरशाह,पक्ष विपक्ष के नेता छह सात माह में ही परेशान हो गए। फिर शुरू हुआ योगी जी को परेशान करने का दौर जो भाजपा के लोगों द्वारा ही शुरू हुआ। *भाजपा के तमाम जनाधारविहीन दलाल प्रवृति के लोगों की ही शामत आ गयी। विपक्षी तो बौरा ही गये थे।बाबा थे कि,”स्लो मोड” में आने का नाम ही नहीं ले रहे थे।*
इसके बाद बाबा आ गए *”इनकाउंटर मोड”* में जिसका बखान मैं पहले भाग में कर चुका हूँ।इस क्रम में पुलिस वालों ने कुछ अतिरेकपूर्ण व विवेकहीन कार्य भी कर दिया जो *जोगी बाबा के लिए कदाचित शर्मिंदगी का वायस भी बना।* काफी जोड़ घटाव के बाद बाबा को साल भर के अंदर ही थोड़ा स्थिर होना पड़ा सियासत के दबाव में। *केंद्र से आदेश आ गया बाबा थोड़ा स्लो मोड में चलिए। बाबा मन मार कर बैठे रहे।*

*5 अगस्त 2019* को धारा 370 निरस्त हुआ और बाबा को *”कफ हैंड से फ्री हैंड”* कर दिया गया। फिर तो बाबा ने धूम मचा दिया। किसी की मज़ाल न हुई दंगा,धरना करने की।
*9 नवम्बर 2019* को जन्मभूमि का आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा पास हुआ। मैं 8 नवम्बर की रात लखनऊ में ही फंस गया था क्योंकि मुझे कुशीनगर जाना था हमारे महाविद्यालय के “पुरातन छात्र सम्मिलन” उत्सव में। मैं एक वॉल्वो बस से यात्रा कर सुबह 7 बजे कुशीनगर पहुंचा और 11 बजे फैसला आया, फिर तो आप समझ ही सकते हैं उत्सव,महोत्सव में बदल गया। यकीन मानिए मैं 3 दिन तक वहां रहा और पूरे यूपी में किसी असामाजिक तत्व की मज़ाल न हुई दंगा तो छोड़िए,कोई अनर्गल प्रलाप करने की भी।
क्योंकि, *जोगी जी कोई भी कठोर कदम उठाने को तत्पर थे।*

इसके बाद आया *सीएए का दौर*।दंगे चालू शांतिदूतों के। और हाय रे जोगी बाबा,आपने यूपी में शांतिदूतों के साथ साथ कांग्रेसियों,सपाई, बसपाई मुखियाओं व उनके नेताओं के दिल को चाक चाक कर दिया। *वीडियो फुटेज से दंगाइयों की पहचान की और उनकी सम्पत्तियां जब्त कर लीं*,सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए,एकदम परफेक्ट मठ के न्याय के हिसाब से। *लखनऊ में धरने पर शाहीन बाग के तर्ज पर बैठी मोहतरमाओं को लतिया कर भगा दिया।* और तो और सब *दंगाइयों का पोस्टर लगा कर नोटिस दे दिया भुगतान करने के लिए*।
इलहाबाद वाले *मीलॉर्ड ने पोस्टर हटाने का आदेश दे दिया और बाबा ने उसके खिलाफ अध्यादेश ला दिया।हो गया जयश्रीराम।* ये ऐसा कड़ा संदेश था कि,शांतिदूत व उनके आका और काका भी सांप की तरह अपनी बाम्बी में जा छुपे।

*दिल्ली में दंगे भड़के*,लोग मारे गए,घायल हुए। दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्र थे *सीमापुरी,जाफराबाद, सीलमपुर व अन्य शांतिदूत बाहुल्य वाले क्षेत्र। ये सभी इलाके यूपी के गाज़ियाबाद,मुरादनगर इत्यादि शान्तिदूतों के इलाके से नजदीक थे। पर जोगी जी का ऐसा जलाल था कि,एक भी शांतिदूत अपनी तलवार लेकर न निकला।समझे साहिब।*

कोरोना में भी बाबा ने जिस प्रकार उत्तर प्रदेश को संभाला वह अप्रतिम है।

अब आते हैं मूल मुद्दे पर। *बाबा की गर्मी विपक्षी तो छोड़िए कतिपय भाजपाई भी बरदास्त नहीं कर पा रहे थे।* चूंकि,पूर्वांचल में *बेवकूफ ब्राह्मण,राजपूतों की भरमार है* जो अपने स्वार्थी मसीहाओं व रॉबिनहुडों के अंधभक्त हैं। अब इन दलालों व चांडालों ने *दुष्प्रचार शुरू किया कि “योगीराज अब जातिवादी ठाकुरराज”* हो चुका है।पिछड़ी,दलित जातियों की छोड़िए,ब्राह्मणों का उत्पीड़न वृहत स्तर पर हो रहा है। *ये हवा देने वाले भाजपा सपा,बसपा व कांग्रेस के अप्रासंगिक व जनाधारविहीन ब्राह्मण व ठाकुर नेता थे*। आग में घी का काम हुआ जब एक भुनगे को सरेआम पुलिस ने मौत के घाट उतार दिया।
*जाति की सियासत गरमाई।* मीडिया,सोशल मीडिया ने खूब वाही तबाही मचाई। फ़ेसबुक व व्हाट्सएप्प पर *चुतियम सल्फेट टाइप राजपूत,ब्राह्मणों ने खूब गाली गलौज किया आपस में एक अपराधी विकास दुबे के मारे जाने पर।*
भाई जिसको कोई मुगालता हो वो यूपी के पूरे प्रशासन के आला अधिकारियों की लिस्ट देख ले।ठाकुर,ब्राह्मण,अगड़ा,पिछड़ा व दलित सब भरे पड़े हैं लेकिन ये वो लोग हैं जिनको जोगी जी ने चिन्हित कर लिया है कि,ये उनके एजेंडा को उनके हिसाब से अंजाम देने में सक्षम हैं। *लब्बेलुआब ये है कि,हिंदुओं की एकता जोगी महराज के छत्र तले बहुत अखर रही है इन सियासती स्वार्थी लोगों को।* येन केन प्रकारेण *जोगी जी के खिलाफ ठाकुरवाद व ब्राह्मणवाद का कथ्य निर्माण(Narrative)* का प्रयास किया गया,परन्तु ब्राह्मणों ने ही इस दुष्प्रचार को लतिया दिया और *5 अगस्त को अयोध्या में इन सभी राजनैतिक दलों व उनके रुदालियों के आंसू तब सूख गए जब इनके खुद के हिन्दू अनुयायियों ने धता बताते हुए पूरे प्रदेश को राममय कर दिया।*

भैया,सब बात एक तरफ,हिंदुत्व व सनातन के सजग प्रहरी हैं योगी आदित्यनाथ जी महराज और इसपर तो आप सबको कोई शक नहीं ही होगा। एक बात और जान लें योगी जी नाथ योगी हैं मतलब अस्त्र,शस्त्र व शास्त्र तीनों में निपुण। दूसरा, *नाथ सम्प्रदाय में सिर्फ हिन्दू होते हैं कोई बाभन,ठाकुर,अहीर,चमार,निषाद,कुर्मी,बनिया,पंजाबी नहीं होता है न जातिगत आधार पर कोई वर्गीकरण।*

योगी आदित्यनाथ जी महाराज या मठ के खिलाफ बोलने वालों को बता दूं कि,इन दोनों के प्रति हिंदुओं की श्रद्धा है भय से आदर नहीं मिलता किसी को।
कभी गोरखपुर व पूर्वांचल का भ्रमण कीजिये,स्थानीय हिंदुओं से मिलिए तब आप को पता चलेगा:
◆क्या होता है योगी आदित्यनाथ होना!
◆क्या महत्व है गोरक्षपीठ का जनमानस के लिए।
*योगी आदित्यनाथ होने का मतलब है करोड़ों हिंदुओं का आध्यात्मिक व धर्मिक प्रतिनिधि होना,एक सम्बल होना। आप गोरक्षपीठ व महंत जी को “सम्बल समझें ना कि राजनैतिक सिम्बल”* व मेरे लिखे के गूढ़ार्थ को समझे। *मठ का प्रत्यक्ष भाव है:*

*विनय न मानत जलधि जड़, गए तीनि दिन बीति।*
*बोले राम सकोप तब, भय बिनु होइ न प्रीति।*
*बाबा तुलसी*

*तो मान्यवर ये होता है योगी आदित्यनाथ होने का अर्थ*

सन्तोष पांडेय
अधिवक्ता
दिल्ली उच्च न्यायालय

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